मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बस्तर में जागरण समूह से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार रितेश पांडे पर असामाजिक तत्वों द्वारा किये गए हमले की तीखी निंदा की है और हमलावरों को गिरफ्तार करने की मांग की है। पार्टी ने रितेश पांडे के इस आरोप की जांच करने की भी मांग की है कि यह हमला बोधघाट पुलिस द्वारा प्रायोजित था और जिस व्यक्ति ने हमलावरों से उनकी रक्षा की है, उसे ही आर्म्स एक्ट में गिरफ्तार कर लिया गया है। आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि प्रदेश में पत्रकारों पर भाजपा राज की तरह ही बदस्तूर हमले जारी हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस राज के एक साल में ही 75 से ज्यादा पत्रकारों को अपनी निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा है, जिसमें पुलिस प्रायोजित हमले भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि रितेश के मामले में भी यह शर्मनाक तथ्य है कि हमलावर बाहर है और बचाने वाला जेल में। यह वास्तविकता ही यह बताने के लिए काफी है कि इस हमले में पुलिस का हाथ है।

सत्ता में आने के 100 दिन के अंदर पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने के कांग्रेस के वादे की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि पत्रकारों पर हो रहे हमलों में पुलिस प्रशासन की भूमिका को *रिपोर्टर्स विदाउट बाउंड्रीज* ने स्पष्ट तौर से रेखांकित किया है और स्थिति इतनी दयनीय है कि पत्रकारों पर हमलों के मामले में विश्व मे भारत का स्थान 138वां है। माकपा ने जागरण समूह के प्रबंधन द्वारा भी अपने ही पत्रकार पर हुए हमले पर चुप्पी साधने की भी आलोचना की है।

 

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