हिम्मत तेरी बढ़ती रहे, खुदा तेरी सुनता रहे। जो सामने तेरे खड़े, तू खाक में मिलाए जा। कदम-कदम बढ़ाए जा…।
देहरादून,11 जून: जब भी बात देश के सरहदों की हिफाजत की होती है तो इसमें उत्तराखंड का नाम सबसे पहले आता है। मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करना देवभूमि की पुरानी परंपरा रही है। सेना में सिपाही हो या फिर अधिकारी, उत्तराखंड का दबदबा कायम है। भारतीय सैन्य अकादमी (#आइएमए) से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर पास आउट होने वाले जेंटलमैन कैडेट की संख्या इस सच्चाई को बयां करती है। जनसंख्या घनत्व के हिसाब से देखें तो उत्तराखंड देश को सबसे अधिक जांबाज देने वाले राज्यों में शुमार है। दशकों पूर्व से ही यह परंपरा निरंतर चली आ रही है। इस बात में भी कोई अतिश्योक्ति नहीं कि उत्तराखंडी युवाओं में देशभक्ति का जच्बा कूट-कूट कर भरा हुआ है। सैन्य अकादमी में साल में दो बार यानी जून और दिसंबर में आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड में इसकी झलक देखने को मिली।
पिछले एक दशक के दौरान शायद ही ऐसी कोई पासिंग आउट परेड हो, जिसमें कदमताल करने वाले युवाओं में उत्तराखंडियों की तादाद अधिक न रही हो। यहां यह बात गौर करने वाली है कि राज्य की आबादी देश की कुल आबादी का महज 0.84 प्रतिशत है। यदि इसकी तुलना सैन्य अकादमी से शनिवार को पासआउट होने वाले 288 भारतीय कैडेटों से करें तो इसमें राज्य के सहयोग का स्तर 33 कैडेटों के साथ करीब 11 प्रतिशत है। इस मुकाबले अधिक जनसंख्या वाले राज्य भी उत्तराखंड के सामने कहीं ठहरते नहीं हैं। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के कैडेटों की संख्या भले ही सबसे अधिक 50 है, मगर इसकी तुलना वहां की आबादी के हिसाब से करें तो भारतीय सेना को जांबाज देने में अपना उत्तराखंड ही अव्वल नजर आता है, क्योंकि उप्र की आबादी का प्रतिशत देश की कुल आबादी का 16 फीसद है, जो उत्तराखंड से कई गुणा अधिक है। राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार, हरियाणा जैसे राज्य भी संख्या बल (पासिंग आउट कैडेट) में उत्तराखंड से पीछे हैं। अच्छे आचरण व पराक्रम के साथ एक योद्धा की जिम्मेदारियां निभाएं। एक सैन्य अफसर की अपने हरेक जवान के प्रति जिम्मेदारी बनती है। उसके भरोसे पर खरा उतरने की कोशिश करें। ऐसे उदाहरण स्थापित करें कि वे गर्व से आपकी ओर देखें। यही अकादमी में सिखाया भी गया है।
पासिंग आउट परेड के बाद 377 जेंटलमैन कैडेट देश-विदेश की सेना की हिस्सा बन गए। इनमें 288 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थलसेना को मिले। जबकि 89 युवा सैन्य अधिकारी आठ मित्र देशों अफगानिस्तान, भूटान, किर्गिस्तान, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका, तजाकिस्तान व तंजानिया की सेना का हिस्सा बने। इसके बाद सैन्य अकादमी के नाम देश-विदेश की सेना को 64 हजार 145 युवा सैन्य अधिकारी देने का गौरव जुड़ गया। इनमें मित्र देशों को मिले 2813 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं।
इस बार अकादमी से आठ मित्र देशों के 89 जेंटलमैन कैडेट पास आउट हुए हैं। इनमें सबसे अधिक अफगानिस्तान के 43 कैडेट शामिल हैं। पास आउट होने के बाद सात मित्र देशों के कैडेट भले ही अपने-अपने देश की सेना की मुख्यधारा में शामिल हो गए, पर अफगानिस्तान के कैडेटों के सामने असमंजस की स्थिति है। तालिबान के पिछले साल अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद यह स्थिति बनी है। क्योंकि तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद अफगान राष्ट्रीय सेना का अस्तित्व समाप्त हो गया है अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता के काबिज हो जाने के बाद कोई भी अफगान कैडेट सैन्य प्रशिक्षण के लिए आइएमए नहीं आया। इस लिहाज से मौजूदा परिपेक्ष्य में आइएमए से पास आउट होने वाला अफगान कैडेटों का यह अंतिम बैच है। सैन्य अकादमी से पास आउट होने के बाद अफगानिस्तान के ये युवा कहां जाएंगे, इसकी कोई जानकारी नहीं है। बताया जा रहा है कि विदेश मंत्रालय ही इस बावत निर्णय लेगा।
लेखक के निजी विचार हैं !
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला (दून विश्वविद्यालय )
1990 के बाद अब फ़िर शुरू हुआ कश्मीरी पंडितों का पलायन ..जानने के लिए नीछे क्लिक करें …
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