देहरादून, प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र सुभाषनगर में आयोजित सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी मन्जू बहन ने लोगों को विघ्न हटाने का उपाय बताया। कहा कि माफ़ी माँगना और माफ़ करना। मेरे से किसी को दुःख न मिले। दूसरी बात, अगर जाने अन्जाने में किसी को दुःख मिला और मुझे पता चला तो तुरंत माफ़ी माँग लें, इसमें अहंकार नहीं होना चाहिये।
ऐसा नहीं सोचना चाहिये कि ‘मैंने इसको ऐसे थोड़े ही कहा, समझ के कहा, सुधारने के लिये कहा‘, नहीं। कोई भी आत्मा ऐसी न हो जो एक-दो को दुःख देंवे। कोई ऐसी बात हो भी जाये तो माफ़ी माँग लेना या माफ़ कर देना। दुःख देना भी नहीं, पर लेना भी नहीं। सूक्ष्म अगर माफ़ी माँगना आता है तो कहीं किसी कार्य में विघ्न नहीं आयेंगे, आयेंगे भी, तो उनसे मुक्त हो जायेंगे। इसमें अगर आत्म स्मृति नहीं होगी तो भगवान की याद नहीं ठहरेगी। इसलिये स्वयं को आत्मा समझ परमात्मा की याद अर्थात् राजयोग से विघ्नमुक्त बन सकते हैं। मैं सबको सुख दूँ, इसका मतलब यह नहीं कि मैं आपको पैसा दूँ तो आप खुश हो जाओ और मेरे चेले बन जाओ। उसमें कोई सुख नहीं है, वह अल्पकाल का सुख है। तो हरेक के साथ मित्रता का भाव रखना और अपना मित्र बनना। आत्मा अपना शत्रु आप है, अपना मित्र आप है। अगर हम सुधरते हैं, अच्छी जीवन बनाते हैं, अटेन्शन रखते हैं, तो भगवान उसमें शक्ति देता है। मान और मनी के आधार पर एक-दो से खुश होना या एक-दो को खुश करना – यह कोई खुशी देना नहीं है। वैसे खुश रहना, खुशी देना पुण्य कर्म है, उनसे पाप नहीं होगा। पुण्य कर्म जितने बढ़ेंगे, तो रहा हुआ कोई पाप होगा, वह अपने आप मिट जायेगा। कार्यक्रम में कमलेश, शोभना, स्वाति, गोपाल, रमेश, जसवीर, मोहित, शकुन्तला, कांता, पुष्पा, ऊषा आदि उपस्थित रहे।