नैनीताल, कुमाऊॅ विश्वविद्यालय का 15वाॅ दीक्षान्त समारोह पूरी भव्यता के साथ डीएसबी कैम्पस सभागार में आयोजित किया गया। दीक्षान्त समारोह में विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एवं राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने संस्कृति, साहित्य, फिल्म क्षेत्र में ख्याति अर्जित करने वाले सैंट्रल बोर्ड फाॅर फिल्म सर्टिफिकेशन के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध गीतकार प्रशून जोशी को डी.लिट की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया। विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुये कुलाधिपति श्रीमती मौर्य ने कहा कि मेरे लिये विशेष गर्व व सम्मान की बात है कि वह हमारे प्रतिष्ठित सपूत प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी को सम्मानित कर रही हूॅ। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि युवा पीढ़ी प्रशून जोशी की कढ़ी मेहनत, लगन, कत्र्वव्यनिष्ठा,श्रमशीलता से सदा प्रेरित व प्रोत्साहित होंगे और आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। 

 अपने सम्बोधन में कुलाधिपति श्रीमती मौर्या ने कहा कि दीक्षान्त समारोह विद्यार्थियो के जीवन का विशेष अवसर होता है। मै उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियो को हार्दिक बधाई देती हूं। उन्होने कहा कि दीक्षान्त आपकी जीवन यात्रा का महत्वपूर्ण पडाव है। भविष्य के जीवन की शुरूआत यही से होती है। यहां प्राप्त की गई हर उपलब्धि आगे की सफलताओ के लिए बहुमूल्य आधार है। मुझे विश्वास है कि आप सभी विद्यार्थी अपने उत्कृष्ट शिक्षा व आचरण से देश व समाज के लिए आदर्श स्थापित करेंगे। राज्यपाल ने कहा कि ऐसा ज्ञान जो समाज के साथ साझा न किया जाए वह अर्थहीन हो जाता है। समाज ने आपको जो अवसर दिया उसका उपयोग समाज की भलाई के लिए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय उददेश्यों की प्राप्ति तथा देश के सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में योगदान करने के लिए विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप अपनी पूरी ऊर्जा एवं क्षमता देश के विकास मे लगाएंगे। 

   कुलाधिपति ने कहा कि दीक्षान्त का अर्थ शिक्षान्त नही होता। इस सत्य को समझ लेना शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि जीवन के प्रत्येक पड़ाव में व्यक्ति के अन्दर सीखने की ललक बनी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुविवि ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर सर्वे में 301 वां स्थान प्राप्त हुआ है। यह गौरव की बात है। उन्होंने इस दौरान अब्दुल कलाम के कविता सुना कर संदेश भी दिया। उन्होंने सभी उपाधि धारकों को बधाई देते हुये उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि कुमाऊ विश्वविद्यालय ने अपने क्रियाकलापों में नवाचार एवं संरचनात्मक परिवर्तन कर क्षेत्र में उच्च शिक्षा को एक नई दिशा व आयाम दिये हैं यह अच्छी बात है। उन्होने कहा आधुनिक तकनीकी के द्वारा शिक्षा के सभी पाठयक्रमों को लोकप्रिय बनाया जा रहा है। यह भी बहुत आवश्यक है कि विश्वविद्यालय अपनी पाठ्य सामग्री को लगातार अपडेट करें। इससे राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यक्रम प्रासंगिक बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि विवि को विद्यार्थियों को सफल उद्यमी बनने के लिए प्ररित करना होगा। देश में चल रही स्टार्ट अप व मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं से लाभ लेकर आत्मनिर्भर बनने का प्रयत्न करना चाहिए। राज्य के सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योग स्थापित होने से यहां के युवाओं को भरपूर रोजगार के अवसर मिलेंगे। 

  श्रीमती मौर्य ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह जानकार अत्यन्त प्रशन्नता हो रही है कि विश्वविद्यालय में 70 प्रतिशत प्रोफेसर महिलाएं हैं तथा सम्मानित होने वाले विद्यार्थियों में सर्वाधिक संख्या बालिकाओं की है। उन्होंने कहा कि देश की सभी नारियों को उत्तराखण्ड की मात्र शक्ति से विषम भौगोलिक परिस्थितियों में कठिन परिश्रम, संघर्ष आदि की प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में बदलाव के लिए बालिकाओं एवं मात्र शक्ति को आगे आना होगा। 

  दीक्षांत समारोह में सम्बोधित करते हुए प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी ने कहा कि मुझे मानद उपाधि से अलंकृत करने पर आभागर प्रकट करते हुए कहा कि मेंरे लिए यह सम्मान भावात्मक रूप से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। श्री जोशी ने सभी उपाधि धारकों से कहा कि शिक्षा ग्रहण करते हुए जो ज्ञान प्राप्त किया है, उससे कहीं ज्यादा ज्ञान देश व दुनियां को देने की कोशिश करें। उन्होंने कहा कि ऊर्जा जड़ों से ही प्राप्त होती है और मेरी जड़ें उत्तराखंड व अल्मोड़ा से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति कभी किसी के साथ छल नहीं करती और न किसी के साथ छल करने की शिक्षा देती है। उन्होंने कहा कि चीड़ के जंगलों, मन्दिरों, अलकनन्दा व मन्दाकिनी के तटो के साथ ही राज्य के प्राकृतिक सौन्दर्य ने आधार प्रदान किया है। हमारा आधार ही अवचेतन को बनाता है और बिम्बों का उपयोग करता है। उन्होंने कहा कि भाषा धमनियों में दोड़ती है तथा भाषा का व्यक्ति के साथ माॅ का रिश्ता होता है और आवश्यकता पड़ने पर स्वतः ही मदद करती हैै। मुझे गर्व है कि मेरे व्यक्तित्व निर्माण के लिए हमेशा देवभूमि से प्रेरणा पाई है। जीवन में व्यक्ति का निर्माण उसकी जमीन की प्रेरणा से होता है। 

   दीक्षांत समारोह में विभिन्न विषयों के 158 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। उपाधि के साथ इस बार जागेश्वर मंदिर की प्रतिमूर्ति भी प्रतीक चिन्ह के रूप में दी गई। यह पदक कार्यक्रम में प्रदेश के राज्यपाल व कुलाधिपति बेबी रानी मौर्य की ओर से दिये गये। दीक्षांत कार्यक्रम में प्रचलित गाउन के स्थान पर जैकिट, काली टोपी व मफलर पहन कर एकेडमिक शोभा यात्रा निकाली गई। इसी पोशाक में लोग शोध उपाधियां व मेडल लेने पहुंचे। दीक्षान्त समारोह में कला संकाय के 72, विज्ञान संकाय के 56, वाणिज्य एवं प्रबन्धन के 19, शिक्षा संकाय के 5, विधि संकाय के 3, तकनीकि संकाय के 1 शोधार्थी को पीएचडी की मानद उपाधि प्रदान की गयी। इसके अलावा 5 डी-लिट, स्नातक स्तर पर बीए के 9840, बीएससी के 4305, बीकॉम के 2530 तथा स्नातकोत्तर स्तर पर एमकॉम के 397, एमए के 2504, एमएससी के 1612 तथा व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के 826 विद्यार्थियों की डिग्री दी गई। इसके अलावा 56 मेधावियों को कुलपति तथा गौरादेवी व अन्य सम्मान व मैडल दिये गये।