प्रदेश में लॉकडाउन का पूरी तरह पालन किया जा रहा है,लेकिन प्रदेश के कई हिस्सों में पत्रकारों को पुलिस के द्वारा पास मांग कर जलील किया जा रहा है,जबकि पत्रकारों के द्वारा मौके पर संस्थान का आईडी कार्ड भी दिखाया जा रहा है ,लेकिन जनपद की सीमाओं पर तैनात पुलिस के जवान,पत्रकारों को तरह तरह के सवाल जबाब पूछ कर अपमानित कर रहे है।ऐसा ही एक घटनाक्रम पौडी जिले में भी हुआ । जहां श्रीनगर में प्रेस कार्ड दिखाने के बाद भी पुलिस द्वारा पत्रकार को जाने नहीं दिया गया ।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा जारी पत्र में भी यह स्पष्ठ किया गया है कि मीडिया का इस महामारी में जनता को जागरूक करने का अहम योगदान है ,और मीडियाकर्मियों और उनके वाहनों को लेकर कंही भी कोई प्रतिबंध नही रहेगा, साथ ही स्थानीय सरकारों को यह भी निर्देश किया गया है कि जरूरत पड़ने पर मीडिया कर्मियों के वाहनों को ईंधन की पूर्ति भी करवाई जाए।

ताजा मामला पौड़ी जनपद की पुलिस चौकी श्रीनगर के पास कालियासोड और पौड़ी चुंगी का है ,यंहा पर पुलिस विभाग के द्वारा पुलिस उपनीराक्षको की तैनाती की गई है,लेकिन इन तैनात दरोगाओं के रौब ऐसे पहले तो यह पत्रकारों को सवाल जबाब कर जलील कर रहे है ,उसके बाद ज़िलाधिकारी द्वारा जारी पास की मांग कर रहे है।जबकि प्रेस प्रतिनिधियों को अलग से कोई पास जारी करने का कोई स्पष्ठ आदेश न तो सूचना प्रसारण मंत्रालय ने कोई गाइडलाइन जारी की है न ही उत्तराखंड सरकार ने ।यंहा तक कि पुलिसकर्मी पत्रकारों की बीट भी तय कर रहे है,लेकिन उनको कौन समझाए की सोसियल मीडिया यानी समाचार पोर्टल के कई पत्रकार् उत्तराखण्ड में है ,जिनको की समाचार संकलन के लिए जनपद से बाहर भी जाना होता है ।

अब पुलिस को पत्रकारों से खतरा है क्या 

जबकि सब्जी के ट्रक बगैर अनुमति के फर्जी आवश्यक सेवा का पैम्पलेट चिपका कर सवारी ढो कर धडल्ले से आवाजहि कर रहे है ,और पुलिस उन पर लगाम नही लगा पा रही है ,जिसका गुस्सा पुलिस पत्रकारों को जलील करके निकाल रही है। गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री मोदी ने इस महामारी की घड़ी में पत्रकारों,पुलिसवालो,सफाईकर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों को एक कैटिगरी में रखा है ,लेकिन यह समझ से बाहर है कि पत्रकारों को जलील करने का अधिकार पुलिस को किसने दिया।

In the state, the lockdown is being followed completely, but in many parts of the state, journalists are being punished by the police by demanding a pass, while journalists are also showing the ID card of the institute on the spot, but the district Police personnel posted on the borders of UP are insulting journalists by asking a variety of questions and a similar incident happened in Pauri district.Where the journalist was not allowed to go by the police even after showing the press card in Srinagar.A letter issued by the Ministry of Information and Broadcasting, Government of India has also clarified that the media has an important contribution to make the public aware in this epidemic, and there will be no restriction on media persons and their vehicles, as well as local governments. It has also been directed to supply fuel to the vehicles of media personnel, if required.The latest case is of Kaliasode and Pauri Chungi near Pauri district police station Srinagar, where the police department has been posted by the Deputy Inspector General of Police, but this is the first time the officers of these posted police are answering this question , Then demanding a pass issued by the District Magistrate.While no clear order has been issued to the press representatives for issuing a separate pass, neither the Ministry of Information Broadcasting nor the Uttarakhand Government. Even the policemen are fixing the beat of journalists, but who should explain to them the social There are many journalists of media portal in Uttarakhand, who have to go outside the district to compile their news.Now police is in danger from journalistsWhile the vegetable trucks are making noisy calls by sticking the pamphlet of fake essential service without permission, and the police are not able to rein in them, whose anger is being thrown out by the police by jailing journalists.The Ministry of Home Affairs and Prime Minister Modi have placed journalists, policemen, scavengers and health workers in a category at the time of this epidemic, but it is inconceivable who gave the police the right to punish journalists.

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