राज्यपाल से मुलाकात करते नार्वे के राजदूत। |
–फिशरीज, ऊर्जा और ग्रीन टेक्नाॅलाजी के क्षेत्र में नार्वे के उत्तराखण्ड में निवेश की संभावनाएं
देहरादून, उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से बुधवार को राजभवन में नार्वे के राजदूत नील्स रैगनार कैम्सब ने शिष्टाचार भेंट की। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि नार्वे का एक्वा कल्चर, ऊर्जा क्षेत्र और ग्रीन टेक्नाॅलाजी में बड़ा नाम है। उन्होंने कहा कि नार्वे की कम्पनियों के लिए फिशरीज, जल विद्युत तथा सौर ऊर्जा और ग्रीन टेक्नाॅलाजी के क्षेत्र में उत्तराखण्ड में निवेश हेतु अच्छा माहौल है। उत्तराखण्ड राज्य इन्वेस्टर फ्रेण्डली स्टेट है और यहाँ निवेशकों के लिए सिंगल विण्डो सिस्टम संचालित किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतियाँ लाई गई हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि नार्वे के राजदूत के दौरे से उत्तराखण्ड और नार्वे के मध्य संबंधो को बढ़ावा मिलेगा।
भारत में नार्वे के राजदूत श्री रैगनार ने बताया कि भारत के साथ नार्वे के व्यापारिक संबंध और मजबूत हो रहे हैं। पहले मूलतः महाराष्ट्र और गुजरात में केन्द्रित रहने वाली नार्वे की कम्पनियों ने अब उ0प्र0, उत्तराखण्ड में भी रूचि दिखानी शुरू कर दी है। वर्तमान में नार्वे की 140 कम्पनियाँ भारत के विभिन्न राज्यों में निवेश हेतु इच्छुक हैं। नार्वे ने रन आॅफ द रिवर फिशरीज टेक्नाॅलाजी में अच्छा कार्य किया है। नार्वे की तकनीकि से जल के कम प्रयोग द्वारा उच्च गुणवत्ता का मत्स्य पालन हो सकता है। इसके साथ ही नार्वे द्वारा जल विद्युत और सौर ऊर्जा में भी उच्च तकनीकि विकसित की गई है। उन्होंने बताया कि सर्वे आॅफ इंडिया तथा आई.आई.टी रूड़की के साथ नार्वे का शोध गुणवत्ता के क्षेत्र में समझौता भी है। वाहन परिचालन में नार्वे में वर्तमान में 50 प्रतिशत से अधिक कारें धुंआ रहित हो गई हैं। नार्वे 2025 तक अपने सभी वाहनों को ग्रीन टेक्नाॅलाजी के प्रयोग द्वारा धुंआ रहित कर देगा। राज्यपाल ने राजदूत को स्मृति चिह्न के रूप में श्री ब्रदीनाथ मंदिर की अनुकृति तथा रूद्राक्ष की माला भेंट की। इस अवसर पर नार्वे एम्बैसी की सेकेण्ड सेक्रेटरी मार्टा गोज, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल, परिसहाय राज्यपाल मेजर मुदित सूद भी उपस्थित रहे।