कुछ वक्त से व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी और आईटी सेल के द्वारा धार्मिक आधार पर जो जहर घोलने का काम लगातार किया गया उसने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। आज मैं देख रही हूँ कि बीमारी को भी एक सम्प्रदाय विशेष से जोड़कर उसको धार्मिक जामा पहना दिया गया है। कहीं मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है तो कहीं उनसे आईडी मांगकर उनके साथ मार पीट कर उन्हें दो वक्त की रोटी से महरूम किया जा रहा है।मैं मानती हूं कि जमातियों ने गलत किया है जो वो छुप कर बैठ गए लेकिन क्या आप उन हिंदुओ को सही ठहरा सकते हो जो विदेशों से आकर अपने घरों में दुबककर बैठ गए। क्या वो कोरोना बम नही हैं? सिर्फ जमातियों की ही जिम्मेदारी है कोरोना को रोकने की उनका कोई नैतिक दायित्व नही था जो विदेशों से इस बीमारी को तोहफे के रूप में हमारे देश मे लाये हैं। मैं अपने आस पास भी महसूस करती हूं  कि नफरत इस कदर हावी हो गई है लोगो के जहन में कि वो फर्जी वीडियो को देखकर इतना भड़क गए हैं कि उन्हें हर मुसलमान दुश्मन नजर आता है।

आप खुद विश्लेषण करिए मनन कीजिये, अपने आस पास के माहौल को देखिए और फिर निष्कर्ष निकालिये कि क्या जो हमे सोशल मीडिया पर दिखाया जा रहा है वो सच है या हमें नफरतों से भरकर अपनी राजनीति की दुकान चलाने वालों का प्रोपेगेंडा। ऐसा नही है कि व्हाट्सअप के नफरतों भरे मेसेज मुझ तक नही पहुंचते लेकिन इसे में ईश्वर का आशीर्वाद ही कहूंगी कि मुझ पर ये नफरती बारूद अपना असर नही करते। अकसर घर में और बाहर भी मुझसे पूछा जाता है कि तुम्हारा मुसलमानों के प्रति उदारवादी दृष्टिकोण क्यों है ये बहुत बुरे होते हैं। जब उनसे पूछती हूँ कि तुम्हारे साथ किसी मुसलमान ने कुछ बुरा किया है तो वो म मेसेजों का उदाहरण देते हैं जो व्हाट्सअप से या सोशल मीडिया से मिलते हैं।
नफरतों के इस दौर में अपने अंदर की इंसानियत जगाइए। कोई भी धर्म नफरत नही सिखाता। धर्म के ठेकेदार अपने अपने हिसाब से नफरत भरने की कोशिश करते हैं। हम आवेशों की आंधी में बहकर जो नफरत अपने अंदर पाल रहे हैं उसके क्या परिणाम होंगे वो सोचिए। जो लोग मुसलमानों से आम आदमी को नफरत पालना सीखा रहे हैं उनका खुद का रोटी बेटी का रिश्ता है मुसलमानों से।
कुछ बातें है जो आप सब के साथ बांटूंगी कोशिश करूंगी की नफ़रतें कम कर सकूं दिलों से। धीरे धीरे अपनी बात लिखूंगी…✒️

#अनुराधा सिंह 

क्रमशः….

https://jansamvadonline.com/in-context/humans-are-forgetting-humanity-2/

 

For some time, the poisoning work done continuously on religious grounds by WhatsApp University and IT Cell has started showing its color. Today I see that disease has also been linked to a particular community and it has been given religious worship. Somewhere the entry of Muslims has been banned, and somewhere they are being denied the bread of two times by beating with them by asking for their ID.I believe that the Jamaatis have done wrong which they sat down in hiding, but can you justify those Hindus who came from abroad and sat down in their homes. Are they not corona bombs? It is only the responsibility of the depositors that they had no moral obligation to stop the corona, who have brought this disease from abroad to our country as gifts. I also feel around me that hatred has become so prevalent in the minds of people that they are so enraged at seeing fake videos that they see every Muslim enemy.Analyze yourself, contemplate, look at the environment around you and then conclude whether what is being shown to us on social media is true or the propaganda of those who run our politics shop by filling us with hatred. It is not that the hate messages of WhatsApp do not reach me, but in this I will say the blessings of God that these hate gunpowder does not affect me.I am often asked at home as well as outside why you have a moderate attitude towards Muslims. They are very bad. When I ask them if any Muslim has done anything wrong with you, they give examples of messages that are found on WhatsApp or on social media.
Rekindle your inner humanity in this era of hatred. No religion teaches hate.

Religion contractors try to inflict hatred on their own. Think of the consequences of the hatred that we are carrying within ourselves in the storm of charges. Those who are teaching the common man to hate Muslims, they have their own bread-daughter (roti-beti) relationship with Muslims.
There are some things that I will try to share with you all so that I can reduce my hate from my heart. I will write my words slowly …

# Anuradha singh

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https://jansamvadonline.com/education/salute-to-jyotirao-govindrao-phule/

 

 

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