कैलाश हास्पिटल के प्लास्टिक सर्जन डा. हरीश घिल्ड़ियाल ने हाईटेंशन विद्युत लाइन के करंट की चपेट में आने से झुलसने के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। उन्होंने इसके रोकथाम के लिए आम जनता को जागरूक और सतर्क रहने पर बल दिया, जिससे इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लग सके। 
प्लास्टिक सर्जन डा. हरीश घिल्ड़ियाल पत्रकार वार्ता करते हुए
कैलाश हास्पिटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में बर्न एवं प्लास्टिक सर्जन डा. हरीश घिल्ड़ियाल ने कहा कि विगत 2 वर्षो से हाई टेंशन बिजली की लाइन के करंट से झुलसे 20 मरीजों का उपचार कैलाश अस्पताल में किया गया। जिसमें से 7 मरीजों को अपना अंग तथा 2 मरीजों को जान गवांनी पड़ी। 20 मरीजों में सबसे अधिक संख्या 11 देहरादून से रही तथा अंग गंवाने वाले 7 मरीजों में 4 मरीज 14 साल से कम के थे। हाल ही मंे इस तरह के हादसे में झुलसे दो बच्चों का सफल आप्रेशन कैलाश अस्पताल में किया गया। उन्हांेने कहा कि 11 वर्षीय अनुष्का नेगी अन्य बच्चो के साथ घर की छत पर खेलते समय हाई टेंशन लाइन की चपेट में आ गई। जिससे बच्ची का दायाॅं हाथ तथा पेट का निचला हिस्सा बुरी तरह झुलस गया था। पेट के निचले हिस्से के गहरे जख्मों को मरने के लिए माइक्रोसर्जरी तकनीक द्वारा मरीज के दांयी जांघ से त्वचा पेटके गहरे जख्मों पर स्थानातंरित की गई। सफल ईलाज के पश्चात अनुष्का को अब अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
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 डा. घिल्ड़याल ने बताया कि इसी तरह की घटना में गत वर्ष 24 नवंबर को 11 वर्षीय बालक अभिमन्यू निवासी मल्हान पेलियो अपने छत के ऊपर से जा रही हाईटेंशन बिजली की लाइन की चपेट में आने से गंभीर रूप से झुलस गया, उसे कैलाश हास्पिटल में भर्ती कराया गया। प्लास्टिक सर्जरी के पांच सफल आप्रेशन के बाद अभिमन्यू को डिस्चार्ज किया गया, लेकिन इस जंग में अभिमन्यू ने अपनी बांयी बाजू खो दी। प्रेस वार्ता में कैलाश अस्पताल के निदेशक पवन शर्मा व चिकित्सा अधीक्षक डाॅ0 अतीश सिन्हा, डा. गुलशन, प्रदीप कुमार आदि मौजूद रहे।