चलो साहब ! उत्तराखण्ड सरकार का बहुप्रतिक्षित “एटमबम”  इनवेस्टर समिट भी गुजर गया, अब इसकी गूंज से का प्रतिफल तो पता नहीं कब दिखेगा मगर अभी तो ये  दिवाली के बाद फूटे हुऐ पटाखों का कबाड़ और  उम्मीदों की पिघली हुई मोमबत्तीयों के निशान ही ज्यादा दिख रहा है
कल के इंवेस्टटर समिट में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जो “इंफॉर्मेशन टेक्नोलाजी और  भारतीय टेलेंट” का मूल मंत्र देने की कोशिश सुनने में तो अच्छी  है…मगर उत्तराखंड के संदर्भ में में कहना चाहूंगा कि हमें यहाँ  सिर्फ “इंफॉर्मेशन टेक्नोलाजी और उत्तराखंडी टेलेंट”  की जरुरत है  उत्तराखंड की बौद्धिक शक्ति आज देश-विदेश के हर क्षेत्र अपना परचम लहरा रही  है, और यह क्षेत्र भी उन्हीं में से एक है बस जरुरत है तो  उसकी ताकत को पहचानने की। पहाड़ की बेहतरीन साक्षरता दर से बताती है कि जुझारुपन ओर कठोर परिश्रम उसके डीएनए में है।
इंवेस्टटर समिट में उत्तराखंडी युवाओं को सरकार से  उम्मीद थी कि शायद डिजिटल इंडिया और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में कुछ सुगम रोजगार परक नीतियों की घोषणा होगी। जिससे इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी प्रशिक्षित युवाओं को स्वरोजगार ओर  रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।
यह एक बड़ा रोजगार परक सेक्टर है जिसमे लागत की अपेक्षा, उत्पादन अधिक मिलता लेकिन पता नहीं क्यों सरकार और उसके नीति निर्माताओं ने इस तरफ से  आंखे मूंद रखी है।
पहाड़ में आई टी से जुड़े सेक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स में बहुत सम्भवना है। यहाँ अच्छे आई टी तकनीकी संस्थान है व उसे स्थापित करने सम्बन्धी अनुकूल पर्यावरण, फिर भी यहाँ का युवा पलायन कर दिल्ली, नोयडा में नौकरी करने को मजबूर हैं। सूचना प्रोधोगिकी एक ऐसा उद्योग है जिस के लिए बहुत ज्यादा जमीन या इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नही होती। आज इंटरनेट के माध्यम से कंही भी बैठ कर आप पूरी दुनिया में सेवाएं प्रदान कर सकते है।
बस जरुरत है तो अच्छी नेट कनेक्टिविटी,बिजली और शिक्षित तकनीकी युवा शक्ति और सकारात्मक अनुकूल व्यावसायिक वातावरण की, जिसकी यहाँ कोई कमी नहीं है ,बस सरकार को जरुरत है यहाँ इस तरह का इको सिस्टम को डेवलप करने की ।
आज  जिस तरह  दिल्ली , नोएडा,  झंडेवालान और ओखला में “फ्लैटेड फैक्ट्री काम्प्लेक्स” है उसी की तर्ज पर अगर उत्तराखंड के हर जिले में मिनी आईटी एवं माइक्रो इंड्रस्टी पार्क व “फ्लैट फैक्टरी काम्प्लेक्स” को विकसित किया जाये तो बहुत से स्थानीय उधमियों, युवाओं को  उद्योग स्थापित करने  में सहूलियत होगी,और उधमिता का वातावरण भी विकसित होगा।
आज अगर सरकार हर जिले में कम से कम एक मिनी आईटी एवं माइक्रो इंड्रस्टी पार्क स्थापित कर दे तो  स्थानीय प्रतिभा के लिये रोजगार सृजन का अवसर  तो होगा ही साथ ही यहाँ  “पहाड़”  बन चुकी पलायन की समस्या पर भी रोक लगेगी । दूरस्थ महानगरों में आईटी  सेक्टर ने कार्यरत पहाड़ी  युवा वापस आकर अपना रोजगार/कारोबार शुरू  कर सकेंगे । जिसके हर जिले कई छोटे छोटे स्टार्ट अप ओर आईटी उद्योग पनप सकगें ।
सरकार अपनी  वर्तमान आई टी पालिसी में निम्न विन्दुओं पर सुधार करने की जरूरत है।
1. मिनी आईटी एवं माइक्रो इंड्रस्टी पार्क  विकसित
करने में न्यूनतम दरों पर नेट, बिजली जैसी  आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही प्रदेश में आई टी एवं उससे जुड़े  सेक्टर में स्थानीय कंपनियों और स्टार्टअप को प्राथमिकता के आधार पर सरंक्षण दे।
2. स्थानीय युवाओं को उद्योग स्थापित करने के लिए 10 लाख तक का तक ब्याजमुक्त ऋण 3 सालों के लिए  उपलब्ध कराये ।
3.  मिनी आईटी एवं माइक्रो इंड्रस्टी पार्क  में रियायती दरों पर स्थानीय युवाओं को स्थान उपलब्ध कराया जाय।
4.  देहरादून में स्थापित विभिन्न बीपीओ और आई टी कंपनी के साथ  “हब स्पोक मॉडल” से लिंक  स्थापित करते हुऐ पहाड़ी जिलों में  छोटे छोटे बीपीओ की स्थापना के लिये कंपनियों  को  प्रोत्साहित किया जाऐ, जिससे स्थानीय लोगों को अपने जिलों में ही रोजगार प्राप्त हो सके ।
  अगर सरकार इस तरह की कोई नीति बनाती है तो हो सकता है कि आने वाले सालों में पहाड़ का युवा अपनी खेती के साथ अपनी छोटी मोटी इंड्रस्टी भी संभल ले अन्यथा तो पलायन बदस्तूर जारी है ।
अनिल पैन्यूली
सामाजिक विकास कार्यकर्ता