देहरादून, उत्तराखंड से निरंतर हो रहे पलायन को थामने के लिए यहां के प्राकृतिक संसाधनों का इस तरह से उपयोग होना चाहिए कि प्रकृति पर असर न पड़े और रोजगार के अवसर भी सृजित हों। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की ओर से राज्य के परिप्रेक्ष्य में तैयार प्रकृति आधारित पर्यटन विश्लेषण एवं सिफारिश संबंधी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है। इसमें भूटान और सिक्किम की तर्ज पर प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देकर इसके तहत वन्यजीव पर्यटन, रिवर राफ्टिंग, ट्रैकिंग व होम स्टे पर खास फोकस करने की सिफारिश की गई है। प्रदेश में गांवों से हो रहा पलायन एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। पलायन आयोग की रिपोर्ट पर ही गौर करें तो राज्य गठन से लेकर अब तक 1702 गांव पलायन के कारण निर्जन हो चुके हैं। ऐसे गांवों की भी अच्छी खासी तादाद है, जहां गिनती के ही लोग रह गए हैं। ऐसे में जरूरी है कि पलायन थामने को गांव अथवा गांव के नजदीक ही रोजगार मुहैया कराने के साथ ही मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएं।