चन्द्रशेखर करगेती जिसने एक लंबे संघर्ष के बाद अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति के कई सौ करोड़ रुपये हड़पने वाले संयुक्त निदेशक गीता राम नौटियाल का पर्दाफाश कियाथा वह इस खेल में अकेले नहीं हैं .एक पूरी फौज “मंत्री जी” की ”शह” पर ही काम करती है. अब क्योंकि जड़े गहरी है तो खुदाई भी गहरी ही करनी पड़ेगी।

गुमराह कर साइन करवाएं

अब ताजा मामला ही देख लें ”राम” जी की कृपा से फाइल बन गई मंत्री जी इच्छानुसार ”सचिव” साहेब ने साइन कर दिए थे मगर शनि की ऐसी ”वक्र-दृष्टि” पड़ी कि मामला 18 से शुरू हो कर 22 को निपट गया। वो चार दिन कि चांदनी .. वाली बात याद आ गई .. रायता फेलते ही सबने अपने पल्ले झाड लिये ….. अब राम जी क्या करें ?
वैसे इतिहास गवाह है कि राम जी ने अभी तक अपने भक्त की सारी इच्छाएं पूर्ण की हैं और ये राम जी की ही कृपा थी कि ”भक्त” की वर्ष 2010-11 वित्तीय वर्ष से घोर वित्तीय अनियमिततायें सामने आने व उसके विरुद्ध माह दिसंबर 2018 में सिडकुल थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद भी इसे विभाग में मिली-भगत कर दिनांक 10 जनवरी 2019 को पदोन्नत कर उपनिदेशक से निदेशक बनवा दिया। यह भी गौरतलब है कि पृथक राज्य निर्माण के समय उत्तरप्रदेश से प्राप्त विभगीय अधिकारीयों कि जेष्ठता सूची में गीता राम सबसे कनिष्ठ अधिकारी थे तथा अधिकारीयों कि वरिष्ठता सूची में अंतिम पायदान पर थे, लेकिन उन्होंने शासन से बैठे लोगों को गुमराह कर अपने सीनियर अधिकारी को जूनियर बनवा दिया और शासन के इसी खेल के चलते अहर्ता न रखते हुए भी, अपने से सीनियर अधिकारीयों को पछाड़ते हुए समय से पहले वर्ष 2013 में जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर पदोन्नति प्राप्त कर ली।

कितना बड़ा है ये घोटाला जानने के लिए यह भी देखें ?

https://youtu.be/-l0MgcNmpWM

गीता राम नौटियाल पर शासन की कृपा यहीं नहीं रुकी, उपनिदेशक बनने के बाद भी गीता राम ने अपने मूल तैनाती स्थल समाज कल्याण निदेशालय ,हल्द्वानी में अपने कार्य संपादन को लेकर कभी भी नियमित उपस्थिति दर्ज नहीं करवाई , जब कि इसके लिए निदेशक समाज कल्याण के द्वारा आदेश भी जारी किये हुए थे। इसके विपरीत गीता राम अधिकतर समय देहरादून में ही जमे रहे । अब ये तो ”राम जी” ही बता पाएंगे कि एफआईआर दर्ज होने के बाद किसी को पदोन्नति कैसे दी जाती रही ?
उत्तराखंड की जीरो टॉलरेंस सरकार ने इस बार तो समय रहते इस ”रायते” को तो फैलने में कामयाबी पा ली, मगर अभी भी कुछ छेद ऐसे हैं जिन पर समय रहते ध्यान दिए जाने कि सख्त जरुरत है।

चार दिन बाद गलती सुधारी

उत्तराखंड के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के दोषियों को अपर सचिव राम विलास यादव का पूर्ण संरक्षण प्राप्त है और यही वह व्यक्ति है जिसने सीएम कार्यालय का हवाला देते हुए एक संस्था को नियम विरुद्ध 80 लाख रुपये की स्कॉलरशिप जारी के करने की लिए, सीधे जिला समाज कल्याण अधिकारी को आदेशित कर दिया था । जिस संस्था को नियम विरुद्ध स्कॉलरशिप देने के आदेश राम विलास यादव ने किए थे, उस संस्था के मालिक को जब एसआईटी की टीम नोएडा से पकड़ कर लाई तो वह एक पूर्व अपर मुख्य सचिव का नजदीकी / रिश्तेदार निकला। ये भी एक जांच का विषय हो सकता है ।

गीता राम के विरुद्ध जब भी समाज के जागरूक लोगों के द्वारा तथ्यों एवं दस्तावेजों के साथ शिकायत कि जाती थी तो शासन के कतिपय अधिकारीयों के द्वारा उनमे कोई न कोई पेंच फंसा कर ठन्डे बस्ते में डाल दिया जाता था और शिकायतकर्ताओं के शिकायत की जानकारी विभिन्न माध्यमों से गीता राम तक पहुंचा दे दी जाती थी।

वैसे यहाँ बात हो रही थी उत्तराखंड के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपी “भक्त” गीता राम नौटियाल व उनके “राम जी” यानि राम विलास यादव की , जिसे मंत्रियो / मुख्यमंत्री का नाम लेकर फाइलों में साइन करवाने में महारत हासिल है उसने कोरोना और लॉक डाउन के चलते 16 मई को फिर एक नया खेल कर 18 को अपने “भक्त” की बहाली तो करवा ली थी, मगर इस बार मामला सिर्फ चार दिन की चांदनी बन कर रह गया आज भले ही इस व्यक्ति द्वारा की जा रही यह गंभीर अनियमितता पकड़ में आ गयी हमेशा ऐसा होगा इसकी क्या गारंटी है ?

गीताराम की इस बहाली/ रद्दीकरण आदेश से कोई बड़ा फर्क नही पड़ने वाला, क्योंकि निलंबन अवधि के दौरान वह बगैर कोई काम किये ,घर बैठ कर लगभग 75 हजार रुपये मासिक ,निर्वाह भत्ते के रूप में सरकार से हर माह लेता रहेगा ।

गीताराम के इस बहाली आदेश को वापस लेने के साथ ही शासन के कर्ता-धर्ता उसके द्वारा किये गए घोटाले व “राम जी” की कृपा से मिली 20-13-2013 की पदोन्नति को वापस ले कर उन्हें उनके मूल पद जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर प्रत्यावर्तित कर देते तो डबल इंजन की सरकार की , जनता में कुछ कहने लायक होती और उसके द्वारा किये कुकर्मों का त्वरित दण्ड भी मिल जाता ।

काश सरकार अपने भ्रस्टाचार पर जीरो टॉलरेंस सूत्र वाक्य पर अमल करते हुए रायपुर ब्लॉक में लोक निर्माण विभाग द्वारा भोपालपानी में बने पुल घोटाले में रिवर्ट किये गए इंजीनियरों की तर्ज पर ही, गीताराम को भी जॉइंट डायरेक्टर के पदोन्नत पद से रिवर्ट कर उसके उस समय के मूल पद जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर रिवर्ट करने का साहस दिखा पाती तो इससे जनता में सरकार की छवि भी निखरती साथ ही भ्रस्टाचार में लिप्त नौकरशाहों को कड़ा संदेश जाता ।

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