देहरादून, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि ग्रोथ सेन्टर स्थापित करने के कार्य निर्धारित टाइमफ्रेम पर किए जाए, अधिकारी स्पष्ट करे कि कितनी अवधि में कार्य पूरा कर लिया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की ग्रोथ सेन्टर की परिकल्पना धरातल पर उतरने लगी है। ग्रोथ सेन्टर की फंडिग के लिए विश्व बैंक ने सहमति दी है। नाबार्ड से भी धन की समुचित व्यवस्था है। जलागम विभाग द्वारा पौड़ी गढ़वाल के एकेश्वर ब्लाॅक में अमोठा एग्री बिजनेस ग्रोथ सेन्टर के द्वारा हल्दी व मिर्च के कलस्टर विकसित करने कार्य शुरू हो रहा है। एकेश्वर ब्लाॅक में ही सीमार एग्रीबिजनेस ग्रोथ सेन्टर, धौलादेवी ब्लाॅक में नाली (फल्याट) एग्रीबिजनेस ग्रोथ सेन्टर, रायपुर के ग्राम पंचायत थानौ में एग्रीबिजनेस ग्रोथ सेन्टर, कपकोट में एग्रीबिजनेस ग्रोथ सेन्टर, चकराता के पुनाह पोखरी में एग्रीबिजनेस ग्रोथ सेन्टर, विकासखण्ड जौनपुर में ख्यार्सी एग्रीबिजनेस ग्रोथ सेन्टर इस वितीय वर्ष की मार्च तक कार्य करना शुरू कर देंगे। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने निर्देश दिए कि खाली पड़े स्कूल के भवनों व पटवारी चैकियों का प्रयोग ग्रोथ सेन्टर के लिए किया जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने बीरोखाल, नैनीडांडा के पास लखौरी में वहां की प्रसिद्ध स्थानीय पीली मिर्च के कलस्टर विकसित करने की कार्ययोजना पर कार्य करने के निर्देश जारी किए। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को सचिवालय में ग्रोथ सेन्टर योजना की प्रगति की समीक्षा की।
     सूचना प्रौद्यागिकी विकास ऐजेन्सी द्वारा राज्य में पांच आईटी आधारित ग्रोथ सेन्टर विकसित किए जा रहे है। उक्त पांच ग्रोथ सेन्टर में तीन गढ़वाल व दो कुमाऊंॅ मण्डल में स्थापित किए जा रहे है। आईटीडीए राज्य में दूरस्थ क्षेत्रों में रूरल बीपीओ स्थापित कर रही है। रूरल बीपीओं दूरस्थ क्षेत्रों में आईटी के माध्यम से वन स्टाॅप सोल्यूशन का काम करेंगे। इसके लिए साइबर सिक्योरिटी, रूरल बीपीओ, डाटा एनालाईसिस, डिजिटल साक्षरता, विदेशी भाषाओं के प्रशिक्षण पर फोकस किया जा रहा है। काॅमन सर्विस सेन्टर उद्योग लगाने के लिए फेसिलिएटेटर का भी काम करेंगे। आईटी बेस्ड ग्रोथ सेन्टर से सम्बन्धित प्रस्ताव दस दिन के भीतर मिल जाएगे। यह अप्रैल से कार्य करना शुरू कर देंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने निर्देश दिए कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में भेड़-बकरियों के ऊन को आॅगेनिक उत्पाद के रूप से सर्टिफाइड किया जाए। मशीन शेंविग की समुचित व्यवस्था की जाए। एमएसएमई विभाग ने जानकारी दी कि चमोली के दसोली ब्लाॅक में माणा घिघराॅण, उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लाॅक के बीरपुर व डुण्डा में ऊन आधारित ग्रोथ सेन्टर स्थापित किए गए है। चमोली के पीपलकोटी में कांष्ठ आधारित ग्रोथ सेन्टर स्थापित किए गए है। फेब इण्डिया व बड़े ब्राण्डो से उनकी आवश्यकता के अनुरूप ऊन की उपलब्धता के सम्बन्ध में बातचीत की जा रही है।  