01 अप्रैल : उत्तराखंड में महंगाई की मार से आमजन को दोचार होना पड़ेगा। उत्तराखंड कांग्रेस की देहरादून महानगर इलाई के पूर्व अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने कहा कि सरकार ने आमजन को इस विर्तीय वर्ष में महंगाई का तगड़ा चाबुक मारा है। सिर्फ शराब को सस्ता कर सरकार क्या जताना चाहती है। ये समझ से परे है। उन्होंने कहा कि रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हो रहा है। वहीं, बिजली और पानी की दरों के साथ ही दवाओं का खर्च भी बढ़ने से आमजन लाचार है।
घाटे का बजट और बढ़-चढ़ कर दावे
पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि अब सरकार 2023-24 के लिए घाटे का बजट लेकर आई। सरकार ने पिछले साल की तुलना में 18 फीसद की वृद्धि के साथ 77407 करोड़ का बजट पेश किया। इसके लिए 24744.31 करोड़ रुपए सरकार अपने संसाधनों से जुटाएगी। उन्होंने सीएम से सवाल किया कि बाकी 52663 करोड रुपए सरकार कहां से जुटाएगी। क्या सरकार अपने बाकी कामों को पूरा करने के लिए बाजार से कर्ज लेगी। या फिर महंगाई का बोझ जनता पर डालेगी। इसका जवाब भी सीएम को देना चाहिए।
शराब कर दी गई सस्ती
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के कैबिनेट के फैसले से पता चला कि आज से राज्य में शराब सस्ती कर दी गई है। ऐसा करके सरकार राज्य के युवाओं को शराब की लत की ओर धकेलना चाहती है। दिल्ली की शराब नीति को लेकर तो बीजेपी के लोग हल्ला मचाते हैं कि अरविंद केजरीवाल की सरकार तो लोगों को शराब के नशे की तरफ धकेल रही है। वहीं, उत्तराखंड में शराब के रेट कम करके सरकार किसे राहत देने का प्रयास कर रही है। राज्य का इतिहास रहा है कि यहां महिलाओं ने समय समय पर शराब के खिलाफ आंदोलन किए। इसके बावजूद धर्म और अध्यात्म का ढकोसला करने वाली पार्टी की सरकार ने शराब पीने वालों को ही छूट दी है।
महंगाई से आमजन त्रस्त
पूर्व महानगर अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि राजधानी देहरादून में पानी की आपूर्ति राजधानी देहरादून में ही लचर है। अब प्रदेश सरकार एक अप्रैल से उत्तराखंड में पीने का पानी भी नौ से 15 फीसदी तक महंगा कर दिया। इसे आज से ही लागू किया गया है। इसी तरह एक अप्रैल से बिजली दरों में में भी बढ़ोतरी कर दी गई है। पिछले साल 2022 से लेकर मार्च 2023 तक राज्य में बिजली की दरों में चार बार वृद्धि का निर्णय किया गया है। मार्च में लिया गया निर्णय आज से लागू किया जा रहा है।
मकान बनाना भी हुआ मुश्किल
उन्होंने कहा कि इसी तरह जमीन के सर्किल रेट में 33.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी पहले ही की जा चुकी है। ऐसे में आमजन के लिए जमीन खरीदना मुश्किल हो गया है। पिछले महीने उत्तराखंड की यूपी से होकर गुजरने वाली बसों का किराया बढ़ा दिया गया था। परिवहन निगम ने 13 ऐसे रूटों पर किराये में पांच रुपये से लेकर 60 रुपये तक की बढ़ोतरी लागू की है। वहीं, केंद्र की ओर से भी महंगाई का डबल इंजन का चाबुक चल रहा है।
इस रूप में भी पड़ी महंगाई की मार
लालचंद ने कहा कि रसोई गैस का घरेलू सिलेंडर अब देहरादून में 1122 रुपये का हो चुका है। वर्ष 2014 से पहले सिलेंडर की कीमत 410 रुपये थी। वहीं तब पेट्रोल की कीमत 36.81 रुपये थी, जो अब सौ रुपये के करीब है। यही नहीं, कागज और स्याही पर जीएसटी बढ़ने से बच्चों की शिक्षा का बजट भी बिगड़ चुका है। स्टेशनरी के रेट 20 फीसद तक बढ़ गए हैं। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, नवीं कक्षा का बैग अब आठ हजार रुपये में तैयार हो रहा है, जबकि वर्ष 2014 में डेढ़ से दो हजार रुपये इसकी कीमत थी।
कूढ़ा उठान के लिए यूजर चार्ज भी बढ़ाया
उन्होंने कहा कि बात यहीं खत्म नहीं होती। नगर निगम देहरादून ने अप्रैल माह से कूढ़ा उठान के लिए यूजर चार्च को भी अब 20 फीसद बढ़ा दिया है। वहीं, इसके विपरीत शहर की सफाई व्यवस्था के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। कई वार्डों में तो सफाई तक नहीं होती। बारिश में नालों का पानी सड़कों पर बहने लगता है।
दवा के दामों में भी वृद्धि
पूर्व महानगर अध्यक्ष ने कहा कि एक अप्रैल, 2023 से पेन किलर्स से लेकर एंटीबायोटिक और बुखार आदि की दवाओं के दाम में 12 फीसदी तक इजाफा कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कुल 800 से अधिक आवश्यक दवाओं के दाम में इजाफा किया गया है। इसमें पेनकिलर, एंटीबायोटिक्स और दिल की बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं। इससे पहले पिछले साल NPPA ने WPI को देखते हुए दवाओं के दाम में 10.7 फीसदी का इजाफा किया था। ऐसे में अब आमजन के लिए समस्या ये है कि वह अपने घर के बजट को पूरा करने के लिए किस मद में कटौती करे। क्योंकि रसोई का सामान पहले ही इतना महंगा हो चुका है कि लोगों के घरों का बजट बिगड़ता चला जा रहा है।
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