फोल्क्ससफैनर (Folksfanner ) रेडियो
फोल्क्ससफैनर (Folksfanner )
रेडियो

हिटलर के प्रचार मंत्री डॉक्टर गोयबल्स द्वारा वर्ष 1933 में फोल्क्ससफैनर नाम के एक रेडियो का वृहद् स्तर पर उत्पादन करवाया गया. उस ज़माने में इस जनता-रिसीवर अथवा रेडियो की कीमत मात्र 35 मार्क थी जो की एक सामान्य कामगार की एक हफ्ते की ध्याड़ी के बराबर पड़ती थी. यह रेडियो फुटकर बाज़ार में किश्तों पर भी उपलब्ध था. इस रेडियो में लगे रिसीवर मात्र उन्ही स्टेशनों को पकड़ते थे, जिनपर हिटलर के प्रचार मंत्री के कार्यक्रम चौबीसों घंटे चला करते थे…. आम जनमानस को यहूदियों के खिलाफ सड़कों पर उतारने और जर्मन राईस के हज़ार साल के साम्राज्य की स्थापना हेतु युद्ध उन्माद फैलाने में इस जनता रेडियो की बड़ी भूमिका रही. नाज़ी शासनकाल में फोल्क्ससफैनर “सच” बताने का एकमात्र अधिकारिक स्रोत बना दिया गया था. यह रेडियो चौबीसों घंटे आम जर्मन नागरिक को वह समझाने में लगा रहता… जो नाज़ी नेतृत्व जनता को समझाना चाहता था. नाज़ी प्रोपेगंडा से इतर सोचना देशद्रोह बना दिया गया था और राष्ट्रप्रेम का ऐसा आतंक पैदा कर दिया गया था कि हर गली – मुहल्ले और यहाँ तक की घर -घर  में मुखबिर पैदा हो गए, जो नाज़ी विचारधारा से इत्तेफाक न रखने वालों की मुखबरी करने का काम करते थे. जो नाज़ी विचारधारा से सहमत नहीं थे उन्हें दिमागी रूप से बीमार बताते हुए उनके इलाज़ के लिए तब बाकायदा डिटेंशन सेंटरों की स्थापना की गयी थी.

वर्तमान परिपेक्ष्य में इसका महत्व समझने के लिए इसकी क्रोनोलोजी पर विशेष ध्यान दिया जाना जरुरी है. बहरहाल ये उन्माद 10-12 सालों में ही जड़ से ख़त्म हो गया. लेकिन अपने यौवन में इस जहर का इतना ताब था कि इसे मिटाने के लिए पूरी दुनिया को एक विश्व युद्ध झेलने को मजबूर होना पड़ा. वह इतिहास का एक काल था जिसमें हर घर पर रखा रेडियो, जनता के दिमाग में गोबर भरने का काम कर रहा था जिसकी सडांध उन्हें अपने को मास्टर रेस समझने, यहूदियों को दोयम दर्जे का परजीवी और जर्मनी की हर समस्या के लिए जिम्मेवार कौम और यहाँ तक की आर्य कन्याओं को मात्र आर्य संतति को बढ़ाने हेतु बच्चे पैदा करने की मशीन के रूप में मानसिक रूप से तैयार करने का कार्य कर रही थी. विभिन्न सरकारी विभाग और परियोजनाएं कथित वैज्ञानिक पद्दति के आधार पर यह साबित करने हेतु प्रयोग एवं आंकड़े एकत्र कर रहे थे जिससे आम जर्मन नागरिक के दिमाग में उसके मास्टर रेस होने का भ्रम स्थापित किया जा सके. उधर 1938 के एक नाज़ी शासनादेश के अंतर्गत यहूदी पुरुषों को अपने नाम से शुरू में इजराइल और महिलाओं को सारा जोड़ने के लिए निर्देशित किया गया था.

दूसरे विश्व-युद्ध ने नाज़ी विचारधारा का संहार सुनिश्चित किया हालाँकि इसके बीज तब तक दुनियां के उन इलाकों में बिखर चुके थे जहाँ साम्राज्यवाद से मुक्ति का संघर्ष चल रहा था. मित्र राष्ट्रों द्वारा युद्ध अपराधियों पर मुकदमे चलाने हेतु स्थापित न्यूरमबर्ग की अदालत में हिटलर के हथियार उत्पादन मंत्रालय चलाने वाले वास्तुविद अल्बर्ट स्पीयर ने अपने बयान में कहा था कि “पूर्ववर्ती निरंकुश तानाशाहों से हिटलर की डिक्टेटरशिप में एक बुनियादी फर्क था. तकनीकि युग में हिटलर पहला तानाशाह था जिसने समस्त तकनीकि संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल अपने देश पर अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए किया. इस तरह रेडियो तथा लाउड स्पीकर जैसे उपकरणों द्वारा आठ करोड़ जर्मन नागरिकों को स्वतंत्र चिंतन से वंचित रखते हुए मात्र एक व्यक्ति की सोच का गुलाम बना दिया गया.

#सुनील कैंथोला

https://jansamvadonline.com/in-context/poverty-in-humans-or-humans-in-poverty/

In 1933, a radio named Folksfanner was mass produced by Hitler’s propaganda minister, Dr. Goebbels. This radio used to be able to convince the common German citizen round the clock … which the Nazi leadership wanted to explain to the public. Thinking beyond the Nazi propaganda was made treason and such a terror of national love was created that informants were born in every street and neighborhood,Those who used to do the work of informing those who did not agree with Nazi ideology. Detention centers were then set up to treat those who did not agree with the Nazi ideology as mentally ill. Special attention needs to be given to its chronology to understand its importance in the current context. However, this craze ended in root in 10-12 years. But there was so much of this poison in his youth that the entire world was forced to face a world war to erase it…..

 

#propaganda_minister #folkusfanner_radio #treason #national_terror#terror #nazi_ideology #chronology #detention_centers #hitler