-आयोग ने कहा उचित धाराओं में हो मामला दर्ज, पीड़ित परिवार को तुरंत सुरक्षा दी जाये
देहरादून/नयी दिल्ली, पूर्व सांसद तरुण विजय के नेतृत्व में तीन सदस्यी मानवाधिकार प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मिला और उसकी वरिष्ठ सदस्य ज्योतिका कालरा को टिहरी में एक दलित जीतेन्द्र दास की पिटाई से हुई मृत्यु/हत्या की जांच का आग्रह किया। प्रतिनिधिमंडल में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं ह्यूमन राइट्स डिफेंस इंटरनैशनल के महासचिव राजेश गोगना, गढ़वाल के सामाजिक कार्यकर्ता अरविन्द मैखुरी शामिल रहे। यह प्रतिनिधिमंडल ह्यूमन राइट्स डिफेंस इंटरनैशनल के संयोजन में मिला था।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने तरुण विजय के ज्ञापन पर तुरंत संज्ञान लेते हुए लिखित में अपनी एक्शन रिपोर्ट में कहा है कि यह शर्म की बात है कि संविधान, जिसका निर्माण एक अनुसूचित जाति के विद्वान ने किया था, निर्माण के सत्तर साल के बाद भी अभी तक अनुसूचित जातियों के प्रति भेदभाव जारी है। आयोग ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पीड़ित के परिवार को सुरक्षा और सभी संवैधानिक सुविधाएँ तुरंत दी जाएँ तथा आयोग एक टीम गठित कर टेहरी भेज रहा है। सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश गोगना ने कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि यह मामला 308 या 302 में दर्ज नहीं किया गया है जबकि जो रिपोर्टें छपीं हैं उनसे निर्मम पिटाई ही मृत्यु का कारण बताया जा रहा है। श्री गोगना ने कहा कि राज्य सरकार को सभी सुरक्षा और कानूनी सहायता ही नहीं बल्कि इस मामले में न्याय प्राप्ति हेतु सभी संवैधानिक मदद दिलाना और पीड़ित परिवार की देहरादून में सुरक्षित रहने की व्यवस्था करना होगा। यह संवैधानिक तौर पर तुरंत होना चाहिए
तरुण विजय ने अपनी याचिका में उत्तराखंड वाल्मीकि आंबेडकर महासभा के प्रदेश अध्यक्ष श्री आशीष छपछर के पत्र को भी हिस्सा बनाकर आयोग को सौंपा है।