पेशवाई में शामिल संत।

हरिद्वार, हरिद्वार में बैरागी अखाड़े की तीनों अणियों (श्रीपंच निर्मोही अणि अखाड़ा, श्री पंच दिगंबर अणि अखाड़ा और श्री पंच निर्वाण अणि अखाड़ा) की भव्य पेशवाई मंगलवार को धूमधाम से निकाली गई। पेशवाई महंत दुुर्गादास वैष्णव शक्ति भवन से शुरू होकर भूपतवाला, खड़खड़ी, भीमगोडा, अपर रोड, कोतवाली रोड, सुदर्शनन आश्रम, बाल्मीकि चैक, तुलसी चैक, शंकराचार्य चैक से महानिर्वाणी अखाड़ा की छावनी के सामने से पहाड़ी बाजार होते हुए बैरागी कैंप में जाकर संपन्न हुई।
पेशवाई में सबसे आगे हाथी था। इसके बाद घोड़ों पर बैरागी संत सवार थे। बैरागी संतों के बाद तीनों अणियों के प्रमुख पैदल ही चल रहे थे। उनके पीछे चल रहे संत हनुमानजी महाराज की ध्वजा लेकर चल रहे थे। इसके बाद झांकियों व बैंडों की मनमोहक प्रस्तुति लोगों का मन मोह रही थी। अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास ने कहा कि विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की धरोहर है और वैष्णव संत कुंभ मेले की शान हैं। अस्त्रों-शस्त्रों का शानदार प्रदर्शन करते हुए बैरागी अखाड़ा की तीनों अणियों की मंगलवार को नगर प्रवेशशाही (पेशवाई) निकाली गई। संतों के अस्त्र-शस्त्र प्रदर्शन को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने संतों के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। संतों की पेशवाई पर हेलीकॉप्टर से लगातार पुष्प हुई।जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि कुंभ मेले का विशाल आयोजन पूरे विश्व के लिए एक सकारात्मक धर्म का संदेश प्रसारित करता है। अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास ने कहा कि कुंभ मेले के दौरान देश दुनिया से आने वाले तपस्वी संत अपने अनंत ज्ञान के द्वारा आमजन में आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार करते हैं। अखिल भारतीय श्रीपंच दिगंबर अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत कृष्णदास नगरिया ने कहा कि श्रद्धा से परिपूर्ण और मनोहारी पर्व कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की पहचान है। विदेशी श्रद्धालु भी कुंभ मेले की आलौकिक की छवि से प्रभावित होकर सनातन धर्म अपना रहे हैं। जो भारत के लिए गौरव की बात है। श्रद्धालुओं ने ऊंट पर सवार 20 फीट लंबी जटाओं वाले संत के साथ जमकर सेल्फी ली। बाबा ने भी भक्तों की इच्छा को पूरी करते हुए उसके साथ सेल्फी ली और उन्हें आशीर्वाद दिया। पेशवाई के दौरान आतिशबाजी का नजारी भी देखने को मिला। पेशवाई में पहली बार मां गंगा की झांकी भी शामिल रही। कृत्रिम मगरमच्छ पर एक बालिका को मां गंगा का स्वरूप देकर बैठाया गया था