देहरादून, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व सीएम हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने रविवार को केंद्र और राज्य सरकार पर दोहरा हमला बोला। सुबह परिवर्तन यात्रा का कार्यक्रम जारी करते हुए प्रीतम ने भाजपा सरकारों पर जनता से छल करने का आरोप लगाया। वहीं, शाम को रावत ने गंगा की अविरलता के लिए आंदोलन करने वाले संतों की मौत और गुमशुदगी को मुद्दा बनाते हुए केंद्र-राज्य सरकार को कठघरे में किया।
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मनोज रावत व हरीश रावत |
हरीश रावत ने कहा कि गंगा की अविरलता के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं के दिल्ली मार्च में कांग्रेस भी भागीदारी करेगी। वर्तमान केंद्र सरकार गंगा के बजाए गंगा भक्तों के सफाया करने में लगी है। कुछ समय पहले ही स्वामी सांनद और निगमानंद सरस्वती गंगा की रक्षा के रहस्यमयी ढंग से मौत का शिकार हो चुके हैं। अब स्वामी नागनाथ, गोपालदास रहस्यमय तरीके से गायब हैं। अब ब्रह्मचारी आत्मबोधनंद के उपवास को 89 दिन हो चुके हैं। पर, सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। गुमशुदा संतों को तलाशा तक नहीं जा रहा। भाजपा पापी नहीं बल्कि महापापी है।
गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण का श्रेय लेते हुए रावत ने कहा कि वर्ष 1992 और फिर 2010 में कांग्रेस ये प्रस्ताव लाई थी। पर, न्यायिक स्तर पर ये मंजूर नहीं हो पाए। मोदी सरकार के प्रस्ताव को कांग्रेस ने समर्थन दिया है, पर देश में बेरोजगारी बढ़ाने का जो पाप केंद्र सरकार ने किया है, उसके लिए उसे माफ नहीं किया जा सकता। इस सरकार ने तीन करोड़ सरकारी नौकरियों को मृत घोषित किया। विभिन्न विभागों में रिक्त 24 लाख पदों पर भर्ती नहीं की जा रही है। रावत ने राज्य सरकार पर उत्तराखंडियत की हत्या करने का आरोप लगाते हुए कहा कि गैरसैंण में बजट सत्र न करना और सचिवालय की मंजूरी के बावजूद वहां मिनी सचिवालय बनाना इसे साबित करता है। 11 फरवरी से शुरू होने वाले सत्र के दौरान रावत गन्ना किसानों के मुद्दे पर विधानसभा के समक्ष उपवास भी करेंगे।