देहरादून,  उत्तराखण्ड प्रदेश कांगे्रस कमेटी की प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने अटल आयुष्मान योजना में हो रही एक बड़ी लापरवाही की तरफ इशारा किया है, इसमें उन्होंने कहा कि विधानसभा द्वारा पारित क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में इस बात को अनिवार्य किया गया था कि प्रदेश के सभी छोटे-बडे क्लीनिक या अस्पतालों का पंजीकरण करवाया जाए। 

2016 में पूर्वीवर्ती कांग्रेस सरकार के द्वारा इस एक्ट को प्रदेश में लागू भी करवा दिया गया था लेकिन 2018 तक भी सभी क्लीनिक और अस्पताल पंजीकृत नहीं होते देख हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि सभी क्लीनिक अस्पताल अपने आप को पंजीकृत करवायें अन्यथा उन्हें प्रशासन द्वारा सील कर दिया जाए, परन्तु उच्च न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना करते हुए राज्य सरकार ने जिला देहरादून में 42 अस्पतालों को अटल आयुष्मान योजना के तहत एंपैनल किया है या करार किया है। उनमें से मात्र 9 अस्पताल ही पंजीकृत है कुछ बडे अस्पताल है जिन्होेंने पंजीकरण के लिए अप्लाई तक नहीं किया है, ऐसे में उन अस्पतालों में क्या-क्या सुविधायें है, कितने डाॅक्टर है उनकी क्वालिफिकेशन क्या है कितना स्टाफ है कितने बेड़ है क्या इंफास्ट्रक्टर है उन अस्पतालों का वेस्ट मैनेजमेंट क्या है इन सब बातों को लेकर सरकार लापरवाही बरतती हुई दिखाई दे रही है, यह एक बहुत ही चिंतनीय विषय है जिससे सरकार की जीरो टालरेंस की भी पोल खुलती है। उन्होंने कहा कि कांगे्रस पार्टी अटल आयुष्मान योजना के विरोध में नहीं, लेकिन प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।