दिल्ली विधानसभा चुनाव

दिल्ली चुनाव ने किया उत्तराखंड का राजनीतिक माहौल गर्म

देहरादून, प्रदेश की राजधानी देहरादून से करीब ढाई सौ किलोमीटर दूर दिल्ली में विधानसभा चुनावों को लेकर माहौल गर्म है। भले ही चुनावों में दिल्ली की 70 सीटें दांव पर लगी हों लेकिन उनकी गर्माहट उत्तराखंड में भी महसूस की जा रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि हर गली मोहल्ले में दिल्ली की चरचा है और सियासी दल भी गुणा-भाग में लगे हुए हैं। आम आदमी पार्टी उत्तराखंड के सियासी हलके में प्रभावशाली भले न हो लेकिन इन चुनावों को लेकर सतर्क जरूर है। दिल्ली की सियासत को लेकर उत्तराखंड में हलचल इसलिए है क्योंकि दिल्ली में उत्तराखंडी अच्छी-खासी तादाद में मौजूद हैं। करावलनगर, पटपड़गंज, बुराड़ी, पालम समेत विधानसभा की करीब 17 से ज्यादा सीटों पर पहाड़ का वोटर डॉमिनेट करने की स्थिति में है तो 30 से अधिक सीटों पर उत्तराखंडियों का अच्छा खासा प्रभाव है।
मजेदार बात यह है कि क्षेत्रीय बोली भाषा के विकास में  भले ही उत्तराखंड सरकार कुछ न कर रही हो मगर  दिल्ली सरकार ने गढ़वाली-कुमाऊंनी-जौनसारी भाषा एकेडमी खोलकर तथा  उसकी बागडोर उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक हीरा सिंह राणा  के हाथों में सौंप कर  उत्तराखंडी जनमानस को महत्व  देने का काम तो किया ही  है। आम आदमी की उत्तराखंड इकाई इसे उत्तराखंड की सियासत में खुद के लिए एक अवसर के रूप में देख रही है। माना जाता है कि दिल्ली में करीब 35 फीसदी वोट उत्तराखंडियों के हैं। कांग्रेस ने एक तो भाजपा ने उत्तराखंड मूल के दो लोगों को टिकट दिया है तो वहीँ उक्रांद भी अपनी  ‘कुर्सी’ के साथ दो जगह से ताल ठोक रहा है.

दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने अपनी दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 10 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है. इस सूची में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा की है. लिस्ट के अनुसार नई दिल्ली सीट से बीजेपी ने सुनील यादव को टिकट दिया है. इसके अलावा हरि नगर से तेजिंदर पाल बग्गा को टिकट दिया गया है. बीजेपी की दूसरी लिस्ट में नांगलोई जाट से सुमनलता शौकीन, राजौरी गार्डन से रमेश खन्ना, हरि नगर से तेजिंदर पाल बग्गा, दिल्ली कैंट से मनीष सिंह, नई दिल्ली से सुनील यादव, कस्तूरबा नगर से रविंद्र चौधरी, महरौली से कुसुम खत्री, कालकाजी से धर्मवीर सिंह, कृष्णा नगर से अनिल गोयल और शाहदरा से संजय गोयल का नाम शामिल है

इधर उत्तराखंड में दोनों ही दल दिल्ली के चुनाव पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। कांग्रेस मानती है कि पहले तो दिल्ली, नहीं तो उत्तराखंड में उन्हें इसका फायदा मिलेगा। दूसरी ओर भाजपा का अपना गणित है। पार्टी की युवा नेता दीप्ति रावत दिल्ली में पार्टी के प्रचार में शामिल हैं। उनका कहना है कि आप के सियासी ड्रामे दिल्ली के लोगों को समझ आ गए हैं और अब वह फिर भाजपा की सरकार लाना चाहते हैं। उत्तराखंड में चुनाव भले ही अभी 2022 में हों लेकिन जानकार कहते हैं कि दिल्ली की जीत और हार बहुत कुछ उत्तराखंड की सियासत का भी रुख तय करेगी। यही कारण है कि भाजपा हो या कांग्रेस दिल्ली को दिल के करीब लगाए हुए हैं।

# the funny thing is that even though the Uttarakhand government is not doing anything
 in the development of the regional dialect language, the Delhi government opened the 
Garhwali-Kumaoni-Jaunsari language academy and handed over the reins to Uttarakhand's 
famous folk singer Heera Singh Rana. Have done the work of giving importance. It is 
believed that about 35 percent of the votes in Delhi are from Uttarakhandis. While 
the Congress has given tickets to two people of Uttarakhand origin, the UK is also 
beating with two places with its 'chair'.