अजीब विडंबना है … अपने साथियों के दम पर निर्दलीय तौर से राजनीती में पदार्पण करने वाले महावीर रांगड ने अपने लिए कांग्रेस में लिए कोई माकूल स्थान न देखते हुए भाजपा की राह पकड़ी । 2012 में पार्टी ने भी विश्वास जताते हुए उन्हें धनोल्टी विधान सभा का टिकट दे दिया, तो उन्होंने भी पार्टी को निराश नहीं किया और विषम परिस्थितियों में उन्होंने वह सीट जीत कर उनकी झोली में डाल दी । फ़िर 2017 में यह सीट भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के पारिवारिक संबंधों की भेट चढ़ गई । पूरे उत्तराखंड में इकलौते सिटिंग विधायक का टिकट काटा गया था, मगर प्रचंड मोदी लहर के बावजूद सीट हाथ से निकल गई । अब 2022 में उम्मीद थी कि पार्टी अपनी गलती से सबक लेगी मगर इस बार गठबंधन धर्म खड़ा हो गया । अब 5 साल तो सब्र किया जा सकता था मगर अब तो मामला 10 साल (या उससे भी अधिक) का होने जा रहा है ऐसे में कोई भी उर्जावान, स्वाभिमानी, महावीर व्यक्ति जो कर सकता है वह सामने है ।
धनोल्टी,23 जनवरी : धनोल्टी विधानसभा से भाजपा का टिकट न मिलने से खफा महावीर रांगड ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। रविवार को रांगड़ समर्थकों को मिलने नैनबाग पहुंचे। जहां पर उनका भव्य स्वागत किया गया।
पूर्व विधायक महावीर सिंह रागड़ ने धनोल्टी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। अपने समर्थकों के साथ नैनबाग क्षेत्र में पहुंचने पर उनका स्वागत किया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। मैंने धनोल्टी विधानसभा में विगत कई वर्षों से कई विकास कार्यों को अंजाम दिया है। धनोल्टी विधानसभा की जनमानस की मांग और मां सुरकंडा देवी के आशीर्वाद से धनोल्टी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। नैनबाग क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए उतरा हूं। कहा कि जिन लोगों को भाजपा ने टिकट दिया है। उनकी धनोल्टी विधानसभा में जमीनी पकड़ नहीं है। भाजपा मूल के व्यक्ति का टिकट कटना बड़ा चिंताजनक है। इसका खामियाजा भाजपा को धनोल्टी में भुगतना पड़ेगा। इस अवसर पर उनके साथ जिला पंचायत उपाध्यक्ष टिहरी गढ़वाल भोला परमार, बीडीसी भरत सिंह पवार, कमल रावत, जयप्रकाश, राजेश कैंतूरा, वीरेंद्र रमोला, खजान सिंह चौहान, अनूप सिंह पवार, सुंदर सिंह पवार, महावीर चौहान, धीरेंद्र पंवार आदि मौजूद रहे।