#करोना #चीन का #बायो_कैमिकल (#जैविक)#हथियार
भारत आज भले ही लॉकडाउन है पर चीन के सभी शहर खुले हुए है और तो और 8 अप्रैल से चीन वुहान को भी खोलने की घोषणा कर चुका है, चीन में किसी भी नेता,मिलिट्री या बड़े आदमी को कोरोना नहीं हुआ।
कोरोना वायरस ने दुनिया भर में इकॉनमी को बर्बाद कर दिया है, हजारों की जान जा चुकी है, लाखों को ये बीमारी हो चुकी है और अनगिनत लोग घरों में बंद कर दिए गए है, कई देशों में लॉकडाउन हो चुका है जिसमे भारत भी एक है। कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से निकल कर अब ये दुनिया के कोने कोने में पहुँच चुका है, पर ये वायरस वुहान के ही पास चीन की राजधानी बीजिंग और आर्थिक राजधानी शंघाई तक नहीं पहुंचा
आज पेरिस बंद है, न्यूयॉर्क बंद है, बर्लिन बंद है, रोम बंद है, दिल्ली बंद है, मुंबई बंद है, टोक्यो बंद है, दुनिया के प्रमुख आर्थिक और राजनतिक केंद्र बंद है पर बीजिंग और शंघाई खुले हुए है, वहां कोरोना ने कोई असर ही नहीं दिखाया, गिने चुने केस सामने आये पर एक तरह से बीजिंग और शंघाई पर कोरोना का कोई असर ही नहीं हुआ। बीजिंग वो शहर है जहाँ चीन के सभी नेता रहते है, यहाँ मिलिट्री लीडर रहते है, चीन की सत्ता को चलाने वाले यहाँ रहते है, बीजिंग में कोई लॉक डाउन नहीं है ये खुला हुआ है यहाँ कोरोना का कोई असर नहीं
शंघाई वो शहर है जो चीन की इकॉनमी को चलाता है, ये चीन की आर्थिक राजधानी है, यहाँ चीन के सभी अमीर लोग रहते है, इंडस्ट्री को चलाने वाले रहते है, यहाँ भी कोई लॉक डाउन नहीं, यहाँ कोरोना का कोई असर नहीं
क्या कोरोना एक पाला हुआ वायरस है जिसे बता दिया गया है की तुम्हे दुनिया भर में आतंक मचाना है पर तुम बीजिंग और शंघाई नहीं आओगे, चीन से ये सवाल पूछा जाना बहुत जरुरी है की जब दुनिया के बड़े बड़े विकसित देश कोरोना को नहीं रोक पाए तो फिर ये वायरस बीजिंग क्यों नहीं पहुंचा, शंघाई क्यों नहीं पहुंचा.
आज पूरा भारत और 130 करोड़ भारतीय भले लॉक डाउन हो चुके है, हमारी इकॉनमी ठप्प हो रही है पर चीन के सभी प्रमुख शहर खुले हुए है और तो और कब 8 अप्रैल से चीन वुहान को भी खोल रहा है, पूरी दुनिया आतंक से त्रस्त हो चुकी है पर चीन में अब नए केस भी सामने नहीं आ रहे है और चीन खुला हुआ है
एक और बड़ी चीज ये की दुनिया भर के शेयर मार्किट लगभग आधा गिर चुके है, भारत में भी निफ्टी 12 हज़ार से 7 हज़ार तक पहुँच गया है, पर चीन का शेयर मार्किट 3000 से 2700 पर ही है, चीन के मार्किट पर भी इस वायरस का कोई असर नहीं पड़ा.
ये सारी बातें जो सिर्फ एक बात की ओर इशारा करती है कि कोरोना चीन का बायो केमिकल हथियार है, जिसे चीन ने दुनिया भर में तबाही के मचाने के लिए बनाकर छोड़ दिया है, अपने यहाँ कुछ लोगो को मरवा कर चीन ने अब इस वायरस पर कंट्रोल कर लिया है, कदाचित उसके पास दवाई भी है जो वो दुनिया से शेयर नहीं कर रहा है.
