कोरोना संक्रमण काल के कारण बीते दो वर्ष चार धाम यात्रा प्रभावित हुई थी। इस वर्ष कई प्रांत से शासन और प्रशासन को पूर्व से ही इस बात के संकेत मिल रहे थे कि इस बार यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे। इसे लेकर यदि होमवर्क किया होता तो आज श्रद्धालुओं की भीड़ के आगे व्यवस्था बौनी नजर नहीं आती।

शासन की ओर से इस वर्ष आनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई थी। इस व्यवस्था के चलते धामों में दर्शन के स्लाट लंबी अवधि के लिए बुक हो गए। बड़ोदरा गुजरात की कंपनी एथिक्स इंफोटेक को पंजीकरण का काम सौंपा गया था। धामों पर जब भीड़ अत्यधिक बढ़ गई तो दस दिन पूर्व आफलाइन पंजीकरण की जिम्मेदारी एसडीआरएफ को सौंप दी गई। इन्हें प्रतिदिन सीमित संख्या में स्लाट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। आफलाइन पंजीकरण के नाम पर फर्जीवाड़ा बढ़ता ही जा रहा है और श्रद्धालु आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं।

कुल मिलाकर चारधाम यात्रा संचालन के प्रमुख केंद्र ऋषिकेश में श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध कराई गई तमाम व्यवस्थां आस्था के सैलाब के आगे बौनी नजर आ रही है। चारधाम यात्रा बस टर्मिनल कंपाउंड में यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए आयुक्त गढ़वाल मंडल ने यहां सीसीटीवी कैमरे बढ़ाए जाने के निर्देश दिए गए थे।यात्रा को एक माह पूरा होने जा रहा है। लेकिन अब तक निर्देश पर अमल नहीं हुआ है।पुलिस चौकी की ओर से पहले से यहां चार कैमरे लगाए गए हैं। 12 सीसीटीवी कैमरे और यहां लगाए जाने हैं। पर्यटन विभाग ने सिर्फ दो कैमरे लगाने की बात कही है। यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।

कोतवाली प्रभारी निरीक्षक बताते हैं कि इस संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। बस टर्मिनल कंपाउंड के प्लेटफार्म में पूरे दिन श्रद्धालु पंजीकरण के लिए मौजूद रहते हैं। रात में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां सो रहे हैं। परिवहन निगम की बसीं को कंपाउंड के भीतर ही धोया जा रहा है। विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा उत्तर प्रदेश जैसे लंबे रूट से आने वाली बसों के स्टाफ की ओर से यहीं पर बसों की धुलाई की जा रही है। परिवहन निगम के सहायक महाप्रबंधक ने बताया कि विभाग की नटराज चौक के समीप अपनी वर्कशाप है। सभी वाहनों को वर्कशाप में ही धोने के लिए पहले से ही निर्देश दिए गए हैं।

पंजीकरण केंद्र में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए टीन शेड की व्यवस्था की गई है। इससे आगे कुछ हिस्से में टेंट लगाया गया है। जिसमें सीमित संख्या में ही श्रद्धालु खड़े हो सकते हैं। वर्तमान में करीब दो हजार श्रद्धालु पंजीकरण की लाइन में खड़े होते हैं और धूप से बचाव के लिए इनके पास प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं है। स्वयं की छतरी और प्लास्टिक की पन्नी से यह लोग धूप से बचाव करने को मजबूर हैं। वर्तमान में आफलाइन पंजीकरण में धामों के दर्शन के लिए सीमित संख्या में स्लाट उपलब्ध होता है। जबकि पंजीकरण के लिए करीब दो हजार श्रद्धालु यहां प्रतिदिन मौजूद रहते हैं। इस लाइन में तत्काल आने वाला श्रद्धालु और दो दिन से यहां मौजूद श्रद्धालु सभी खड़े रहते हैं। इनके श्रेणीकरण की कोई व्यवस्था यहां पर नहीं है।

