देहरादून। राजनीति के खेल भी गजब हैं। किसी को कैसे उठाना है, किसे कैसे गिरना है सब रणनीति पहले ही तैयार हो जाती है। जो समझदार होतें है, वह पहले ही भाँप लेते हैं। कुछ को समय गुजरने जाने के बाद भी पता नहीं चल पाता कि आखिर यह सब कैसे हुआ ।
अब पूर्व मु0मंत्री त्रिवेंद्र रावत की डोईवाला सीट को ही देख लो। माननीय पूर्व मु0मंत्री को पहले ही अंदेशा हो चुका था कि उनके ख़िलाफ़ चक्रव्यूह सज चुका है, सो वह पहले ही पल्ला झाड़ कर साइड लाइन हो लिए ।
चूंकि पूर्व मु0मंत्री के कारण यह वीआईपी सीट बन चुकी थी, तो सबकी नजरें यहाँ के दावेदारों पर थी। वैसे त्रिवेन्द्र के हटने के बाद कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट की जीत लगभग पक्की हो चली थी। मगर कांग्रेस के छत्रपों की नजर में वह शायद चुनाव के बाद का रोड़ा साबित हो सकते थे, सो उन्हें भी निपटाने के लिये रायपुर भेज कर एक तीर से दो शिकार (प्रभु लाल) कर डाले। उसके बाद कांग्रेस ने जिसे मैदान में उतारा वह दो दिन भी खड़ा न रह सका, उसके बाद तीसरे को ले आये। अब ख़बर ये है कि उसके नामांकन करते ही कार्यकर्ताओं में प्रचार-सामग्री से हवन कर अपने इरादे स्पष्ट कर दिये। इधर रायपुर आने के बाद फ़िलहाल “हीरा” भी अपने लोगों से जूझ रहा है, मगर पुराना “चावल” है सो महक अब भी कायम है, धीरे-धीरे ही सही मगर टीम जुड़ रही है।
वैसे इस सीट पर भाजपा का खेल भी कुछ कम रोचक नहीं है, पहले तो महीनों तक हेवीवेट नामों की चर्चा चलती रही उसके बाद अचानक 27 जनवरी की शाम को एक सोची समझी रणनीति के तहत सोशल मीडिया के एक नाम चला कर (जो कहीं भी सीन में नहीं था) रात भर पूरी विधानसभा में उबाल पैदा कर दिया और सुबह होते-होते एक “नये नाम” को लाकर उसे शांत करने कर का खेल कर दिया । वैसे सूत्रों का कहना है कि ये जो दूसरा नाम लाया गया वह तो पहले से “तय” था मगर उसे पहले ले आते तो भी बबाल उतना ही कटना था। इसलिये पहले डमी नाम को आगे कर सभी दावेदारों में बौखलाहट पैदा कर दी। सभी प्रत्याशी रातों-रात स्थानीयता के मुद्दे पर एकजुट हो गए औऱ सुबह उन्हें पार्टी ने “स्थानीय” दावेदार दे कर खेल का अंत कर दिया गया। लेकिन यह सवाल तो खड़ा हो ही गया कि जब पिछले कई सालों से जनता के बीच सक्रिय, लोकप्रिय और मजबूत दावेदार वहां मौजूद थे तो फ़िर ये खेल किसने और क्यों खेला ?
कॉंग्रेस की झोली में जा रही इस सीट पर अब अगर “शिव” का तांडव रंग ले आया, तो शायद भविष्य में इन दोनों पार्टीयों के दिल्ली में बैठे आका, ऐसी हरकत करने से पहले सोचगें जरूर।