दुनिया में बड़े बड़े लोगो को कोरोना हो चुका है, हॉलीवुड स्टार, ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री, ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री, स्पेन के प्रधानमत्री की पत्नी और अब तो ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स को भी कोरोना हो चुका है, पर चीन में एक भी नेता, एक भी मिलिट्री कमांडर को कोरोना ने टच भी नहीं किया है इससे तो यही लगता है कि शायद उसने वैक्सीन, जांच किट, दवाइयां सभी कुछ पहले ही से अरेंज कर रखी थी। हालांकि वायरस पुराना है पर चीन ने सम्भवतः इसे अपनी लैब में मॉडिफाई करके इसको जैविक हथियार के रूप में प्रक्षेपित किया है। यहाँ सब कुछ पहले से ही कैलकुलेट किया लग रहा है उसके भी लगभग 2 लाख लोग मारे गए, हालांकि चीन ने संयुक्त राष्ट्र के डर से बहुत से आंकड़े छिपाए भी हैं।
वहां की चार प्रमुख मोबाइल कंपनियों ने भी इन आकड़ों की पुष्टी की है जब से ये वायरस शुरू हुआ है, करीब इतने ही लोगों के फोन चालू नहीं है व इनके घरों की लाइट्स भी बंद हैं।
विदेशी मीडिया भी उठा चुका है जैविक हथियार का मामला
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की कुछ रिपोर्ट्स कोरोना वायरस को चीन के जैव हथियार बनाने की कोशिश के तौर पर जोड़ा है. द डेली मेल और द वॉशिंगटन टाइम्स ने रिपोर्ट छापी है कि कोरोना वायरस चीन के जैविक युद्ध प्रोग्राम (बायो वारफेयर प्रोग्राम) का हिस्सा था। स्टीफ़न केविन बैनन ने बीते महीने वॉशिंगटन टाइम्स के रिपोर्टर बिल गेर्ट्ज़ को एक रेडियो शो ‘वॉर रूम: पैनडेमिक’ में बतौर गेस्ट बुलाया था जिसमें उन्होंने इस बात के संकेत दिए थे कि चीन जैव युद्ध प्रोग्राम के तहत एक वायरस बना रहा था। बैनन ने इसके पहले ऐसा ही एक और शो किया था जिसमें सीनेट में महाभियोग ट्रायल को लेकर राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का बचाव किया गया था। इस शो का नाम ‘वॉर रूम: इंपीचमेंट’ था। 25 जनवरी को अपने शो में बैनन ने कहा, ”वॉशिंगटन टाइम्स में बिल गेर्ट्ज़ ने एक शानदार आर्टिकल लिखा है जिसमें वुहान में बायोलॉजिकल लैब्स का ज़िक्र है.” स्रोत – बीबीसी
ये देखकर तो लगता है कि सब कुछ चीन की सोची समझी रणनीति का हिस्सा था जिससे वह भारत और अमेरिका को अधिकाधिक नुकसान पहुंचाना चाहता था मगर भारत के परिप्रेक्ष्य में उसका उद्देश्य अभी तक अधूरा ही रह गया है,
क्योंकि उनके हिसाब से अपने यहां इतने ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। अब आगे इस वाइरल से कितना नुकसान होने वाला है ये तो हम नहीं बता सकते मगर इस कैमिकल युद्ध को लेकर ये 10 बड़े सवाल तो खड़े हो ही चुकें हैँ जिसका जवाब आज पूरी दुनिया जानना चाहती है।
1) जहां पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है, वहीं चीन में वुहान के अलावा यह क्यों कहीं नहीं फैला? चीन की राजधानी आखिर इससे अछूती कैसे रह गयी?
2) प्रारंभिक अवस्था में चीन ने पूरी दुनिया से इस वायरस के बारे में क्यों छुपाया?
3) कोरोना के प्रारंभिक सैंपल को नष्ट क्यों किया गया ?
4) इसे सामने लाने वाले डॉक्टर और पत्रकार को खामोश क्यों किया? पत्रकार को तो गायब ही कर दिया गया है?
5) दुनिया के अन्य देशों ने जब सूचना साझा करने को कहा तो उसने सूचना साझा करने से मना क्यों किया?
6) कोरोना मानव से मानव में फैलता है, इसे छुपाने के लिए WHO के निदेशक का उपयोग क्यों किया गया? WHO के निदेशक जनवरी में “बीझिंग (चीन)” में क्या कर रहे थे? (कोई प्लान /फिक्सिंग कर रहे थे?)
7) 11 जनवरी तक WHO किसके कहने पर ये ट्वीट करता रहा कि – “किसी भी अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए कोई गाइडलाइन जारी करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह मानव से मानव में नहीं फैलता है” आज जबकी यह साबित हो चुका है कोरोना मानव से मानव में फैलता है तो फिर WHO ने झूठ क्यों बोला ?
8) वुहान से एकसाथ 50,000 लोगों को बिना मेडिकल जांच किए “दुनिया के अलग-अलग हिस्से में” क्यों भेजा गया ..?
9) इटली में 6 फरवरी तक मामूली केस था एकाएक – ‘हम चीनी हैं वायरस नहीं! हमें गले लगाइए।’ प्लेकार्ड के साथ दुनिया के पर्यटन स्थल ‘सिटी ऑफ लव’ के नाम से मशहूर इटली के लोगों को गले लगाने क्यों पहुंचे ?
10) पूरी दुनिया आज चीन और WHO को संदेह की नजर से देख रही है और ताज्जुब देखिए कि एक ही दिन चीन और WHO, दोनों भारत की तारीफ में उतर आए! क्या यह महज संयोग है?
इसके अगले ही दिन भारत में चीन के राजदूत ट्वीट कर उम्मीद करते हैं कि भारत इंटरनेशनल कम्युनिटी में उसकी पैरवी करे। आखिर क्यों? नेहरू की एक गलती का खामियाजा हम भुगत चुके हैं। यह मोदी सरकार है, और उम्मीद है वह कम से कम वह गलती तो नहीं ही दोहराएगी?सार्क से लेकर G-20 तक की बैठक पीएम मोदी के कहने पर हो रही है। संकट के समय भारत वर्ल्ड लीडर के रूप में उभरा है। इटली, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका तक जब कैरोना से निबटने में असफल हो रहे हैं तो पीएम मोदी की पहल पर भारत इससे कहीं बेहतर तरीके से डील कर रहा है।
आज चीन पूरी दुनिया के संदेह के घेरे में है और वह चाहता है कि भारत इंटरनेशनल कम्युनिटी में उसके इस अछूतपन को दूर करे। अब यह तो अंतराष्ट्रीय मामला है जिस पर सरकार को निर्णय लेना है हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते, मगर हम 130 करोड भारतवासी जिस दिन बिना चाइना के समान के जीना सीख जायेंगे उस दिन इस देश को महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता. बात समझ में आये तो देशहित में आगे बढ़ाओ वैसे भी इनकी करतूतों से अगले कुछ और महीने लॉकडाउन में कटने वाले हैँ। 3 माह का राशन, 3 माह की E M I, 3 माह के सिलेंडर, रामायण के 87 एपिसोड, समझदार हो इशारा समझो मामला गम्भीर है।
इसलिये घर पर रहो – सुरक्षित रहो
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