देहरादून, प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने नववर्ष पर अपने आवास पर बच्चों को गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा पढ़ाने का कार्यक्रम शुरू किया है। गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा की ये कक्षाएं नियमित रूप से चलेंगी। मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि उनके आवास पर रोजाना शाम को 4 से 5 बजे तक बच्चों को गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी पढ़ाई जाएगी। दून मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. एमके पंत कुमाऊंनी और कारोबारी विनोद चैहान जौनसारी पढ़ाएंगे।।
देहरादून में कोटला नवादा स्थित अपने आवास पर उन्होंने गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा ज्ञान के लिए यह कक्षाएं शुरु की हैं। श्री नैथानी ने कहा कि शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने प्रदेश की स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा को जोड़ने की पहल की थी। हालांकि आचार संहिता लगने के कारण वह इस अभियान को आगे नहीं बढ़ा पाए। उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल से वह सोच रहे थे कि सरकार इस दिशा में कोई पहल करेगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। जिसके कारण उन्हें खुद गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा को संरक्षण देने के लिए आगे आना पड़ा। उन्होंने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली को शामिल कराने के लिए प्रदेश स्तर पर इस तरह की कक्षाओं के आयोजन की योजना बना रहे हैं।
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प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री व गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी बोली भाषा संवर्द्धन अभियान के संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा है कि आज के परिवेश में हमें अपनी भाषा के संरक्षण व संवर्द्धन की आवश्यकता है और इसके लिए सभी को एकजुटता का परिचय देते हुए आगे आने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से रोजगार के लिए युवा वर्ग पहाड़ों से पलायन कर रहा है और ठीक उसी प्रकार से आज हम अपनी बोली भाषा को न बोलकर पलायन की स्थिति में ले गये हैं। गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी बोली भाषा संवर्द्धन के लिए उनकी ओर से एक पहल की गई है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा जो गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी बोली भाषा संवर्द्धन की कक्षायें संचालित की जा रही हैं वह प्रतिदिन सांय चार बजे से पांच बजे तक चलेगी और इसमें भाषा विशेषज्ञ बच्चों को गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी बोली भाषा को लिखना, पढ़ना व बोलना सिखायेंगें। उन्होंने कहा कि गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी बोली भाषा संवर्द्धन के लिए कक्षाआंे का शुभारंभ किया है और इसकी शुरूआत परिवार के बच्चों से की जा रही है क्यांेकि जब परिवार में सभी गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी बोली भाषा का प्रयोग करेंगें तो बच्चों में भी इस संस्कृति का विकास होगा और माता पिता अपनी भाषा नहीं बोल रहे है इससे संस्कृति समाप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी बोली भाषा संवर्द्धन की आवश्यकता है। इन बोलियों को आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि युवक व युवतियां विवाह समारोहों के मौके पर गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी गीतों पर नृत्य करते हैं लेकिन जब उनसे उस गीत का अर्थ पूछा जाता है तो वह कुछ बताने में असमर्थ होते हैं। केवल रिदम में थिरकने तक ही सीमित है। इस अवसर पर डा. एमके पंत, शौर्य बिष्ट, श्री नैथानी के जनसंपर्क अधिकारी इन्द्रभूषण बडोनी, उत्सव नैथानी, कुहू सेमवाल, उन्नति मैठाणी, शिवांश, आलोकपति मैठाणी, अनवेशा नैथानी,आशीष उनियाल,विजयेश नवानी,अखिल गढ़वाल सभा के अम्बुज शर्मा,पूर्व मुख्य मंत्री के विशेष कार्यधिकारी आनंद बहुगुणा, विक्रम गुसाईं, एवं राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती आदि उपस्थित रहे।