शहीद कैप्टन दीपक सिंह मूलरूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले थे। उनका परिवार देहरादून में रह रहा था। कैप्टन दीपक ने बारहवीं तक की पढ़ाई सेंट थामस स्कूल से की। 13 जून 2020 को वह सेना में कमीशन हुए। कैप्टन दीपक सिंह अगस्त 2024 में डोडा के अस्सार में चल रहे ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए। वह 48 राष्ट्रीय राइफल्स से थे। आतंक विरोधी ऑपरेशन के दौरान उन्हें गोली लग गई इसके बावजूद वो अदम्य साहस का परिचय देते हुए अग्रिम पोस्ट पर मजबूती से खड़े रहे और आतंकियों पर गोलियां बरसाते रहे। उनके पिता महेश सिंह उत्तराखंड पुलिस के रिटायर कार्मिक हैं। वह पुलिस मुख्यालय में तैनात थे और पिछले साल अप्रैल में वीआरएस लिया था। मां चंपा देवी गृहणी है।
देहरादून। उत्तराखंड के वीर सपूत कैप्टन दीपक सिंह को अदम्य साहस के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के लिए सर्वाेच्च बलिदान देने वाले कैप्टन दीपक सिंह की मां और पिता को शौर्य चक्र प्रदान किया। इस मौके पर बेटे की वीरता पर शौर्य चक्र पाकर उनके माता-पिता भावुक हो गए।
14 अगस्त 2024 को जम्मू कश्मीर के डोडा जिले के अस्सर के शिवगढ़ धार इलाके में भारतीय सेना के 48 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन दीपक सिंह शहीद हो गए थे। इससे पहले सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम को खुफिया इनपुट मिला था कि आतंकी छिपे हुए हैं। जिस पर कैप्टन दीपक सिंह के नेतृत्व में दो दलों को तैनात किया। लगातार निगरानी के बाद शाम करीब साढ़े 7 बजे के आसपास आतंकियों की गतिविधि नजर आई।
इसके बाद कैप्टन दीपक ने अपनी टुकड़ी को संगठित कर आतंकियों की घेराबंदी शुरू कर दी। इसके तहत जवानों ने सटीक निशाना लगातार एक आतंकी को घायल कर दिया। अंधेरा होने और आतंकियों के चट्टान के पीछे छिपे होने की वजह से काफी चुनौती पेश आई, लेकिन दीपक सिंह पूरी रात अपनी टुकड़ी के साथ डटे। अगली सुबह कैप्टन दीपक सिंह ने तलाशी अभियान शुरू किया। मुठभेड़ में शहीद हुए दीपक सिंहरू तलाशी अभियान के दौरान एम 4 असॉल्ट राइफल के साथ गोला बारूद बरामद हुआ। इसी बीच चट्टान के पीछे छिपे घायल आतंकी ने फायरिंग शुरू कर दी। जिस पर कैप्टन दीपक सिंह ने अपने प्राणों की चिंता न करते हुए अपने साथी को सुरक्षित पीछे किया और खुद आगे जाकर आतंकी को मुंहतोड़ जवाब देना शुरू किया। काफी देर तक आमने-सामने गोलीबारी चली. जिसमें कैप्टन दीपक घायल हो गए।
कैप्टन दीपक सिंह को आर्मी हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर उनकी जान नहीं बचा पाए। आखिरकार अदम्य साहस का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीर शहीद कैप्टन दीपक सिंह मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया। यह सम्मान उनके माता चंपा सिंह और पिता महेश सिंह ने ग्रहण किया।