प्रसिद्ध नाटककार असगर वजाहत का नाटक ‘जिस लाहौर नी वेख्या वो जन्म्या ही नी’ यानी कि जिसने लाहौर नहीं देखा वह पैदा ही नहीं हुआ।इस नाटक ने मेरी जिंदगी में रंगमंच के प्रति एक विशेष उत्साह पैदा किया। यह असगर वजाहत का लेखन था या उस नाटक ग्रुप का प्रभाव, जिसका नाटक मैंने पहली बार, शायद फरीदाबाद में देखा था।उसके बाद जब भी इस नाटक का मंचन मेरे शहर में कहीं भी हुआ, मैं जरूर नाटक देखने गया और हर बार एक नए अनुभव और छटपटाहट के साथ घर लौटा। देहरादून के लोगों का सौभाग्य है कि आज यानी शुक्रवार 7 जून, 2019 को शाम 7:00 बजे उन्हें नगर निगम ऑडिटोरियम में एक बार फिर इस नाटक को देखने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। दुर्भाग्य से मैं देहरादून में होने के बावजूद नाटक देखने में असमर्थ हूं। पापी पेट का सवाल जो है। इस बार नाटक का मंचन संभव नाट्य मंच की ओर से किया जा रहा है, जिसके निर्देशक इस बार छोटे भाई अभिषेक मेंदोला हैं। इस पोस्ट को पढ़ रहे आप सभी महानुभावों से अनुरोध है कि यदि संभव हो सके तो शुक्रवार शाम 7:00 बजे नगर निगम देहरादून ऑडिटोरियम में जरूर पहुंचें, क्योंकि जिसने यह नाटक नहीं देखा समझो वह दुनिया में पैदा ही नहीं हुआ।