उत्तरकाशी, विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट सोमवार दोपहर 11.40 बजे विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इसके साथ ही मां गंगा की उत्सव डोली शीतकालीन पड़ाव मुखीमठ (मुखवा) के लिए रवाना हो गई। वहीं, 29 अक्टूबर को भैया दूज के दिन केदारनाथ और यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे। 17 नवंबर को बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने हैं। इसके साथ ही चारधाम यात्रा का समापन हो जाएगा।
चारधाम यात्रा अब समापन की ओर है। सोमवार को अन्नकूट पर्व के शुभ मुहूर्त पर गंगोत्री धाम में सुबह 8.30 बजे उदय बेला पर मां गंगा के मुकुट को उतारा गया। इस बीच श्रद्धालुओं ने मां गंगा की भोग मूर्ति के दर्शन किए। इसके बाद अमृत बेला, स्वाती नक्षत्र प्रीतियोग शुभ लग्न पर ठीक दोपहर 11.40 बजे पर कपाट बंद किए गए। इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने विशेष पूजा व गंगा लहरी का पाठ किया। डोली में सवार होकर गंगा की भोगमूर्ति जैसे ही मंदिर परिसर से बाहर निकली तो पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा। वीं बिहार रेजिमेंट के जवानों के बैंड की धुन और परंपरागत ढोल दमाऊं की थाप के साथ तीर्थ पुरोहित गंगा की डोली को लेकर शीतकालीन प्रवास मुखवा गांव के लिए पैदल रवाना हुए। रात्रि विश्राम के लिए गंगा जी की डोली मुखवा से चार किमी पहले चंदोमति के देवी के मंदिर में पहुंची। यह मंदिर एक शिला के ऊपर है। मान्यता है कि चंड और मुंड नाम के दंत्यों का वध कर माता चंदोमति ने इसी शिला के नीचे दबा दिए थे। 29 अक्टूबर की सुबह गंगा जी की डोली चंदोमती माता मंदिर से मुखीमठ स्थित गंगा मंदिर में पहुंचेगी। गंगोत्री के कपाट बंद होने के बाद अब देश-विदेश के श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास मुखवा में कर सकेंगे। यहीं आगामी छह माह तक मां गंगा की शीतकालीन पूजा होगी। कपाट बंद होने के अवसर पर कुपड़ा गांव से शेषनाग देवता की डोली तथा स्यालना से भगवती की डोली भी गंगोत्री पहुंची।
कपाट बंद होने के दौरान गंगोत्री विधायक गोपाल रावत, गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल, सह सचिव राजेश सेमवाल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य कुलदीप बिष्ट, गंगोत्री व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष सतेन्द्र सेमवाल, डीएम डॉ आशीष चोहान आदि मौजूद थे।