आज हम सबके प्यारे काका कलाम का जन्मदिन है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति, मिसाइल मैन, महान वैज्ञानिक और शिक्षक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म आज ही के दिन 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु के धनुषकोडी गांव में हुआ था। सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से भौतिक विज्ञान और फिर मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने के बाद उन्होंने साल 1960 से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( डी आर डी ओ) में कार्य करना आरंभ कर दिया। इसके बाद वर्ष 1969 में उन्हें भारतीय अंतरिक्ष संस्थान ‘इसरो’ से बुलावा आ गया।
वर्ष 1963-64 में उन्हें भारत की तरफ से अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान ‘नासा’ में रॉकेटों के अध्ययन के लिए भेजा गया। डॉ कलाम को भारत के महान वैज्ञानिकों विक्रम साराभाई और सतीश धवन के सानिध्य से बहुत कुछ सीखने को मिला। डॉ कलाम ने भारत की तरफ से पहले रॉकेट परीक्षण करने वाली टीम का नेतृत्व भी किया। उन्हीं के नेतृत्व में विकसित स्वदेशी रॉकेट एसएलवी-3 से पहली बार रोहिणी उपग्रह को वर्ष 1980 में अंतरिक्ष में भेजा गया। इस तरह भारत ने डॉ कलाम के नेतृत्व में अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त की। डॉक्टर कलाम के नेतृत्व में ही अग्नि, पृथ्वी और ब्रह्मोस मिसाइलों को सफलतापूर्वक बनाया गया। वर्ष 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण में भी डॉक्टर कलाम का मुख्य हाथ था। इस तरह रक्षा क्षेत्र में भी डॉक्टर कलाम ने भारत को आत्मनिर्भर बना दिया।
मिसाइलों से इतर भी डॉक्टर कलाम एक सच्चे समाज हितैषी वैज्ञानिक थे। वर्ष 1995 में उन्होंने पोलियो ग्रस्त बच्चों के लिए बहुत ही हल्के कृत्रिम पैर बनाए जो कि उस समय के कृत्रिम पैरों से 10 गुना ज्यादा हल्के थे। साल 1998 में हृदय रोगियों के लिए उन्होंने ‘कलाम-राजू स्टेन’ बनाए जो 70% सस्ते थे। वर्ष 2012 में डॉ कलाम ने ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा बढ़ाने के लिए मजबूत कंप्यूटर टेबलेट भी बनाये।
डॉ कलाम वर्ष 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। उनकी लोकप्रियता की वजह से उन्हें जनता का राष्ट्रपति भी कहा जाता था। वर्ष 2007 में राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने देश के कई शिक्षा संस्थानों में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। वर्ष 2010 से संयुक्त राष्ट्र द्वारा उनके जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाना प्रारंभ किया गया। 27 मई 2015 को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, शिलांग में विद्यार्थियों से बात करते हुए वे अचेत हो गए और कुछ देर बाद अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
उन्हें बच्चों एवं युवाओं से बात करना बहुत पसंद था और वे भविष्य के लिए भारत के युवाओं को तैयार कर रहे थे। वे हमेशा युवाओं को ज्ञान-विज्ञान के लिए प्रोत्साहित करते थे। उनका लक्ष्य था कि भारत 2020 तक विकसित देश बन जाए। उन्होंने कई शानदार किताबें जैसे अग्नि की उड़ान (विंग्स ऑफ फायर), इग्नाइटेड माइंड्स, माय जर्नी, इंडिया 2020 – विजन फॉर न्यू मिलेनियम आदि लिखीं।
विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 1981 में पद्म भूषण, वर्ष 1990 में पद्म विभूषण तथा वर्ष 1997 में सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। डॉ कलाम करोड़ों भारतीय बच्चों एवं युवाओं के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। डॉ कलाम ने कहा था “सपने वो नहीं जो हम सोते हुए देखते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।” उम्मीद है हम सब मिलकर उनके सपनों का भारत बनाने में जल्द ही सफल होंगे। उनके जन्मदिन पर हमारे प्रिय डॉ कलाम को हार्दिक नमन !

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