भगवान की पूजा अर्चना करने के लिए घरों में मंदिरों में देवी-देवताओं की मूर्तियां रखने की परंपरा पुराने समय के साथ चली आ रही है. लेकिन इसमें हमेशा हमें एक बात खास करके ध्यान रखने की जरूरत है कि घर में टूटी यानी कि खंडित प्रतिमाएं भूलकर भी न रखें. ऐसा करने से घर में नकारात्मकता बढ़ती है.शिवपुराण के मुताबिक शिवलिंग को निराकार माना गया है. शिवलिंग खंडित होने पर भी पूजनीय है और ऐसे शिवलिंग की पूजा की जा सकती है. शिवलिंग के अलावा अन्य सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां खंडित अवस्था में पूजनीय नहीं मानी गई हैं
भारत के हर घर में छोटा हो या बड़ा मंदिर तो जरूर होता ही हैं। उस मंदिर में घर के सदस्यों द्वारा पूजा की जाती हैं ताकि घर में सकारात्मक उर्जा का आगमन हो और सुख-शांति बनी रहें। लेकिन अपार कोशिश करने के बाद भी कभी-कभी कुछ गलतियों के कारण यह नहीं हो पाता। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं मंदिर से जुडी कुछ ऐसी गलतियां जो अक्सर लोग करते हैं। जिस कारण से पूजा का फल प्राप्त नहीं हो पाता हैं। तो आइये जानते हैं पूजाघर से जुडी उन गलतियों के बारे में।
* एक भगवान की दो तस्वीर ना रखें :
दोस्तों, इस बात का खास ख्याल रखें कि अपने घर / मंदिर में एक हीं भगवान की 2 तस्वीरें गलती से भी ना रखें। और खासकर भगवान गणेश की 3 प्रतिमाएं तो बिल्कुल भी ना रखें। कहा जाता है कि इससे आपके हर शुभ कार्य में अड़चन पैदा होने लग जाती है।
* खंडित मूर्ति :
ज्योतिष के मुताबिक पूजा करते वक्त भगवान की मूर्तियों की ओर ध्यान लगाने से हमारा तनाव दूर होता है, लेकिन यदि मूर्ति खंडित हो तो भगवान की ओर मन से ध्यान नहीं लग सकता . इसके साथ ही खंडित मूर्ति की पूजा करने पर पूजा का पूरा पुण्य हमें नहीं मिल पाता है. मन में शांति नहीं मिलती है.वास्तु के मुताबिक भी टूटी मूर्तियों से नकारात्मकतास बढ़ती है. एकाग्रता नहीं बनती है. मन अशांत रहता है. जिससे की हमारी पूजा अधूरी रह जाती हैयहां दोष सभी सदस्यों पर बुरा प्रभाव लाता है। वास्तु विज्ञान के अनुसार घर में भूल से भी ‘खंडित मूर्ति’ ना रखें। वास्तु शास्त्र की मानें तो ऐसी मूर्तियां की पूजा करने से देवतागण नाराज होते हैं। इसलिए कोशिश करें कि आप घर /मंदिर में खंडित मूर्ति ना रखें, जैसे ही आपको मूर्ति कहीं से टूटी हुई दिख जाए तो उसे जल्द से जल्द बदलकर नई मूर्ति की पूण विधि -विधान से स्थापना करें।
खंडित मूर्ति से जुड़ी एक घटना आजकल देहरादून के मानसिंह वाला के बिल्वपिपलेश्वर महादेव के मंदिर में देखने को मिली जहाँ आम जन- सामान्य की आस्थाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है । विश्वस्तसूत्रों से पता चला है कि मंदिर में 2 खंडित मूर्तियों की पूजा मंदिर समिति के जानकारी में होने के बाद भी बदस्तूर जारी है अब इसका कारण तो केवल मंदिर समिति ही बता सकती है कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं जबकि शास्त्रों का विधान है कि किसी भी मूर्ति खंडित हो जाने पर उसकी पूजा को तुरंत प्रतिबंधित कर उसे अविलंब हटा कर उसके स्थान पर नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करे। 10 दिन बाद महाशिवरात्रि का पावन पर्व आने वाला है देखते हैं कि उक्त मंदिर की समिति तब तक अपनी कुंभकरणी की नींद से जागती है की नहीं और उसके द्वारा भोले-भाले भक्तों के साथ किये गए इस छल के लिए वह उनसे क्षमा अथवा पश्चाताप करती है की नही ।
* मंदिर का सही स्थान :
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा का स्थान घर के उत्तर या पूर्व दिशा में बनाएं। दक्षिण या पश्चिम दिशा अशुभ फलदाई हो सकता है। घर के मंदिर में दो शंख गलती से भी ना रखें।
* ज्यादा बड़ी मूर्तियां नहीं रखें :
अपने घर में बने मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए किसी भी देवता की बड़ी मूर्ति ना रखें। यहां तक कि अगर आप अपने मंदिर में शिवलिंग भी रखना चाहें तो शिवलिंग का आकार अंगूठे के आकार इतना हीं रहे। शिवलिंग काफी संवेदनशील रहता है, इस वजह से मंदिर में हमेशा छोटा शिवलिंग रखना ही उचित माना जाता है।
* मंदिर के आस-पास शौचालय ना हो :
घर के पूजा घर के ऊपर या फिर अगल-बगल में शौचालय ना बनवाएं। ध्यान रखें कि घर के रसोई घर में भी मंदिर ना रखें। वास्तु शास्त्र में इसे गलत बताया गया है।
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