छाती का दर्द हार्ट अटैक के अलावा और भी अन्य पचासों कारणों से हो सकता है. अब ऐसी स्थिति में यह कैसे जाना जाए कि कोई दर्द हार्ट अटैक के कारण ही हो रहा है? यहां सबसे पहले यह प्रश्न उठेगा कि किन लोगों को हार्ट अटैक होने का ज्यादा डर होता है यानी कि किन्हें छाती में दर्द उठने पर ज्यादा सतर्क होने की आवश्यकता है?

आज मैं यहां दोनों बातों को स्पष्ट करने की कोशिश करूंगा.क्या मुझे हार्ट अटैक के चांस ज्यादा हैं? हो सकता है यह प्रश्न आपके मन में भी कभी न कभी आए. सो सबसे पहले इसका जवाब समझते हैं. हार्ट अटैक के कुछ रिस्क फैक्टर्स कहलाते हैं. जैसे यदि आप डायबिटिक हैं या फिर आप किसी भी तौर पर तंबाकू का सेवन करते हैं (तंबाकू खाते हैं या सिगरेट-बीड़ी पीते हैं या तंबाकू का पेस्ट दांतों पर करते हैं) या फिर आपके परिवार में कभी कम उम्र में ही किसी को हार्ट अटैक हुआ हो या हार्ट अटैक से उसकी मृत्यु हुई है (मतलब 50 वर्ष के आसपास की उम्र में या उससे पहले), यदि आप बहुत मोटे हैं, आलसी हैं, यदि आपका कोलेस्ट्रॉल बहुत खराब रहता है, यदि आपको ब्लड प्रेशर की बीमारी है या किडनी की बीमारी है या कभी लकवा पड़ा है – इन सारी स्थितियों में आपको सतर्क रहने की आवश्यकता है.खासकर यदि आपकी डायबिटीज को दस साल से ज्यादा टाइम हो गया हो या आपको डायबिटिक रेटिनोपैथी हो, या फिर आपकी पेशाब में माइक्रो एल्ब्यूमिन की मात्रा बढ़ी हुई रहती हो तो आपको हार्ट अटैक होने की ज्यादा आशंका है. सो सबसे पहले आप जान लें कि कहीं आप इस हाई रिस्क ग्रुप में शामिल तो नहीं हैं.

अब दूसरे प्रश्न पर आते हैं. हार्ट अटैक का दर्द किस तरह का होता है? दरअसल दिल का दर्द दो तरह का होता है. एक वह दर्द जिसे एनजाइना कहते हैं और दूसरा वह जिसे हार्ट अटैक या मायोकार्डियल इन्फार्कशन कहते हैं. दोनों ही दिल के दर्द हैं पर दोनों का अंतर समझने के लिए आपको दिल तक खून पहुंचाने वाली रक्त नलिकाओं को जानना होगा.

दिल की तीन मुख्य नलियां होती हैं – दो दिल के बाएं तरफ और एक दिल के दाएं तरफ. इन्हें हम कोरोनरी आर्टरीज कहते हैं – राइट कोरोनरी आर्टरी और लेफ्ट कोरोनरी आर्टरी. बढ़ती उम्र तथा अन्य कई कारणों से इन रक्त नलिकाओं में अंदर धीरे-धीरे रुकावट पैदा होने लगती है. इनमें कोलेस्ट्रॉल जमने लगता है. नली सिकुड़ने लगती है. रक्त का प्रवाह कम होता जाता है. जब रक्त का प्रवाह एक निश्चित सीमा से भी कम हो जाता है, मान लें कि कोई नली 70% से ज्यादा बंद हो गई है तो आराम से बैठने पर तो कभी कोई तकलीफ नहीं होती परंतु हल्की सी मेहनत करने पर ही (पैदल चलने पर, खासकर कोई चढ़ाई चढ़ने पर या सीढ़ियां चढ़ने पर, वजन लेकर चलने पर) आदमी को दिल में दर्द महसूस होता है.

यह दर्द तेज नहीं होता, छाती में एक असहजता का अहसास या छाती में हल्का सा भारीपन या भरा-भरा सा लगता है. यह केवल पैदल चलने पर ही लगता है और जैसे ही रुकते हैं वैसे ही कुछ देर में यह एहसास खत्म भी हो जाता है. इसे एंजाइना कहा जाता है. यह हार्ट अटैक नहीं है. यह तो शरीर की तरफ से एक चेतावनी है कि भविष्य में कभी जब यह नली पूरी बंद हो जाएगी तो आपको हार्ट अटैक हो सकता है. यदि इस चेतावनी को समझ लिया जाए और इसका बराबर इलाज हो जाए तो आदमी हार्ट अटैक से बच जाता है. कभी-कभी आदमी की कोरोनरी नलिकायें बिना एंजाइना के सीधे ही पूरी बंद हो सकती हैं. तब सीधे ही हार्ट अटैक हो जाता है.

