ये अलग बात है कि थोड़े बहुत प्रीमियम या फर्स्ट क्लास के यात्री होंगे, कुछ सेकंड क्लास के और ज्यादातर डारमेट्री बोले तो थर्ड क्लास के.! ये भी एक चश्मा है देखने का ! लेकिनं कोई भी चश्मा हो, मज़हब का, क्षेत्र का या वर्ग का, एक बात तय है की अपने सफ़र के दौरान हमे उस हवा को साझा करना ही पड़ेगा जिस से हमारी सांसें चलती हैं ! ये कायनात के नियम हैं, इन्हें किसी भी मंच का कितना भी बड़ा बहुमत बदल नहीं सकता.
आज बड़े बड़े लोग कि जिनसे दुनिया चलती है, अपने घरों में बंद हैं और दुनिया है कि चल ही रही है. लेकिन उन बड़े लोगों के घर बिना उस बिरादरी के नहीं चल सकते जिनके तुच्छ पेशे से उनके घरों के हर कोना बेआवाज़ सवांरता रहा है. इनके बिना प्रीमियम क्लास के यात्रियों के जीवन से क्लास और वैल्यू दोनों गायब हो जाते हैं. जाहिर सी बात है एक खोली को साफ़ रखना आसान है पर एक बंगले को बंगले जैसा रखना हो तो थर्ड क्लास के यात्रियों की जरुरत पड़ेगी ही !

इसी मोड़ पर इस कहानी में उस खलनायक की एंट्री होती है जिसका हर मज़हब और भाषा में एक ही नाम है. कोरोना वायरस ! किस्सा लम्बा हो जायेगा और सर्वव्यापी अटेंशन डिफिसिट के इस दौर में इतना लम्बा लोग झेल भी नहीं पाएंगे इसलिए सीधा मुद्दे पर आते है !

1. क्योंकि इस नाव में हम सब सवार हैं इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए ही सही जरा सब से निचले पायदान के यात्रियों की सुरक्षा के बारे में भी सोचें. उस ‘कामवाली” के बारे में, आपके घरों से कचरा उठाने वालों के बारे में, उस माली के बारे में ! उन्हें और उनके परिवार को कोरोना सेफ्टी प्रोटोकॉल के दायरे में लाने का जिम्मा तो वो परिवार साझा कर ही सकते हैं कि जिसके श्रम से उनकी क्लास ‘प्रीमियम’ का स्तर पाती है. यह कोई बड़ा खर्चा नहीं है. इसमें मास्क दिए जा सकते हैं, हाथ धोने के लिए साबुन दी जा सकती है. जो कचरा लेने आते हैं उनके रिक्शे पर स्पेक्स की ‘टिप टिप हैण्ड वाश बोतल लगायी जा सकती है. उनसे पूछा तो जा ही सकता है कि भईया कोई दिक्कत तो नहीं !

2. इस जंग में अगले मोर्चे पर डटे स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को निश्चित रूप से सुरक्षा उपकरणों से लैस करने की आवश्यकता है. समुदाय के स्तर पर अनेक महानुभाव स्वास्थ्य कर्मियों को PPE किट प्रदान भी कर रहे हैं. निवेदन है कि इन किटों की गुणवत्ता और कीमत की जांच अवश्य कर लें और हम सब मिलकर स्वास्थ्य सेवा कर्मियों और उनके परिवार की सुरक्षा करें, उन्हें सम्मान दें.

3. स्पैक्स का प्रयास है कि इस कठिन दौर में कार्यरत ‘कामवाली’, कचरा उठाने वाले तथा इसी तरह के कार्यों में लगे तबकों को ‘कोरोना सेफ्टी प्रोटोकॉल’ के दायरे में सुनिश्चित करने का सामूहिक प्रयास किया जाए. ये भी हमारी ही नाव के यात्री हैं !

4. हम यह जानने को उत्सुक हैं कि क्या प्रथम चरण में देहरादून के विभिन्न इलाकों, कॉलोनी, बस्तियों के जागरूक व्यक्ति अपने इलाकों में काम पर आने वाले इस मेहनतकश वर्ग को “कोरोना सेफ्टी प्रोटोकॉल´के दायरे में लाने का सामूहिक प्रयास कर सकते हैं ? इस क्रम में हमे सुनिश्चित करना होगा कि उनके परिवार तक मास्क और साबुन की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके. और यह भी कि वे उन्हें साफ़ भी करते रहें.
5. हमे यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जब वो घर में प्रवेश करें तो मास्क पहने हों और आते-जाते समय हाथ धो कर जाएँ. उन्हें शिक्षित करें अपने परिवार की सुरक्षा के बारे में
6. यह पूरे देहरादून के जागरूक नागरिकों का अभियान होना चाहिए. विश्वास कीजिये अगले कुछ ही दिनों में हम सब मिलकर ‘कोरोना सेफ्टी प्रोटोकॉल’ के दायरे का विस्तार अपने घर से बहुत आगे तक बढ़ाने में कामयाब हो जायेंगे. चाहें तो हम इसी तरह पूरे शहर को सुरक्षा का कवच पहना सकते हैं. जो कमियां रह जाएँगी, जो तबके छूट जायेंगे उन्हें इसी प्रक्रिया में कवर कर लेंगे. आखिर हम एक ही नाव में तो सवार हैं !
7. हमारी कल्पना कुछ ऐसी है कि हर परिवार इस अभियान का हिस्सा बने किन्तु पहल का स्वरुप सामूहिक हो. हर गली, मोहल्ला, कॉलोनी के व्हाट्सएप और फेसबुक पेज पर इस विषय में चर्चा हो, निर्णय लिया जाये कि इतने दिनों में हम अपने इलाके में काम करने वालों को ‘कोरोना सेफ्टी प्रोटोकॉल’ के दायरे में ले आयेंगे और इस पर अमल भी हो.

