पिथौरागढ़ महाविद्यालय में पुस्तकों और शिक्षकों के लिए आंदोलन कर रहे छात्रों के समर्थन में मंगलवार को देहरादून में धरने और जनगीतों का आयोजन किया गया। विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों सहित पत्रकारों लेखकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस धरने में हिस्सा लिया।  

मैंने सभी छात्र नेताओं से आग्रह किया है कि वे प्रदेश की भावी पीढ़ी के भविष्य की सुरक्षा के लिये आगे आयें और पिथौरागढ़ के शिक्षक पुस्तक आन्दोलन का समर्थन करें। उत्तराखंड विमर्श व वनाधिकार आन्दोलन का सक्रिय समर्थन आपके इस पुनीत प्रयास के साथ है।                                                                                                                                         किशोर उपाध्याय

   कचहरी स्थित शहीद स्मारक में आयोजित इस धरने में उत्तराखंड के तमाम राजनीतिक दलों और नेताओं के नाम एक पत्र भी जारी किया गया। इस पत्र में उनसे शिक्षा के मामले में अपनी स्थिति साफ करने के लिए कहा गया कांग्रेश और वामपंथी दलों के कार्यालय में इस पत्र की प्रति रिसीव की गई लेकिन भाजपा कार्यालय में पुत्र रिसीव करने से इंकार कर दिया गया। धरना स्थल पर मौजूद लोगों को प्रेम बहुखंडी, प्रदीप सती, भार्गव चंदोला, निर्मला बिष्ट, प्रदीप भट्ट, विजय भट्ट, रेनू नेगी, तन्मय ममगाईं, हिमांशु चौहान, प्रोफेसर सचान, त्रिलोचन भट्ट ,सोनाली नेगी,सुप्रिया भण्डारी,दीपक सजवाण,महिपाल दानु, संजय कुनियाल,मनोज कुँवर,दीक्षा भट्ट सहित अनेक लोगों ने संबोधित किया वक्ताओं ने इस तरह का आंदोलन पूरे राज्य में चलाए जाने की जरूरत बताई और कहा कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को इस मामले में अपनी राय स्पष्ट करनी चाहिए। इस मौके पर प्रो. लालबहादुर वर्मा, डॉ जितेंद्र भारती, इंद्रेश नौटियाल, गुणानंद ज़खमोला, अरुण सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं और डीएवी कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया।