रुद्रप्रयाग, स्थायी राजधानी गैरसैंण समेत पहाड़ के तमाम सवालों को लेकर पंचेश्वर से उत्तरकाशी तक की ‘जन संवाद यात्रा’ बारहवें दिन केदार घाटी पहुंची. स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के तत्वावधान में की जा रही यात्रा का ऊखीमठ और गुप्तकाशी में जोरदार स्वागत किया गया. दोनो बाजारों में सभा के बाद ल्वारा, लम्बगोंडी, नागजगई, छेनागाड़, बडेथ, बसुकेदार, बांसबाड़ा, क्यूंजा, भणज, चंद्रनगर, मोहनखाल, कनकचैरी, घिमतोली में जनसंपर्क करते हुए रात्रि प्रवास के लिए यात्रा ग्वांस गांव पहुंची. जनसंपर्क और सभाओं में वक्ताओं ने स्थायी राजधानी गैरसैंण, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन और नए जिलों के गठन समेत तमाम मुद्दों पर बात रखी. जनसभा को संबोधित करते हुए संघर्ष समिति के संयोजक चारु तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड के मूल भूत सवालों को लेकर हुक्मरानों ने पिछले अट्ठारह वर्षों में उत्तराखंड की जनता को जिस तरह छला है उसको लेकर सवाल पूछने का वक्त आ गया है. उन्होंने कहा कि पहाड़ी प्रदेश की राजधानी गैरसैंण में हो यह राज्य आंदोलन के वक्त से ही हमारी मांग थी लेकिन भाजपा-कांग्रेस ने लगातार इस मांग को हाशिए पर धकेला. युवा आंदोलनकारी मोहित डिमरी ने कहा कि स्थाई राजधानी गैरसैंण के मुद्दे को केंद्र में रखते हुए पहाड़ के सभी सवालों को देखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार पहाड़ की जमीनों को उद्योगपतियों के हवाले करने की साजिश कर रही है जिसका प्रतिकार करना होगा. प्रदीप सती ने कहा कि आज हमारा प्रदेश जिन संकटों का सामना कर रहा है, उनके लिए सत्ता में बारी-बारी से रहीं भाजपा कांग्रेस जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए सभी को एकजुट होकर लड़ना होगा. गैरसैंण संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट ने कहा कि झूठे विकास के नाम पर पहाड़ के गाँवों और संस्कृति को खत्म किया जा रहा है जिसका हर हाल में विरोध जरूरी है. सल्ट के जिला पंचायत सदस्य नारायण सिंह रावत और युवा आंदोलनकारी मनीष सुंदरियाल ने कहा कि कृषि उत्तराखंड की रीढ़ रही है लेकिन इसे बड़ी साजिश के तहत खत्म किया जा रहा है ताकि पूंजीपतियों के लिए आसान रास्ता तैयार किया जा सके. पिथौरागढ़ से यात्रा में शामिल युवा मुकुल भट्ट ने शिक्षा के बाजारीकरण के खिलाफ और बेरोजगारी के मुद्दे पर युवाओं से एक जुट होने की अपील की.
सभा का संचालन लक्ष्मण सिंह नेगी ने किया. इस दौरान जिला पंचायत सदस्य कालीमठ संगीता नेगी, यूकेडी नेता गंगाधर सेमवाल, शिव सिंह नेगी, जगदीश नेगी, प्रकाश रावत, कैलाश पुरोहित, कमल रावत, दिव्या देवी, भानु प्रताप भट्ट, रघुवीर लाल, राजनारायण सिंह राणा, राजेश्वरी देवी समेत बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद थे।