देहरादून, 21अप्रैल: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के 10% क्षैतिज आरक्षण को लेकर आंदोलनकारी संयुक्त मंच के तत्वावधान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस, उत्तरांचल प्रेस क्लब देहरादून के सभागार में आयोजित की गई।
आंदोलनकारियों ने सरकार द्वारा माननीय कृषि मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में गठित मन्त्रिमण्डलीय उप समिति की सिफारिशों को मंजूरी दिये जाने का स्वागत करते हुए इस बात पर निराशा व्यक्त करी कि 13 मार्च को गैरसैंण में आयोजित कैबिनेट बैठक को हुये एक माह से अधिक का समय बीत चुका है। परंतु अब तक धरातल पर कुछ भी ठोस होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा।
आंदोलनकारियों ने कहा कि वह सरकार से कई दौर की बातचीत कर चुके हैं। एक बार 42 दिनों तक धरना दे चुके, मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर चुके। परन्तु अभी तक आश्वासन अथवा सहमति के अतिरिक्त हमारे हाथ कुछ भी नहीं आया है। हमारी समझ में यह नहीं आ रहा है कि नौकरशाही सरकार को गुमराह कर रही है या फिर सरकार स्वयं ही भ्रम की स्थिति में है ? आंदोलनकारियों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा जो स्वयं कानून के अच्छे जानकार हैं, की सबल पैरवी के बाद भी पत्रावली का इधर– उधर झूलना समझ से परे हैं। नौकरशाहों द्वारा मुख्यमंत्री समेत पूरी कैबिनेट के आदेश को भी ठंडे बस्ते में डालने का सम्भवतः यह पहला उदाहरण होगा।
आंदोलनकारियों ने पत्रकार वार्ता के दौरान सरकार से पूछा कि वह (सरकार) स्पष्ट करें कि वह कब तक आंदोलनकारियों को बहलाने का कार्य करती रहेगी ? अगर वास्तव में वह इस मुद्दे पर गंभीर है तो 15 दिन के अंदर कोई ठोस कार्रवाई करके दिखाए, अन्यथा हम लोग पुनः आंदोलन की राह पर जाने को विवश होंगे।
प्रैस वार्ता को संबोधित करने वालों में क्रान्ति कुकरेती,डीएवी महाविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पोखरियाल(पप्पू), मोहन रावत, अम्बुज शर्मा आदि आंदोलनकारी थे।
पत्रकार वार्ता के दौरान पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष विजय प्रताप मल्ल,आशीष उनियाल,हरदीप सिंह लक्की, विनोद असवाल, प्रताप सिंह, मनोज कुमार, वीरेन्द्र रावत,राम किशन, आदि आंदोलनकारी मौजूद थे।