8. सवाल है कि इतने बड़े स्तर पर मास्क आयेंगे कहाँ से ? स्पैक्स द्वारा इस दिशा में प्रयास किया जा रहा है. अनेक महिलाएं हैं जो खाली समय में अपने घरों में मास्क बनाने का कार्य कर रही है. मंदी के इस दौर में उनकी मेहनत का पैसा उनके घर चलाने के काम आयेगा. यह मास्क सामूहिक प्रयास के लिए वाजिब दाम पर उपलब्ध रहेंगे और आप तक पहुंचा भी दिए जायेंगे.

9. प्रदेश, देश ही नहीं, हम देहरादून के लोग पूरी दुनिया के आगे एक मिसाल कायम कर सकते हैं. यदि आप सहमत हैं तो अपनी सहमती के साथ इसे शेयर कीजिये, अपने मित्रों को टैग कीजिये. अभियान यदि आगे बढेगा तो उसी के अनुरूप ऑनलाइन मंच भी उभर आएगा.

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु माकश्चिद् दुःखभाग्भवेत् ॥

देहरादून का मैप आपके सामने है आइये इसे कोरोना सुरक्षा कवच से लैस करें!
इस नाव में हम सब सवार हैं !

प्राथमिक जानकारी के लिए

Rahul Maurya (63 96866708) पर कॉल करें !
आपके सुझाव आमंत्रित हैं !

डॉ ब्रिज मोहन शर्मा एवं डॉ सुनील कैंथोला

https://jansamvadonline.com/in-context/in-this-era-of-hatred/

It is a different matter that a few will be very premium or first class passengers, some of the second class and most of the dormitory, then third class. This is also a spectacle! But whatever be the spectacle, religion, field or class, one thing is certain that during our journey we have to share the air with which we breathe! These are the rules of kyanat, no matter how large a majority of any platform can change.Today, the big people that the world walks with are locked in their homes and the world is moving. But the houses of those big people cannot run without that fraternity, whose frivolous profession has led to every corner of their homes being neglected. Without these, both class and value disappear from the lives of the passengers of the premium class. It is obvious that it is easy to keep a street clean, but to keep a bungalow like a bungalow, then third class passengers will be needed!Today, the big people that the world walks with are locked in their homes and the world is moving. But the houses of those big people cannot run without that fraternity, whose frivolous profession has led to every corner of their homes being neglected. Without these, both class and value disappear from the lives of the passengers of the premium class. It is obvious that it is easy to keep a street clean, but to keep a bungalow like a bungalow, then third class passengers will be needed!At this point, in this story there is the entry of the villain who has the same name in every religion and language. Corona virus! The anecdote will be long and in such a period of universal attention deficit, people will not be able to withstand so long, so they come directly to the issue!

1. Because we are all aboard in this boat, for the sake of our safety, just think about the safety of the lowest rung passengers. About that ‘Kamwali’, about the people who pick up the garbage from your homes, about that gardener!The task of bringing them and their families under the purview of the Corona Safety Protocol can only be shared by those whose labor achieves their class ‘premium’ level. This is not a big expense. Masks can be given in this, soap can be given to wash hands. Specs’ tip tip hand wash bottle can be placed on the rickshaw for those who come to collect garbage. It can be said that brother, there is no problem!

2. In this battle, there is definitely a need to equip the security personnel standing on the next front. Many dignitaries at the community level are also providing PPE kits to health workers. It is requested to check the quality and price of these kits and we all together protect the healthcare workers and their families, give them respect.

3. Sparx’s effort is that ‘Kamwali’, garbage pickers and working in this difficult periodA collective effort should be made to ensure that the garbage collectors and those involved in similar works are covered under the ‘Corona Safety Protocol’. They are also passengers of our own boat!

4. We are curious to know whether in the first phase, the conscious people of various areas, colonies and settlements of Dehradun can make a collective effort to bring this working class working in their areas under the purview of “Corona Safety Protocol”.They also keep them clean.
5. We must also make sure that when they enter the house, they should wear masks and wash their hands on the way to and fro. Educate them about the safety of your family6. This should be a campaign of conscious citizens of the entire Dehradun. Believe that within the next few days we will all be able to extend the scope of the ‘Corona Safety Protocol’ far beyond our home. If we wish, we can wear the entire city as a protective shield. The loopholes that will be left, the sections that are left will be covered in this process. After all, we are in the same boat!
7. Our imagination is such that every family should be a part of this campaign, but the initiative is collective. This matter should be discussed on WhatsApp and Facebook page of every street, mohalla, colony, it should be decided that in these days we will bring the people working in our area under the purview of ‘Corona Safety Protocol’ and this should also be implemented
.8. The question is, from where will masks come on such a large scale? Spax is trying in this direction. There are many women who are making masks in their homes in their spare time. In this phase of recession, their hard earned money will be used to run their home. These masks will be available at a reasonable price for the collective effort and will also be delivered to you.
9. The people of Dehradun, not only the country and the country, can set an example in front of the whole world. If you agree then share it with your consent, tag your friends. If the campaign progresses, the online platform will also emerge accordingly

#get_laf Survey Bhavantu Sukhin: Survey Santu Niramaya:
Survey Bhadrani Pashyantu Ma -kshchad Dukh Bhagbhvet
The map of Dehradun is in front of you. Let’s equip it with a corona safety shield!
We are all aboard this boat!

For primary information Call Rahul Maurya (63 96866708)!  Feedback is invited!

Dr. Brij Mohan Sharma and Dr. Sunil Kathola

#get_laf   [Liberty and Fraternity]