हार्ट अटैक का छाती का दर्द एकदम अलग किस्म का होता है जो एनजाइना से पूरी तरह अलग है. एंजाइना तो केवल मेहनत करने पर ही होता है. यह बैठे-बैठे नहीं होता. इधर हार्ट अटैक का दर्द अचानक ही कभी बैठे हुए भी हो सकता है. यह प्रायः बहुत तेज होगा, छाती के मध्य में होगा, पर यह ऐसा दर्द होगा जिसे आप एक जगह पिन पॉइंट नहीं कर सकेंगे. यह ऐसा तेज दर्द होगा जैसे छाती पर कोई भारी चट्टान रख दी गई हो. एक बोझ का एहसास या छाती के फटने की फीलिंग और साथ में दम सा घुटने का एहसास भी. साथ-साथ यह अहसास कि मानो जान ही जा रही हो. ऐसे दर्द के साथ प्रायः बहुत ज्यादा ठंडा पसीना आयेगा. यदि यह सब हो तो मानिए कि यह हार्ट अटैक का दर्द है.

वैसे, यह दर्द छाती के साथ-साथ प्रायः बाएं हाथ में भी महसूस हो सकता है. बांह जैसे फटने सी लगती है, खासकर अंदर की तरफ की बांह का हिस्सा. पर याद रहे कि यह दर्द बाईं की जगह दाहिनी बांह में भी हो सकता है, कंधे में आ सकता है, पीछे पीठ की तरफ जा सकता है, गर्दन में या दोनों जबड़ों में भी जा सकता है, या कभी-कभी तो यह कमर तक भी जा सकता है. तो ऐसा कोई भी छाती का दर्द जो भारीपन जैसा हो और जिस में बहुत पसीना आ रहा हो वह हार्ट अटैक का दर्द हो सकता है. और ऐसा दर्द यदि किसी डायबिटिक, ब्लड प्रेशर, मोटे आदमी, तंबाकू लेने वाले आदमी या ऐसे आदमी जिसके परिवार में कम उम्र में हार्ट अटैक हुआ हो – इनमें से किसी को भी हो, तब तो ऐसे दर्द के हार्ट अटैक होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है.

यहां इस मामले में एक पेंच हैं जिससे कई बार डॉक्टर भी ऐसे हार्ट अटैक को ठीक से नहीं समझ पाते और गलती कर देते हैं. पेंच यह कि यदि मरीज को डायबिटीज है तो कई बार हार्ट अटैक में कोई दर्द या तो होता ही नहीं या फिर बहुत हल्का होता है, या फिर दर्द न होकर कुछ और ही तरह के लक्षण पेश आते हैं. इससे भ्रम हो जाता है. कई अजीब से लक्षण हो सकते हैं. जैसे आधे घंटे से या एक घंटे से कुछ ठीक नहीं लग रहा है, चक्कर से लग रहे हैं, आंखों के सामने अंधेरा सा आ रहा है, बिना किसी कारण के थकान बहुत लग रही है, जरा सा चलने भारी थकान हो जा रही है. यह मान लें कि यदि एक डायबिटिक मरीज को कोई भी ऐसी नई तकलीफ अचानक ही हो जाये जो बस कुछ देर से ही हो रही हो, जो पहले कभी नहीं थी तब या तो उसकी शुगर कम हो रही है या फिर यह दर्द के बिना भी हार्ट अटैक हो सकता है.वैसे और लोगों को भी बहुत तेज दर्द के बिना हार्ट अटैक हो सकता है या बहुत हल्के दर्द के साथ भी हार्ट अटैक हो सकता है और कई बार दर्द छाती में ना होकर केवल बाहों में, केवल कंधे में, केवल जबड़े या गर्दन में, या केवल पेट के ऊपरी हिस्से में हो सकता है. पेट के मामले में मरीज को लगता है कि आज गैस बहुत बन रही है, पेट फूला जा रहा है जैसा उसका कभी पहले फूला ही नहीं.ये सब हार्ट अटैक के असामान्य प्रेजेंटेशन हैं जो आमतौर पर नहीं होते पर किसी-किसी में कुछ अलग हटकर भी हार्ट अटैक हो सकता है.वैसे ऐसा कम होता है. जब होता है तो डॉक्टरों से भी ऐसे में डायग्नोसिस कई बार मिस हो सकती है. पर ऐसे किसी दर्द को कतई नजरअंदाज ना करें क्योंकि हार्ट अटैक में एक-एक मिनट कीमती होता है. यदि कभी ऐसा कोई भी दर्द आपको भी हो तो देर मत कीजिएगा, एक एस्प्रिन लेकर तुरंत अस्पताल जाइएगा.

हार्ट अटैक का आपको कितना खतरा है और इसका दर्द कैसा होता है, यह पहचान कैसे की जाए? यह जरूरी नहीं कि हर बार हार्ट अटैक का दर्द छाती में ही हो!

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