मेरी सरकार ! कोई भी देश झंडे लगाए या उतारे जाने से बदनाम नहीं होता।
देश बदनाम होता है जब एक जज 12 साल की बच्ची के कपड़ों पर अश्लील तरीके से हाथ फेरे जाने को यौन उत्पीड़न मानने से इन्कार करते हुए यह निर्णय देता है कि इसमें त्वचा का सम्पर्क नहीं हुआ है।
देश बदनाम होता है जब एक सुप्रीम कोर्ट एक ढांचे को तोड़ना तो गलत मानती है लेकिन निर्णय उसे तोड़ने वालों के पक्ष में देती है।
देश बदनाम तब होता है जब एक दलाल पत्रकार प्रधानमंत्री का नाम लेकर 44 सौनिकों के मारे जाने का जश्न मनाता है।
देश बदनाम तब होता है जब संसद में एक अल्पसंख्यक सांसद के शपथ ग्रहण में बहुसंख्य अपने धर्मिक नारे लगा कर व्यवधान उतपन्न करते हैं।
देश बदनाम तब होता है जब एक सांसद लगातार राष्ट्रपिता के हत्यारों को सच्चा देशभक्त बताती है।
देश बदनाम तब होता है जब उसका मुखिया आत्ममुग्ध होता है, मंत्रिमण्डल चापलूसों से भरा होता है और मीडिया मुँह में हड्डी दबाए घूम रहा होता है।
देश बदनाम तब होता है जब एक बलात्कार पीड़ित बेटी का अंतिम संस्कार रात के अंधेरे में संगीनों के साए में कर दिया जता है।
देश बदनाम तब होता है जब लाखों की आवाज़ कुछ अमीरों के हितों के लिए तंत्र के बूट के नीचे कुचल दी जाती है।
देश बदनाम होता है जब गरीबी छुपाने के लिए गरीब बस्तियां दीवारों के पीछे चुनवा दी जाती हैं।
देश बदनाम होता है जब बलात्कार धर्म की आड़ में सही या गलत ठहराए जाते हैं।
देश बदनाम होता है जब लाखो मज़दूर एक सनकी की सनक के चलते हज़ारों किलोमीटर पैदल चलने पर मजबूर किये जाते हैं।
देश बदनाम तब होता है जब विक्टोरिया मेमोरियल के बाहर धार्मिक नारे लगाए जाते है। हाई कोर्ट के ऊपर से देश का झंडा हटा कर पार्टी का झंडा लगाया जाता है।
कोई भी देश झंडे लगाए या उतारे जाने से बदनाम नहीं होता।
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साभार -अज्ञात