प्रमुख वन संरक्षक ने जानकारी दी कि धारचूला, बागेश्वर व जोशीमठ में कीड़ा जड़ी के व्यवस्थित संकलन जल्द शुरू किया जाएगा। वन विकास निगम के सहयोग से  कीड़ा-जड़ी की मार्केंिटग की जाएगी। मुख्यमंत्री ने थराली में कीड़ा-जड़ी के क्षेत्र में कार्य करने के निर्देश दिए। वन विभाग उरेडा के सहयोग से उत्तराखण्ड के 11 जिलों में पिरूल एकत्रीकरण व पिरूल उत्पादों पर त्वरित कार्य करने जा रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने निर्देश दिए कि पिरूल एकत्रीकरण के क्षेत्र चिहिन्त कर दिए जाए ताकि भविष्य में लोगों द्वारा लाइसेंस पाने के लिए किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न न हो। सचिव एमएसएमई ने जानकारी दी कि अभी तक इस सम्बन्ध में लगभग पचास प्रस्ताव प्राप्त हो चुके है। पिरूल से रेजिन बनाने की संभावनाओं पर कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्रीत्रिवेन्द्र ने कहा कि शीघ््रा ही पिरूल उत्पादों की अध्ययन के लिए अधिकारियों का एक दल इंडोनेशिया भेजा जाएगा। इंडोनेशिया में चीड़ की सूखी पतियों पिरूल से 143 प्रकार के उत्पाद बनाए जाते है। राज्य सरकार के प्रयासों से उत्तराखण्ड में अभी तक बागेश्वर में पिरूल से तीन उत्पादों का उत्पादन शुरू हो चुका है। पीपलकोटी में बांस व रेशा उत्पादों के उत्पादन पर आधारित ग्रोथ सेन्टर शुरू किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने निर्देश दिए कि उत्तराखण्ड के स्थानीय फल व प्राकृतिक उत्पाद तिमला, बेडू, कचनार, जिंजर मैंगो की प्रोसेसिंग व वैल्यू एडिशन तथा मार्केटिंग कर स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर विकसित करने पर विशेष बल दिया जाना चाहिए। वन विभाग द्वारा जल्द ही तेईस ग्रोथ सेन्टर स्थापित किए जाएगे। प्रमुख वन संरक्षक ने जानकारी दी की विश्व में पाए जाने वाले पक्षियों की विभिन्न 1300 प्रजातियों में 700 प्रजातियां उत्तराखण्ड में पाई जाती है। वन विभाग द्वारा जल्द ही देवलसारी, कुलचैड़ आदि में पर्यटकों को लुभाने के लिए बर्ड वाचिंग टूरिस्ट स्पाॅट विकसित किए जा रहे है। स्थानीय लोगों को टूरिस्ट गाइड के रूप प्रशिक्षण दिया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड के 12000 वन पंचायतो ( जिनमें लगभग आधे से अधिक सक्रिय है) में विकास व वन उत्पादों के कमर्शियल उपयोग की अच्छी संभावनाएं है। वन पंचायतें कुटकी, कीड़ा-जड़ी उत्पादन, साॅयल कन्जर्ववेशन, जल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने प्रमुख वन संरक्षक को निर्देश दिए कि अध्ययन करवाया जाए कि वन पंचायतों की विशेष भौगोलिक स्थितियों में  किस प्रकार वन उत्पाद पैदा किए जा सकते है जो स्थानीय आर्थिकी को  मजबूत करने के साथ पलायन पर प्रभावी अकंुश लगाए। सचिव वित ने जानकारी दी कि वन पंचायतों के पास समुचित वितीय संसाधन है। कैम्पा के तहत सत्रह करोड़ रूपये की धनराशि आवंटित है तथा जायका के तहत दो सौ करोड़ रूपये दिए गए है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि ग्रोथ सेन्टर स्थापित करने के कार्य निर्धारित टाइमफ्रेम पर किए जाए, अधिकारी स्पष्ट करे कि कितनी अवधि में कार्य पूरा कर लिया जाएगा।