राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण के अन्तर्गत कवि सम्मेलन आयोजित
राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान देहरादून में हिन्दी पखवाडा के अन्तर्गत कवि सम्मेलन आयोजित
देहरादून, राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान देहरादून में हिन्दी पखवाडा के अन्तर्गत कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ संस्थान के निदेशक प्रो0 नचिकेता राउत ने द्वीप प्रज्जल्वित करके किया। निदेशक प्रो. राउत ने बताया कि कविता हिन्दी के अन्तर्मन की सशक्त ऐसी विधा है जो अपने कथन रोचकता के साथ प्रस्तुत करती है।
      संस्थान की हिन्दी अधिकारी नीरज गांधी ने बताया कि कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ करने वाले कवियों में श्रीकान्त, रोशनलाल, जितेन्द्र डिमरी, शादाब अली, डौली डबराल, स0 अमरजीत सिंह भाटिया एवं सतेन्द्र कुमार द्वारा काव्य पाठ किया गया। कवि सम्मेलन का संचालन योगेश अग्रवाल द्वारा किया गया। डोली डबराल द्वारा सरस्वती के वन्दना के साथ शुभारम्भित कवि सम्मेलन में रोशनलाल ने परिवहन दण्ड पर व्यग्ंय किया। श्रीकान्त श्री ने ‘नमन करना या मत करना,कोई कुछ नही कहेगा पर, शहीदों की शहादत को कभी बदनाम मत करना, शादाब अली ने चिराग बनके जो दुनिया में जगमगाते हैं, वो अपने घर के अंधेरों से हार जाते हैं’’डोली डबराल ने पायदान‘‘ मेैं नही किसी की न चैखट पर पडी हुई हॅंू, ना दुत्कारे कोई मुझको अपने दम पर खडी हुई हॅंू’’ संचालन करते हुए योगेश अग्रवाल ने ‘‘ मित्रो! जीवन की आपा धापी में अकेलेपन की व्यथा जीवन भर सहनी पडती है, जिन्दगी में लाईफ पार्टनर भी साथ हो अन्यथा मन की व्यथा रेडियो पर कहनी पडती है’’तथा जितेन्द्र डिमरी स0 अमरजीत सिंह भाटिया, सतेन्द्र कुमार ने भी रचनायें प्रस्तुत की।
         संस्थान की ओर से आमंत्रित कवियों को सम्मानपत्र से सम्मानित किया गया। संस्थान के विशिष्ट शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के पाठयक्रम समन्वयक स0 कमलबीर सिंह जग्गी ने सभी कवियों का उनके द्वारा प्रस्तुत हृदय स्पर्शी एवं प्रभावी काव्य रचनाओं के प्रस्तुतिकरण के लिये आभार ज्ञापित किया। कवि सम्मेलन में डाॅ0 सतीश अग्रवाल-मुख्य वार्डन,नागरिक सुरक्षा, स0कमलवीर सिंह जग्गी, आर पी सिंह, डाॅ0 विनोद कुमार केन, नीरज गांधी, पवन कुमार शर्मा, जगदीश लखेडा, उमराव सिंह रावत, देवेन्द्र कर्णवाल, जितेन्द्र जडौत, सुखविन्दर कौर, चण्डी प्रसाद लखेड़ा, प्रियन्का आदि उपस्थित रहे।