गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान और हमारा उत्तरजन मंच (हम) ने संयुक्त अभियान चलाकर गरीब-गुरबों को बाँटे रजाई, कम्बल, स्वेटर और गर्म कपडे|
देहरादून गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान का जारी क्रमिक धरना 108वाँ दिवस में प्रवेश कर गया|
गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने इस बीच हमारा उत्तरजन मंच (हम) की पहल पर कल देर रात्रि तक दून में बढती कड़ाके की ठंड में, सड़कों के किनारे, बिना झोपड़-पट्टी के रह रहे गरीब तबके के लोगों को और उनके बच्चों को गर्म वस्त्र भेंट किए गए| हमारा उत्तरजनमंच के अध्यक्ष श्री रणवीर चौधरी, वरिष्ठ उपाधयक्ष मनोज ध्यानी, महासचिव समीर मुंडेपी, संजीव कुमार, श्रीमती नीलम व गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान* की ओर से कोर कमेटी के सर्न सदस्य लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, मनोज ध्यानी, मदन सिंह भंडारी, जबर सिंह पावेल व सोहन सिंह रावत आदि के द्वारा देर रात्रि तक यह अभियान चलाया गया| इस अभियान के तहत परेड ग्राउंड के इर्द-गिर्द मैदानों में खुले आसमान के नीचे रह रहे लोगों को लाभान्वित किया गया| इस अभियान के बारे में बताते हुए श्री रणवीर चौधरी ने कहा कि जो लोग देश को रीजनल सुपर पॉवर के रूप में पेश करते हैं और कहते हैं कि अच्छे दिन आ चुके हैं, उन्हें यहाँ पर आकर देखना चाहिए कि कैसे आज भी भारत के नागरिक बिना छत के खुले आसमान के नीचे रातें बिता रहे हैं| श्री समीर मुंडेपी ने कहा कि हम ऐसे जरूरतमंद लोगों तक गर्म वस्त्र, रजाई व कंबल तक पहुंचाते रहेंगे, जिसमें गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान की मुख्य भागीदारी रहेगी| गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के श्री लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल ने कहा कि अभियान इस बात की निंदा करता है कि आज भी यदि देश का नागरिक इस हालात में है कि उसके पास छत व आसियाना नहीं है, और सरकारें सोई पडी हैं| उन्होंने कहा कि सरकार को अपने संसाधन प्रदेश के गरीब वर्ग के हितार्थ सृजित करने चाहिए| अभियान के मीडिया प्रभाग की ओर से श्री मनोज ध्यानी ने बताया कि अभियान आज संपादित किए गए पुनीत कार्य को निरंतर जारी रखेगा| और जरूरतमंदों की मदद यथासामर्थ्य अनुसार जारी रखेगा|
इधर आज गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान* ने ऊर्जा विभाग द्वारा बिजली आदि कनेक्शन हेतु केवल ऑनलाईन फॉर्म द्वारा ही स्वीकार करने की नीति को जनविरोधी व यथार्थवाद से कोसों दूर की कौड़ी बताया है| *गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान ने कहा है किउत्तराखंड की मांग के पीछे राजधानी लखनऊ से गलत नीतियाँ बनना भी एक प्रमुख कारण थी, जब उत्तराखंड में पानी की समस्या के निवारण के लिए कुआँ खोदने आदि जैसी नीतियाँ बनाई जाकी थी| ठीक उसी प्रकार से आज देहरादून अस्थाई राजधानी से भी वही पुरानी बेवकूफियाँ दोहराई जा रही हैं| जिस प्रदेश में गांव के गांव सडक-बिजली-शिक्षा की जरूरत को तरस रहे हों, जहाँ पर मोबाईल नेटवर्क पर बात तक करने के लिए ग्रामवासियों को ऊंचे पहाड़ चढने पड़ते हों, वहाँ पर केवल ऑनलाईन का ही राग अलापना किसी भी प्रकार से व्यवहारिक नीति नहीं है| अभियान ने कहा है कि यह सिद्द करता है कि प्रदेश की राजधानी गैरसैंण होना कितनी जरूरी है ताकी प्रदेश की नीतियाँ जनपक्ष की बन सकें|
धरना पर बैठने वालों व उन्हें समर्थन देने वालों में लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, मनोज ध्यानी, सचिन थपलियाल, प्रवीन गुसांई, उदवीर पंवार, दरबान सिंह, मनोज कुमार बडोला, रोशनी चंदेल, वीरेन्द्र डंगवाल, विजय सिंह रावत, शीला रावत, भार्गव चंदोला, सुदिक्षा चंदोला,पूजा चंदोला संजय थपलियाल,दुलब सिंह रौथांण, ई0 मुकेश रतूडी, ई0 शक्ति आर्य, ई0 विष्णुदत्त बेंजवाल, ई0 नवीन कांडपाल, तुलाराम बड़वाल, एस.के.नेगी, सुनील दत्त कोठारी, पूर्णानंद नौटियाल, सुभाष देवलियाल, चतुर सिंह नेगी आदि उपस्थित रहे|