देहरादून। सीसीटीवी फुटेज एक इलेक्ट्रानिक रूप में उपलब्ध रिकार्ड है, जिसे सूचना अधिकार के तहत मांगे जाने पर दिये जाने से तब तक इंकार नहीं किया जा सकता जब तक कि वह राज्य की संप्रभुता, सुरक्षा एवं किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए खतरा न हो।
लोक सूचना अधिकारी को सुरक्षा एवं संप्रभुता के लिए खतरे की दलील देते हुए सूचना अधिकार अधिनियम की धारा (8) का उल्लेख करते हुए सूचना देने से इंकार किये जाने से पूर्व वांछित वीडियो फुटेज को पृथक से संरक्षित रखा जाना चाहिए।
सूचना अधिकार के अंतर्गत वांछित फुटेज को बिना संरक्षित किये आवेदक को देने से मना किये जाने का कोई औचित्य नहीं, ऐसा इंकार लोक सूचना अधिकारी की सूचना अधिकार के प्रति सदमंशा पर सवाल है एवं साक्ष्य छिपाने/मिटाने का अपराध है। राज्य सूचना आयोग ने सूचना अधिकार के अंतर्गत सीसीटीवी फुटेज की सूचना पर एक निर्णय में यह स्पष्ट करते हुए हरिद्वार के खाद्य विभाग के लोक सूचना अधिकारी पर सीसीटीवी फुटेज संरक्षित किये बिना देने से इंकार किये जाने पर 25 हजार रूपये का जुर्माना लगाते हुए सूचना अधिकार के अंतर्गत मांगी गयी सीसीटीवी फुटेज को अधिनियम के प्राविधान के अनुसार द्वितीय अपील की समय सीमा तक संरक्षित रखे जाने हेतु अवगत कराया है।
रूड़की, जनपद हरिद्वार निवासी उदयवीर सिंह ने अनुरोध पत्र दिनांक 02/06/2023 के माध्यम से जिला पूर्ति अधिकारी, हरिद्वार के कार्यालय में लगे Hसीसीटीवी कैमरे की दिनांक 25.05.2023 समय 10 बजे से 3 बजे तक की रिकार्डिंग मांगी गयी थी, जिसके सापेक्ष लोक सूचना अधिकारी के रूप में श्रीमती पूनम सैनी द्वारा दिनांक 04/07/2023 को अपीलार्थी को सूचना प्रेषित की गयी है, जिसमें सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8(1)(छ) का उल्लेख करते हुए सूचना देने की बाध्यता नहीं है का उल्लेख किया गया है।
वांछित फुटेज को संरक्षित रखे बिना अधिनियम की धारा (8) को आड़ बनाकर सीसीटीवी फुटेज देने से इंकार करना साक्ष्य को मिटाने जैसा है। यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी भी लोक प्राधिकार में सूचना अधिकार के अंतर्गत सीसीटीवी फुटेज के लिए इंकार किये जाने से पूर्व सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत द्वितीय अपील की समय सीमा तक अनिवार्य रूप से संरक्षित किया जाना चाहिए। समस्त लोक प्राधिकरणों को इस संबंध में लोक सूचना अधिकारियों को विधिवत निर्देशित भी किया जाना चाहिए।
प्रस्तुत अपील में गत सुनवाई पर जारी कारण बताओ नोटिस के सापेक्ष श्रीमती पूनम सैनी, तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण को संतोषजनक एवं सूचना अधिकार अधिनियम के अनुरूप न पाते हुए समग्र परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त श्रीमती पूनम सैनी, तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी पर रू0 25,000/- (रूपये पच्चीस हजार) की शास्ति इस चेतावनी के साथ अधिरोपित की कि भविष्य में वह सूचना अधिकार अधिनियम के प्राविधानों के प्रति सजग रहें।