विकासनगर, जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि जिला प्रशासन, देहरादून ने उच्च न्यायालय के प्रतिबंध के बावजूद 190 लोगों को खनन भंडारण के लाइसेंस वर्ष 2009-2013 तक जारी किए, जिसकी आड़ में खनन माफियाओं द्वारा 4000 करोड का अवैध कारोबार किया गया। इस मामले में माफियाओं द्वारा प्रतिबंधित नदियों से चुगान कर एवं कागजी खानापूर्ति करने के लिए फर्जी रवन्नांे की आड़ में अन्य प्रदेशों से उप खनिज का आयात दर्शाया, जबकि जनपद की व्यापार कर चौकियों तथा जंगलात चौकियों में कहीं भी इस उपखनिज की आमद नहीं थी।
मोर्चा कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि इस घोटाले को लेकर वर्ष 2014 में सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया गया, जिस पर सूचना आयोग ने दिनांक 29 जनवरी 2015 को शासन के अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री को कार्रवाई के निर्देश दिए, लेकिन माफियाओं के आगे शासन व जिला प्रशासन दम तोड़ गया। इसके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई न होने से खफा मोर्चा ने वर्ष 2017 में फिर सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया, जिसके क्रम में सूचना आयोग ने दिनांक 15 दिसंबर 2017 को कार्रवाई के निर्देश दिए, जिसको लेकर जिला प्रशासन व खनिज विभाग थोड़ा हरकत में आया तथा व्यापार कर, प्रशासन व खनिज विभाग ने कुछ कार्रवाई की लेकिन फिर जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई। इस घोटाले में जिला प्रशासन व खनिज विभाग आदि सभी की मिलीभगत थी। नेगी ने कहा कि उक्त मामले फिर प्रभावी कार्रवाई न होने से खफा होकर मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी, प्रवीण शर्मा पिन्नी ने फिर आयोग का दरवाजा खटखटाया, जिस पर सूचना आयोग आयुक्त जे.पी.ममगई ने 13 दिसंबर 2019 को जिलाधिकारी, देहरादून को जांच अधिकारी नामित करने के निर्देश पारित किए तथा उल्लेख किया कि इस जांच से राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त होने की संभावना है। यदि इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच होती है तो प्रदेश को 400-500 करोड़ रुपए राजस्व मिलने की संभावना है। नेगी ने कहा की खनन माफियाओं एवं विभागीय मिलीभगत का पर्दाफाश कराने को लेकर मोर्चा छह-सात वर्षो से लगातार प्रयासरत है तथा माफियाओं को किसी भी सूरत में मोर्चा नहीं बख्शेगा। पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, मोहम्मद असद, प्रवीण शर्मा पिन्नी, सुशील भारद्वाज आदि उपस्थित रहे।