नई दिल्ली, गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पेश कर दिया है. अमित शाह ने जैसे ही बिल को पेश किया तो विपक्ष की ओर से इस पर जमकर विरोध शुरू कर दिया. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस बिल के प्रावधानों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इस बिल में कुछ नहीं सिर्फ अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना है. इस पर अमित शाह ने उन्हें बीच में ही टोकते हुए कहा कि यह बिल .001% भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है. इसके साथ ही अमित शाह ने कहा कि बिल में मुस्लिमों का जिक्र नहीं किया गया है. अमित शाह के बीच में टोकने पर अधीर रंजन ने कहा कि क्या आप भी ऐसा करेंगे. इस पर अमित शाह ने कहा कि अभी इस बिल के प्रावधान पर चर्चा नहीं हो रही है. इसके अमित शाह ने कहा कि बिल पर उठाए जा रहे हर सवाल का हम जवाब देंगे तब आप सदन से आप वॉक आउट नहीं करना. अमित शाह ने कहा, ‘मैं इस बिल पर उठाए जा रहे हर सवाल का जवाब दूंगा. तब से सदन से वॉक आउट मत करना….वॉक आउट मत करना. इसके बाद अमित शाह ने बिल की जरूरत पर चर्चा करते हुए कहा कि इस बिल से पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए मुस्लिम को लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि वहां पर उनके साथ धार्मिकता के आधार पर अत्याचार नहीं होता है

Citizenship Amendment Bill: क्या है नागरिकता संशोधन बिल, 10 प्वाइंट्स में समझें इसके प्रावधान

सिटिज़नशिप अमेंडमेंट बिल आज लोकसभा में पेश किया गया.

नई दिल्ली: नागरिकता (संशोधन) विधेयक, यानी सिटिज़नशिप (अमेंडमेंट) बिल (Citizenship (Amendment) Bill) या CAB को सोमवार को लोकसभा में पेश किया. इसके ज़रिये पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जा सकेगी. लोकसभा के पिछले कार्यकाल के दौरान यह बिल निष्प्रभावी हो गया था. विधेयक पेश करने को देखते हुए सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने सभी लोकसभा सदस्यों को व्हिप जारी किया कि नौ दिसम्बर से तीन दिनों तक सदन में मौजूद रहें. एक सूत्र ने बताया कि व्हिप में भाजपा (BJP) के सभी सांसदों से सदन में मौजूद रहने के लिए कहा गया है. विधेयक के लोकसभा (Lok Sabha) में आसानी से पारित होने की संभावना है क्योंकि 545 सदस्यीय सदन में भाजपा के 303 सांसद हैं.
क्या है सिटिज़नशिप अमेंडमेंट बिलl
  1. नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) का उद्देश्य छह समुदायों – हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी – के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है.

  2. बिल के ज़रिये मौजूदा कानूनों में संशोधन किया जाएगा, ताकि चुनिंदा वर्गों के गैरकानूनी प्रवासियों को छूट प्रदान की जा सके. चूंकि इस विधेयक में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष ने बिल को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उसकी आलोचना की है.

  3. ख़बरों के अनुसार, नए विधेयक में अन्य संशोधन भी किए गए हैं, ताकि ‘गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे’ लोगों तथा पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचारों का शिकार होकर भारत में शरण लेने वाले लोगों में स्पष्ट रूप से अंतर किया जा सके.

  4. देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है.

  5. नागरिकता (संशोधन) विधेयक का संसद के निचले सदन लोकसभा में आसानी से पारित हो जाना तय है, लेकिन राज्यसभा में, जहां केंद्र सरकार के पास बहुमत नहीं है, इसका पारित हो जाना आसान नहीं होगा.

  6. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK), समाजवादी पार्टी (SP), वामदल तथा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) इस बिल के विरोध में हैं, लेकिन राज्यसभा में मतदान की नौबत आने पर ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) जैसी पार्टियां सरकार के पक्ष में संतुलन कायम कर सकती हैं.

  7. BJP की सहयोगी असम गण परिषद (AGP) ने वर्ष 2016 में लोकसभा में पारित किए जाते वक्त बिल का विरोध किया था, और सत्तासीन गठबंधन से अलग भी हो गई थी, लेकिन जब यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया, AGP गठबंधन में लौट आई थी.

  8. लोकसभा में विधेयक को पेश किये जाने के लिए विपक्ष की मांग पर मतदान करवाया गया और सदन ने 82 के मुकाबले 293 मतों से इस विधेयक को पेश करने की स्वीकृति दे दी. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को संविधान के मूल भावना एवं अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की.

  9. गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस, आईयूएमएल, एआईएमआईएम, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक कहीं भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है और इसमें संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया.

  10. शाह ने सदन में यह भी कहा ‘अगर कांग्रेस पार्टी देश की आजादी के समय धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की जरूरत नहीं पड़ती.’

संदन में भारी हंगामे के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर धर्म के आधार पर कांग्रेस देश का विभाजन नहीं करती तो इस इस बिल की जरूरत नहीं पड़ती. उनके इस बयान पर एक बार फिर विपक्षी की ओर से भारी विरोध हुआ. आरएसपी के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि यह बिल संविधान के मूल आधार के खिलाफ है. धर्म के आधार पर नागरिकता धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि क्या अब देश में धर्म के आधार पर नागरिकता तय की जाएगी. वहीं हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बयान परल हंगामा मच गया है और लोकसभा स्पीकर ने उनके भाषण के कुछ अंश को कार्यवाही से निकाल दिया.

 

udhav thakre

मुंबई, लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक (कैब) पेश किए जाने के मद्देनजर शिवसेना ने सवाल उठाए कि क्या हिंदू अवैध शरणार्थियों की ‘चुनिंदा स्वीकृति’ देश में धार्मिक युद्ध छेड़ने का काम नहीं करेगी और उसने केंद्र पर विधेयक को लेकर हिंदुओं तथा मुस्लिमों का ‘अदृश्य विभाजन’ करने का आरोप लगाया. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने यह भी कहा कि विधेयक की आड़ में ‘वोट बैंक की राजनीति’ करना देश के हित में नहीं है.

पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में शिवसेना ने विधेयक के समय पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘भारत में अभी दिक्कतों की कमी नहीं है लेकिन फिर भी हम कैब जैसी नयी परेशानियों को बुलावा दे रहे हैं. ऐसा लगता है कि केंद्र ने विधेयक को लेकर हिंदुओं और मुस्लिमों का अदृश्य विभाजन किया है.’ साथ ही शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कुछ पड़ोसी देशों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की.