हर की पैड़ी
हरिद्वार का ये मुख्य आकर्षण है, इसे ब्रह्मकुंड भी कहलाता है. माना जाता है है, विष्णु जी खुद आया करते है, उनके पद चिन्हों को आज भी देखा जा सकता है. यहाँ गंगा जी बड़ा घाट है, इस घाट के पहले गंगा जी पहाड़ियों से नीचे आती हुई ही दिखाई देती है, ये पहला मैदानी स्थान है, जहाँ गंगा जी आती है. कुम्भ मेला व अर्द्ध कुम्भ मेला के समय ये घाट की रौनक देखने लायक होती है, उस समय ये मुख्य घाट हुआ करता है. इस घाट में अस्थि विसर्जन, मुंडन का कार्य मुख्य रूप से किया जाता है.
चंडी देवी मंदिर – यह मंदिर दुर्गा माता के रूप चंडी का है. नवरात्र व कुम्भ के समय में यहाँ भक्तों का जमावड़ा लगता है. भारत देश में मौजूद माता सती के 52 शक्तिपीठ में से ये एक है. मंदिर की मूर्ती को आदि शंकराचार्य ने बनवाया व स्थापित किया था, लेकिन मंदिर को बनवाया 1929 में कश्मीर के किसी शासक ने था. ये मंदिर नील पर्वत पर स्थित है, जो हरिद्वार से 4 किलोमीटर दूर है, यहाँ गाड़ी, टैक्सी या रोपवे के द्वारा जाया जा सकता है.

शांतिकुंज – देश में सभी जगह फैले गायत्री परिवार का ये मुख्य गढ़ है. इसे 1971 में बनाया गया था. यहाँ आश्रम भी है जहाँ कई तरह की शिक्षाएं दी जाती है.

माया देवी मंदिर – ये भी 52 शक्तिपीठ में से एक है. इसका निर्माण 11 वी शताब्दी में हुआ था. देवी सती के इस मंदिर की बहुत अत्याधिक मान्यता है, कहते है    देवी के शरीर का दिल व नाभि यहाँ गिरा था, जो कोई यहाँ कोई मन्नत मांगता है उसकी मुराद पूरी होती है.

मनसादेवी मंदिर – यह मंदिर बिलवा पर्वत जो शिवालिक पहाड़ियों में आता है, वहां स्थित है. यह मंदिर हरिद्वार से 3 किलोमीटर दूर है. इस मंदिर में मान्यता मांग कर मंदिर के पास पेड़ में धागा बांधा जाता है, कहते है इससे हर प्राथना पूरी होती है. मान्यता पूरी होने के बाद धागा खोलने के लिए फिर इस मंदिर में जाना जरुरी माना जाता है. इस मंदिर में सिर्फ रोपवे के द्वारा ही जाया जा सकता है, जिसे आम भाषा में उड़नखडोला भी कहते है.

वैष्णोदेवी मंदिर – कश्मीर के कटरा में स्थित वैष्णो देवी का मंदिर जग जग में प्रसिध्य है. उसी मंदिर के जैसे इस मंदिर को बनाया गया है. यह मंदिर भी पहाड़ी में स्थित है, जहाँ जाने के लिए वैष्णो देवी जैसे कठिन चढाई व गुफाओं से होते हुए जाता पड़ता है.

पावनधाम – यह मंदिर अपने अनोखी व अलग तरह की कलाकृति के लिए जाना जाता है. इस मंदिर में मूर्तियों को कांच व आईने से दिवार पर बनाया गया है. इस मंदिर को 1970 में स्वामी वेदांता जी महाराज के द्वारा बनाया गया था.

विष्णुघाट – कहते हैं यहाँ स्वयं भवान विष्णु ने स्नान किया था. इस घाट की मान्यता है कि यहाँ नहाने से सारे पाप मिट जाते है. पुरे हरिद्वार में सबसे अधिक लोग इसी घाट में जाते है.

भारतमाता मंदिर – भारत देश का एकलौता ऐसा मंदिर जहाँ भारत माता को मूर्ती के रूप में पूजा जाता है. इस मंदिर का निर्माण 1983 में स्वामी सत्यमित्रानंद द्वारा किया गया था. मंदिर का उद्घाटन इंदिरा गाँधी ने किया था. मंदिर में 8 मंजिल है, हर एक मंजिल में अलग अलग देवी देवता, स्वतंत्रता संग्रामी की मूर्ती व फोटो है, साथ ही यहाँ भारत के इतिहास के बारे में कुछ अनजानी बातें भी पता चलती है. भारतीय इतिहास का यहाँ अच्छा संग्रहालय है.

दूधाधारी-बर्फानीमंदिर – यह मंदिर बर्फानी बाबा के द्वारा उनके आश्रम में बनाया गया था. इस मंदिर को सफ़ेद संगरमर से बनाया गया है, जहाँ सभी देवी देवताओं के मंदिर मौजूद है.

चीला-अभयारण्य – हरिद्वार से 11 किलोमीटर दूर ये अभयारण्य पर्यटकों का मुख्य आकर्षण है. धार्मिक मंदिर से दूर ये प्रकति की सैर कराता है, जहाँ कई तरह जंगली जानवर देखने को मिलते है.

सप्तऋषि आश्रम – यहाँ सात ऋषि बैठ कर एक साथ तप आराधना किया करते थे. इसे सप्तऋषि कुंड भी कहते है.

पारद शिवलिंग – इस शिवलिंग 150 किलो का है. यहाँ महाशिवरात्रि में मेला लगता है, यहाँ रुद्राक्ष का पेड़ है, जिसे देखने मुख्य रूप से लोग यहाँ जाते है.

  हरिद्वार में धार्मिक शांति के साथ प्रकति के कई रूप देखने को मिलेंगें. यहाँ लोग मन की शांति के लिए जाते है. विदेश से सेनानी यहाँ जाते है, और हिन्दू धर्म में लीन हो जाते है और उसे ही अपना लेते है.

जय उत्तराखंड