जनसंख्या की दृष्टि से पौड़ी जिले की कोटद्वार कोतवाली सबसे बड़ी कोतवाली में जानी जाती है। जनसंख्या अधिक होने के कारण यहां पर महिला हिंसा के मामलों में भी लगातार वृद्धि होती रही है। अगर आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2020 जनवरी से अब तक पौड़ी जिले के समस्त थानों में महिला हिंसा के कुल 66 मामले दर्ज हैं। इसमें से अकेले कोटद्वार कोतवाली में 38 मामले महिला हिंसा के दर्ज हैं। ऐसे में कोटद्वार में एक महिला थाने की मांग हो रही है।

सरकार ने पौड़ी जिले में वर्ष 2001 में महिला हिंसा के मामलों पर रोक लगाने के लिए श्रीनगर में एक महिला थाने की स्थापना की थी। महिला हिंसा के बढ़ते मामलों को देख कोटद्वार में भी महिला थाने की कमी खलने लगी। कोटद्वार कोतवाली में वर्ष 2020 में महिला हिंसा के कुल 175 शिकायतें आयी थींए जिसमें से 113 शिकायतों का पुलिस क्षेत्राधिकारी कोटद्वार ने काउंसलिंग के माध्यम से निस्तारण कर दिया है। 24 मामलों में काउंसलिंग जारी है, जबकि 38 मामलों में मुकदमा दर्ज किया गया है।

स्थानीय महिला शोभा बहुगुणा का कहना की जनसंख्या की दृष्टि से यह क्षेत्र बहुत बड़ा हो गया है। महिला हिंसा की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि महिलाओं के मामले में सुनवाई नहीं हो पाती। हमारे यहां जो पुलिस क्षेत्राधिकारी हैं उनके पास इतना समय नहीं है कि वह महिलाओं से जुड़े मामलों की सही तरीके से काउंसलिंग करवा सकें। जिस प्रकार महिला हिंसा के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं उसके लिए कोटद्वार में भी एक महिला थाना होना जरूरी हैए जिससे कि पारिवारिक विवाद और महिला काउंसलिंग के मामले समय से निपटाए जा सके।

अपर पुलिस अधीक्षक प्रदीप राय का कहना है कि जिले के सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं। प्रत्येक दिन महिला हेल्प डेस्क में महिला सब इंस्पेक्टर की तैनाती रहती है। वह महिलाओं से जुड़ी समस्याओं को सुनती हैं। इसके अलावा एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट भी कोटद्वार में स्थापित है। साथ ही महिलाओं की काउंसलिंग से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई पुलिस क्षेत्राधिकारी कोटद्वार के कार्यालय में होती है।

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