पूर्व कैबिनेट मंत्री लाखीराम जोशी ने आज भाजपा कार्यालय जाकर उनको दिए गए नोटिस का जवाब दिया। उन्होंने अपना यह जवाबी पत्र प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार को सौंपा। अपने पत्र में उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई अनुशासन भंग नहीं किया है। हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को ही उन्होंने सामने रखा था। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी तथा उमा भारती ने आरोप लगते ही इस्तीफा दे दिया था, इसी तरह इस्तीफा देने की मांग रखी थी। पूर्व कैबिनेट मंत्री लाखीराम जोशी के इस पत्र को कई लोग एक नया लेटर बम कह रहे हैं।
पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी आज भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुंचे। आज ही भाजपा के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी उत्तराखंड आगमन हुआ। इस मौके पर अपना पक्ष रखते हुए लाखीराम जोशी ने अपना जवाब पार्टी को सौंपा। उन्होंने इस दौरान मीडिया द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जब किसी पर आरोप लगता है तो सुचिता के लिए उसका स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए। भाजपा के बड़े नेताओं ने इसके उदाहरण दिए भी हैं। लालकृष्ण आडवाणी तथा उमा भारती ने आरोप लगने पर इस्तीफा दे दिया। जब जांच में निर्दोष साबित हुए, तभी इस्तीफा वापस लिया। उन्होंने मुख्यमंत्री से भी यही मांग की थी। हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया है, सुप्रीम कोर्ट ने चार महीने की मोहलत दी है। भाजपा नेताओं से इसी मुद्दे पर आग्रह किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री से फिर मांग की कि उनकी बात पर गौर किया जाए। उन्होंने कहा कि उनकी बात को निराधार आरोप में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
श्री जोशी द्वारा इस वक्त दिए गए पत्र और अपनी बात पर उनके अडिग रहने के रवैये को पार्टी के अंदर एक वर्ग शक की निगाह से देख रहा है। उनका कहना है कि पत्र देने के लिए चुना गया यह वक्त पूरी तरह से तैयारी करके चुना गया है। बताया जा रहा है कि पूर्व मंत्री केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलकर अपनी बात भी रखना चाहते थे, लेकिन उन्हें संभवतः यह अवसर नहीं दिया जाएगा। इसलिए लाखीराम जोशी ने इस वक्त को अपनी सफाई देने के लिए चुना है।