#cm_vatsaly_yojana

देहरादून, सरकार द्वारा जारी सीएम वात्सल्य योजना छलावा है इससे ज्यादा कुछ नहीं। ये कहना है आम आदमी पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता उमा सिसोदिया का जिन्होंने तीरथ सरकार द्वारा जारी की गयी सीएम वात्सल्य योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये योजना महज सरकार का दिखावा है, जिससे सरकार महज अपनी वाहवाही लूटने का काम कर रही है और कुछ नहीं।
उमा सिसोदिया ने तीरथ सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि राज्य सरकार ये बताए कि सरकार 5 प्रतिशत आरक्षण किस आधार पर देने जा रही है। क्या ये आरक्षण वर्तमान में एससी, एसटी, ओबीसी के आरक्षण की तर्ज पर दिया जाएगा या फिर इसके लिए सरकार कोई अन्य विकल्प की तलाश करेगी। अगर अलग से आरक्षण दिया जायेगा, तो क्या ये सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का उल्लंघन नहीं है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी परिस्थिति में आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। उमा सिसोदिया ने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ट्वीट से वात्सल्य योजना का आदेश जारी किया है उससे ऐसा लगता है कि सरकार इस योजना को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने आनन फानन में इस योजना के शुरुआत का आदेश दे दिया, जबकि इसके लिए ना तो अधिकारीयों और ना ही किसी कैबिनेट मंत्री से विचार विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि ये सरकार बीते चार सालों से प्रदेश की जनता को बरगलाने का काम करती आई है और एक बार फिर इतनी महत्वपूर्ण योजना की गंभीरता को सरकार समझने को कतई तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि ये योजना कई लोगों के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद है, लेकिन सरकार को देखकर ऐसा लगता नही कि सरकार इसके लिए जरा भी गंभीर है।

राज्य आंदोलनकारी व समाजसेवी जयदीप सकलानी ने मुख्यमंत्री की घोषणा  का स्वागत करते हुए बताया कि – उत्तराखंड के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री स्व0 श्री एन.डी.तिवारी ने राज्य आंदोलनकारियों के योगदान का सम्मान करते हुऐ उन्हें 10% आरक्षण देने का वादा किया था जो कि उनके शासन काल में फलीभूत भी हो गया था ! कुछ तकनीकी पहलुओं जिन पर बाद में कार्य किये जाने की बेहद आवश्यकता थी जो हो न सका और उनके बाद से आज तक उत्तराखंड के “तख्ते-ताऊस” पर  वाले “ज़िल्ल-ए-सुब्हानीयों” ने सिवाय दिल्ली दरबार की  “जी-हजूरी” के कोई काम नहीं किया जिसके चलते आज हमारे तमाम “आंदोलनकारीयों ” की स्थिति धोबी के कुत्ते वाली सी हो चली है। इस मसले के हल के लिए 5 साल पहले की हरीश रावत सरकार ने एक विधेयक मा0 राज्यपाल महोदय के पास भी भेजा भी था। मगर तभी सत्ता को हथियाने को चली अभूतपूर्व आंधी में वह ऐसा गुम हुआ कि आज तक नहीं मिला। उस मसले पर हाई-कोर्ट ने पहले ही डंडा कर रखा है इसलिये माननीय  पहले उस डंडें से तो बच लें, उसके बाद ही ये रेवड़ियाँ बंट पायेंगी।

उन्होंने कहा कि इस सरकार की आदत हवाई काम करने की है। ये सरकार काम कम और अपना प्रचार प्रसार ज्यादा करती है। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल के इस दौर में माननीय न्यायालय भी राज्य सरकार की लापरवाही को देखते हुए सरकार को फटकार लगा चुका है जिससे ये जाहिर होता है कि सरकार किसी भी योजना और कार्य को लेकर राज्य में जरा भी गंभीर नहीं है। वात्सल्य योजना भी सरकार का एक कोरा जुमला है जो बिना किसी सटीक योजना के जल्दी ही औंधे मुंह गिरेगी। अगर सरकार को किसी भी योजना को अमल में लाना ही है तो सरकार को उसको लेकर गंभीरता दिखाने की आवश्यकता है लेकिन लगता है कि ये सरकार सिर्फ विज्ञापनों तक ही सीमित हो चुकी है जो जनता को झूठे विज्ञापनों से लुभाना चाहती है लेकिन हकीकत ये है कि जनता को अब बरगलाना इतना आसान नही है। और साथ ही आम आदमी पार्टी सरकार को आगाह करती है कि अगर सरकार ने ऐसी अधूरी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की कोशिश की तो आने वाले चुनावों में जनता इस सरकार को ऐसा सबक सिखाएगी कि अर्श से ये सरकार फर्श में पहुंच जाए, इस सरकार को पता तक नहीं चलेगा।