Swami Chidanand Saraswati.Brazilian team with Swami Chidanand Saraswati.

समस्याओं का हिस्सा नहीं बल्कि समाधान के भागीदार बनेंः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन में एक सप्ताह के प्रवास पर ब्राजील से 20 से अधिक योग साधकों का दल आया। इस दल के सदस्यों ने यहां पर रहकर योग, ध्यान, भारतीय संस्कृति और दर्शन की शिक्षा प्राप्त की। दल के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के सान्निध्य में आध्यात्मिक सत्संग और गंगा आरती में भी सहभाग किया।
स्वामी जी ने ब्राजील से आये दल को सम्बोधित करते हुये कहा, ’वर्तमान समय की भागदौड़ भरी जिन्दगी, उर्वरक युक्त भोज्य पदार्थ, चारों ओर बढ़ते प्रदूषण के कारण स्वस्थ रहने के लिये जीवन शैली, चिंतन शैली और आहार शैली में परिवर्तन करना नितांत आवश्यक है। सात्विक जीवन पद्धति के साथ योग, ध्यान और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर स्वस्थ रहा जा सकता है। स्वामी जी ने शाकाहार एवं स्वच्छता पर जोर देते हुये प्राकृतिक जीवन पद्धति अपनाने का संदेश दिया। साथी ही प्लास्टिक मानव और प्रकृति दोनों के लिये घातक है इसका उपयोग बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिये क्यांेकि प्लास्टिक ही है शारीरिक व्याधियों और प्रकृति के असंतुलन का कारण। स्वामी जी ने कहा कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड एक तंत्र है और व्यक्ति इसका आधारभूत घटक है अतः इस तंत्र की सुदृढ़ता के लिये सभी को मिलकर प्रयास करना होगा तभी हम अपनी पृथ्वी, पर्यावरण और जल स्रोतों को बचा सकते है।

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ब्राजील से आये दल से चर्चा के दौरान स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान समय के पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिग, जल संकट जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। अगर इन समस्याओं का सामना इस समय न किया गया तो आगे आने वाली पीढ़ियों के लिये भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उन्होने कहा कि अगर हम किसी समस्या का समाधान नहीं कर सकते तो हमें समस्याओं का निर्माण भी नहीं करना चाहिये। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के सान्निध्य में ब्राजील से आये दल के सदस्य एना क्लाउडिया, रेजाने गुइमारेस, मिलेना लुंडग्रीन, मार्सेलो अरूजो, सिलवाना अरूजो, रोड्रिगो सोल्वेरा, जेन कोस्टा, वेस्ले लिएंड्रो, एलिजाबेथ फ्रीटास, एंटोनियो नेटो, एल्डिनेज पचेको, एलेक्स एंटयून्स, एलिओमर जूनियर, क्लाउडेय फेघ्रेरा, मारिया इजाबेल कैब्रल, इंद्रामारा फ्रीयर, सारा फिग्यूएरेडो, अमांडा गाॅर्की और योग जिज्ञासुओं ने विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया तथा एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्प लिया। उन्हांेने कहा कि नदियों की आरती करना भारत की अनूठी परम्परा है। वास्तव में इससे यह संदेश मिलता है कि आप अपनी प्रकृति से जुड़ें और उसका सम्मान करंे।

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