पूर्व में शोध में प्रकाशित नक्शा
पूर्व में शोध में प्रकाशित नक्शा
AECOME की रिपोर्ट का फ्रंट पेज, उसमें लगाया गया नक्शा

ख़बर है कि चारधाम परियोजना में डीपीआर रिपोर्ट बनाने वाली गुडगाँव स्थित AECOM कंपनी ने सन 2011 में करंट साइंस शोध पत्रिका में प्रकाशित शोधपत्र में प्रकाशित मैप (नक्शा) डीपीआर में ज्यों का त्यों छाप दिया। इसके लिये उन्होंने ना तो शोधर्थी की औऱ ना ही प्रकाशक की सहमति लेने की कोई जरूरत समझी। अगर मंशा साफ थी तो कम से कम उसमें मूल पत्रिका को उद्धारित ही कर देता कि इस जानकारी को यहां से प्राप्त किया गया। हिम्मत तो देखिए मूल नक्शे में लाल बिंदुओं से कुछ सर्किल बनाये थे यह दिखाने के लिए की यहां यहां 2010 की आपदा में तबाही हुई..पट्ठों ने वे सर्किल भी नहीं हटाए।।
विश्वविद्यालय का कोई शोध छात्र ऐसी गुस्ताखी करता तो उसकी डिग्री जब्त हो जाती है, मगर यहां तो करोड़ों रुपये की कंसल्टेंसी देने वाली कम्पनी का मामला है जो दूसरे के काम अपना बता कर बेच रही है । अब उनके साथ क्या सुलूक होना चाहिए ये तो विधिवेत्ता ही तय कर सकतें हैं मगर डीपीआर तैयार करने में बरती गयी गंभीरता फिर सवालों के घेरे में आती है।
यही नहीं प्रो0 कड़क सिंह वाल्दिया का उत्तराखंड का भूवैज्ञानिक नक्शा भी इसी तरह चेप दिया गया है…अब जीरो टॉलरेंस की ‘सरकार’आप ही बताइये क्या किया जाय..

साभार – डॉ0 एस0पी0सती