बस टर्मिनल कंपाउंड में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ के अनुपात में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। सुलभ इंटरनेशनल की ओर से यहां दो शौचालय की व्यवस्था की गई है। सार्वजनिक मंत्रालय की अतिरिक्त व्यवस्था नहीं है। सुबह-सुबह यात्रा अड्डा और चंद्रभागा पुल के मध्य सड़क के किनारे व्यापारिक प्रतिष्ठानों के बाहर लोग खुले में शौच करते हैं। चंद्रभागा नदी किनारे भी बड़ी संख्या में लोग खुले में शौच के लिए जा रहे हैं। बस अड्डे के समीप वन विभाग की भूमि शौच के काम आ रही है। यहां खड़ी बसों की आड में यात्री मूत्र विसर्जन कर रहे हैं। ज्यादा गर्मी में यहां से उठने वाली दुर्गंध बीमारियों को न्योता दे रही है। यहां मोबाइल टायलेट की कोई व्यवस्था नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से बस टर्मिनल कंपाउंड मुख्य भवन श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए स्वास्थ्य केंद्र खोला गया है। जिसमें बीएमएस चिकित्सक श्रद्धालुओं की प्राथमिक जांच कर रहे हैं। रक्त जांच की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। जांच में भी सिर्फ रक्तचाप और नाड़ी की जांच हो रही है। तीन दिन पहले आयुक्त गढ़वाल मंडल ने निर्देश दिए थे कि धामों पर श्रद्धालुओं की मौत को देखते हुए ऋषिकेश में ही श्रद्धालुओं का संपूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण होगा उसके बाद ही उन्हें यात्रा पर जाने दिया जाएगा। बस टर्मिनल कंपाउंड में रुके हजारों श्रद्धालुओं को चारधाम यात्रा मार्ग और वहां के मौसम की जानकारी देने की कोई सुविधा यहां उपलब्ध नहीं कराई गई है।

मौसम विभाग समय-समय पर अलर्ट जारी तो करता है मगर यहां रुके श्रद्धालु उससे अनभिज्ञ ही रहते हैं। कहने को नगर निगम की ओर से यहां बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी। वर्ष 2013 की आपदा के बाद मौसम अलर्ट की जानकारी देने के लिए यह व्यवस्था की गई थी। अधिकारियों के आदेश के बावजूद अब तक इस स्क्रीन में यात्रा मार्ग की स्थिति, मौसम की जानकारी, दामों में उपलब्ध स्लाट की जानकारी देने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं के लिए बेहतर से बेहतर सुविधाएं और व्यवस्था बनाने के प्रयास किए गए हैं। सुधारों के ठहरने से देकर भोजन और पानी तक की व्यवस्था की गई है। ओवर रेटिंग से लेकर पंजीकरण में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए हर संभव कोशिश की गई है।

रोटेशन, परिवहन निगम और परिवहन विभाग से बेहतर तालमेल बनाया गया है। इस वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं। व्यवस्था में जो कमी रह गई है, उसे दूर किया जाएगा। चारधाम यात्रा में इस बार 26 दिनों के भीतर ही दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों का आंकड़ा 12 लाख से अधिक पहुंच गया है। बदरीनाथ में चार लाख, केदारनाथ धाम में पौने तीन लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। यात्रा के लिए अब तक 23 लाख तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण कराया है।

बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री समेत हेमकुंड साहिब में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की रिपोर्ट के मुताबिक चारों धामों में 29 मई तक 12 लाख से अधिक तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं। 28 मई देर रात तक चारों धामों में 11 लाख 89 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। बदरीनाथ व केदारनाथ पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 7.88 लाख हो गई है। इसी तरह गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में 400618 श्रद्धालु पहुंचे। हेमकुंड साहिब में एक सप्ताह के भीतर 16587 श्रद्धालुओं ने माथा टेका। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ.हरीश गौड़ ने बताया कि चारों धामों व हेमकुंड साहिब में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है।

मौसम की चुनौतियों के बाद भी चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है। यात्रा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण फुल चल रहे हैं। चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ उम्मीद से अधिक दर्शने के लिए पहुंच रही है। वही, उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के दृष्टिगत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को सुव्यवस्थित और नियमानुसार यात्रा संचालन के निर्देश दिए हैं। वही इस दौरान सीएम ने चारों धामों में वीआईपी दर्शन की व्यवस्था को समाप्त करते हुए एक समान व्यवस्था लागू करने के निर्देश हैं।

यह लेखक के निजी विचार हैं !
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला दून विश्वविद्यालय

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