इस बार ज्योतिषीय गणना के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लगभग उन्हीं तिथि नक्षत्र आदि तत्त्वों की पुनरावृत्ति हो रही है। जो आज से लगभग पांच हजार पांच सौ वर्ष पूर्व (5500) द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय थी। हालांकि इस बार के अलावा पहले भी समयान्तराल में ऐसा संयोग बनता रहा है, लेकिन बहुत काम बार ही ऐसा अद्धभुत योग बनता है,जिस योग में जगतपिता श्रीकृष्ण के रूप में धरातल में अवतरित हुए हों।
अब आप सबके मन में यह जिज्ञासा भी जरूर पैदा हो रही होगी कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म समय का विवरण क्या है?और उस जन्मकालीन विवरण की इस बार की जन्माष्टमी के दिन कितनी समानता हो रही है। तो आयें सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण के जन्म समय का विवरण जानते हैं।
हिन्दू धर्म के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ श्रीमद्भागवत महापुराण और भविष्य पुराण आदि के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म महीना-भाद्र पद,पक्ष-कृष्ण,तिथि-अष्टमी,वार- बुधवार,नक्षत्र-रोहिणी,और राशि-वृष अथवा चन्द्रमा का वृष राशिस्थ होना।
अब जानते हैं कि 30 अगस्त सन 2021की ज्योतिषीय गणना क्या है ?
महीना-भाद्रपद,पक्ष-कृष्ण,तिथि-अष्टमी,वार-सोमवार, नक्षत्र-रोहिणी,राशि वृष अथवा चन्द्रमा वृष राशिस्थ। इस प्रकार यदि 30 अगस्त 2021की पञ्चाङ्ग गणना और भगवान श्रीकृष्ण के जन्म समय की पञ्चाङ्ग गणना करेंगे, तो वार (बुधवार) की समानता को छोड़कर बाकी सारे के सारे तत्त्वों में समानता है। वैसे शास्त्रों के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी को सोमवार की विद्यमानता जो कि इस बार है, को भी दुर्लभ ही माना जाता है।
अर्थात उपरोक्त तिथि,नक्षत्र आदि की समानता के कारण ही इस बार की कृष्ण जन्माष्टमी के दिन अति दुर्लभ योग की युति बन रही है, जिसे ‘जयन्ति’ योग की उपमा दी गयी है। उदहारण-अष्टमी कृष्णपक्षस्य रोहणी ऋक्ष संयुता। भवेतप्रौष्टपदे मासि जयन्ति नाम स्मृता। भावार्थ-भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र हो तो,वह जयन्ति योग के नाम से जानी जाती है। जो अत्यन्त शुभ और पुण्यदायी मानी जाती है।
तो आयें जानते हैं,इस इस बार कृष्ण जन्माष्टमी कब है? सम्पूर्ण इच्छाओं की पूर्ति के लिए,भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना कैसे करें? पूजा और व्रत विधि क्या है?भगवान श्रीकृष्ण का वास्तविक स्वरूप क्या है? आदि-आदि प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए इस पूरे लेख पढ़े।
कृष्ण जन्माष्टमी का महापर्व 30 अगस्त 2021 को है। सबसे पहले जानते हैं, कि इस बार सम्पूर्ण इच्छाओं की पूर्ति के लिए, भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना कैसे करें?
1.यदि आप आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं,तो कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की बालरूप मूर्ति को चांदी की बांसुरी अर्पित करें और घर में चांदी की गाय रखें।
2.यदि आप सन्तान की इच्छा रखतें हैं, तो भी कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की मूर्ति को चांदी की मूर्ति अर्पित करें।।
3.यदि आपको व्यापर में अपेक्षित उन्नति नही मिल रही है, तो जन्माष्टमी की रात 12 बजे के बाद भगवान कृष्ण की मूर्ति का केशर मिश्रित दूध से अभिषेक करें।।
4.यदि आप दरिद्रता से मुक्ति चाहते हैं, तो कृष्ण जन्माष्टमी के दिन दक्षणावर्ती शंख में में जल भरकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें।।
5.यदि आप भगवान कृष्ण को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजनोपरान्त भगवान को गाय के दूध की खीर का भोग अर्पित करें।।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजा और व्रत विधि क्या है?
1.प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर,व्रत के लिए मानसिक रूप से तैयार हो जाये।
2.घर के मन्दिर में साफ सफाई करें।
3.मन्दिर में स्थापित सभी देवी देवताओं का अभिषेक करें।
4.मुख्य रूप से भगवान कृष्ण की मूर्ति,कोशिश करें कि मूर्ति लड्डू गोपाल जी की हो का अभिषेक करें।।
5.लड्डू गोपाल को श्रृंगार के साथ झूले में बैठायें। 6.रात्रि के समय 12 बजे के बाद भगवान की यथा श्रद्धा पूजा,अर्चना और आरती करें।।
पूजन सामग्री।
1.चन्दन 2. रौली 3.अक्षत 4.शहद 5.दूध 6.चौकी 7. घी 8.मिश्री 9. माखन 10. भोग सामग्री 11.तुलसी।
भगवान कृष्ण का स्वरूप क्या है।
भगवान श्रीकृष्ण पूर्ण ब्रह्म परमात्मा हैं। हिन्दू धर्म ग्रंथों में भगवान के 24 अवतारों का वृतान्त है, जिसमें 23 अवतार अब तक हो चुके हैं,और 24 वां कलयुग के अन्तिम चरण में होने का वर्णन है। लेकिन 23 के 23 अवतार पूर्ण ब्रह्म परमात्मा के अंशावतार और कलावतार हैं। जबकि भगवान श्री कृष्ण पूर्ण ब्रह्म परमात्मा ही हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार-एते चांसकलाः पुंसः कृष्णस्तु भगवान स्वयं’चुके हैं। इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण समस्त सृष्टि और जीव मात्र के आधार हैं। हम सब को इस परम पवित्र जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की शरणागति लेनी है। और उनसे निवेदन करना है कि मनोवृत्ति सदैव आपके चरणों का अनुसरण कर सके। यथार्थ में मानव जीवन का उद्देश्य यही है,कि हमारी आत्मा जो जन्म-जन्मांतरों से परमात्मा से बिछुड़ी हुई है,उसका मिलन परमात्मा से हो।
भगवान श्रीकृष्ण भक्तों की सम्पूर्ण इच्छा पूर्ण करते हैं।
शास्रों के अनुसार-‘श्रीमद्भागवते नैव भुक्तिमुक्ति करे स्थिते’भावार्थ भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों की समस्त भौतिक इच्छा भी पूर्ण करते हैं, और मृत्यु के बाद भक्त को मोक्ष का अधिकारी भी बना लेते हैं।