देहरादून, विधानसभा घेराव कर हंगामा करने के नौ साल पुराने मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विवेक श्रीवास्तव की अदालत ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस किशोर उपाध्याय समेत पांच को जमानत दे दी। हरक सिंह रावत समेत पांच आरोपितों के खिलाफ सुनवाई पर पेश न होने के चलते अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। गुरुवार को पेशी के बाद अदालत ने गैर जमानती वारंट निरस्त कर दिया। अब मामले की अगली सुनवाई दो अप्रैल को होगी।
सरकारी अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य व सुबोध उनियाल कांग्रेस में रहते हुए बीस दिसंबर 2009 को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ विधानसभा कूच कर रहे थे। तब राज्य में भाजपा की सरकार थी, पुलिस ने इन सभी को रिस्पना पुल पर रोक लिया। इससे आक्रोशित होकर इन लोगों ने पुलिस बल के साथ धक्का-मुक्की की और उत्तेजक नारे लगाए। इससे शांति एवं कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई थी। मामले में 25 के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में अभियोग पंजीकृत किया गया था। 2013 से इस मामले में सुनवाई चल रही है। बीते साल सितंबर महीने में अदालत ने आरोप तय करने की तिथि निर्धारित करते हुए सभी आरोपितों को अदालत में पेश होने का आदेश दिया था। कुल 25 आरोपितों में से बीस के खिलाफ उसी समय आरोप तय कर दिए गए थे, लेकिन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस किशोर उपाध्याय, सतपाल ब्रह्मचारी, विनोद रावत व शंकर चंद्र रमोला कोर्ट में पेश नहीं हुए थे। इसके चलते अदालत ने इन आरोपितों की पत्रावली को सुनवाई के लिए अलग कर दिया था।
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इस मामले में गुरुवार को हरक सिंह रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस किशोर उपाध्याय, सतपाल ब्रह्मचारी व विनोद रावत कोर्ट में पेश हुए, जबकि शंकर चंद्र रमोला के अधिवक्ता दीपक गुप्ता ने हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
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