देहरादून, गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के नेतृत्व में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी, देहरादून को अधिकृत राज्य धरना स्थल के विषयागत एक ज्ञापन सौंपा और समस्याओं का समाधान किये जाने की मांग की गई।
इस अवसर पर सर्व संगठनों द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन में कहा गया है कि प्रदेश की स्थाई व पूर्णकालिक राजधानी गैरसैण बनाने की मांग को लेकर गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान के तत्वावधान में आंदोलनकारी क्रमिक धरने पर बैठे हुए हैं। व दृढ़ संकल्परत हैं कि जब तक गैरसैंण राजधानी का प्रश्न हल नहीं होता है हम संघर्ष में बने रहेंगे।
ज्ञापन में कहा गया है कि संघर्ष पर अनेकों जन संगठन अपनी लोकतांत्रिक मांगों को सरकार तक पहुॅंचाने के लिए धरना व अनशन चलाते आ रहे हैं परंतु अधिकृत राज्य धरना स्थल की स्थिति ठीक उसी प्रकार से लचर व दयनीय है, जिस प्रकार से उत्तराखंड प्रदेश है।
ज्ञापन में कहा गया है कि अधिकृत राज्य धरना स्थल पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है व यहॉं पर नित-प्रतिदिन साफ-सफाई की कोई भी सुचारु व्यवस्था नहीं है। ज्ञापन में कथन किया गया है कि अधिकृत राज्य धरना स्थल अवैध पार्किंग का अड्डा बन चुकी है। यहॉं अकसर देखा जाता है कि गाडियॉं इत्यादि तक रिपेयर आदि होती रहती हैं। जो कि दिनभर धूल और धुऑं उडाती हैं जिससे अनशनकारी एक तरफ तो राज्य व्यवस्था की उपेक्षा से पीड़ित हैं तो दूसरी ओर व्यवस्थापन की कमी की मार अलग से और झेल रहे हैं। इस ज्ञापन में बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत का मखौल भी अधिकृत राज्य धरना स्थल पर खूब उड़ रहा है। राहगीरों और रात्रि में पार्किंग करने वालों के लिए यह खुले में शौच का अड्डा बना हुआ है। इसके अतिरिक्त देर रात्रि अधिकृत राज्य धरना स्थल पर शराब-नशाखोरी और व्याभिचार भी जोरों पर चल रहा है।
ज्ञापन में कहा गया है कि नगर निगम की गाडियॉं जब भी सड़क पर अवैध रेहडियों आदि पर कारवाई करने पहुॅंचती है तो अधिकृत राज्य धरना स्थल उनके लिए शरणास्थली बन जाती है व यहॉं पर भी अतिक्रमण होने लगा है। इन सब हालात के मददेनजर सभी संघर्षरत संगठनों में गहरा रोष व्याप्त हो रहा है। अधिकृत राज्य धरना स्थल पर दैनिक सफाई-व्यवस्था व कूड़ा उठान की ठोस व्यवस्था निर्देशित करना, अवैध पार्किंग से मुक्त करवाना, संघर्षकारियों व उनको समर्थन देने आने वाले लोगों हेतु समुचित बिजली व पानी के व्यवस्थापन की व्यवस्थाननिर्मित करना, अधिकृत राज्य धरना स्थल पर कम से कम चार शौचालय (दो पुरुष वर्ग व दो महिला वर्ग प्रयोग हेतु) निर्मित करना ताकि नेचर कॉल की दशा में किसी को भी खुले शौच जैसी विभत्सता से न गुजरना पड़े, रात्रि में पुलिस गश्त नियमित करना ताकि आपराधिक तत्वों व नशेड़ियों के लिए यह अपराधिक अड्डा न बन जाए व अधिकृत राज्य धरना स्थल के चारों ओर पक्की बाउंड्री वाल निर्मित करने व मुख्य द्वार पर गेट लगाने की मांग की गई है। ज्ञापन में एक महत्वपूर्ण सुझाव यह दिया गया है कि चूंकि अधिकृत राज्य धरना स्थल पर संघर्ष के लिए प्रयासरत सभी संगठन अपनी मांगों के लिए यहॉं पर आते व बैठते हैं, अतः उनकी आवाज को शासन व नीति नियंताओं तक पहंचाने हेतु प्रत्येक माह में कम से कम दो बार नियत तिथि पर विशेष कैंप शासन व प्रशासन की ओर से यहॉं पर लगाएं जाए, ताकी समस्या निवारण पर प्रगति हो व ठोस हल उचित मांगों पर प्राप्त किए जा सकें। सर्व संगठनों के ज्ञापन में कहा गया है कि अधिकृत राज्य धरना स्थल हेतु एक प्रबंधकारिणी समिति का गठन किया जाए जिसमें सर्व संघर्षरत रहने वाले संगठनों के दो-दो सदस्य प्रतिनिधि के रुप में हों व इसमें जिला प्रशासन का एक अधिकारी, नगर प्रशासन का एक अधिकारी, पुलिस प्रशासन का एक अधिकारी, संबंधित थाना क्षेत्र का एक अधिकारी हो ताकी अधिकृत राज्य धरना स्थल हेतु सुचारु व्यवस्थापन सृजित हो सके। सर्व ज्ञापनकत्र्ता संगठनों में गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान, बीपीएड एवं एमपीएड बेरोजगार संगठन, बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन, उत्तराखंड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र संविदा आउटसोर्स संघर्ष समिति, एस.एस.बी. (गुरिल्ला) संगठन, बेरोजगार संघ, शिक्षा प्रेरक संगठन, ग्राम प्रहरी संगठन, आरटीआई लोक सेवा, उत्तराखंड राज्य चिन्हित आंदोलनकारी संगठन, जनसेवा मंच, उत्तराखंड अगेंस्ट करप्शन, सेवानिवृत्त चिकित्सा कर्मचारी संघ, नेताजी संघर्ष समिति सम्मिलित रहे। इस अवसर पर मनोज ध्यानी, लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, शीला रावत, सुरेश नेगी, जबर सिंह पावेल, प्रवीन गुसांई आदि रहे।