मंच स्थल पर एकदिवसीय अनशन पर बैठे फुटबॉलर

-25 दिसम्बर से आर-पार आंदोलन की रणनीतिक तैयारी भी पकड़ रही है जोर

देहरादून, ’गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान’ का मंच गैरसैंण को पूर्णकालिक व स्थाई राजधानी बनाने के साथ साथ राज्य में उपेक्षा का शिकार हो रहे संगठन रहित व्यक्तियों व खिलाड़ियों के लिए भी मंच प्रदान करने लगा है। इस क्रम में आज उत्तराखंड राज्य खेल की दुर्दशा पर राज्य के लिए प्राणपण से जुड़े फुटबॉल से जुड़े लोगों ने एक दिवसीय अनशन और धरना दिया। उत्तराखंड राज्य का खेल फुटबाल है, जिसकी दुर्दशा और बर्बादी के लिए आज ’गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान के मंच’ से जवाबदेही तय करने की मांग को लेकर  देहरादून मे पूर्व खिलाड़ी, राष्ट्रीय कोच, क्लास वन रेफरी, मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स (फुटबाल) अवार्ड एवं अनगिनत अवार्ड से सम्मानित ’वीरेन्द्र सिंह रावत’ ने एक दिन का अनशन और धरना दिया।

  वीरेन्द्र सिंह रावत द्वारा किए गए अनशन को 13 जिलों से आए खिलाड़ी, कोच, रेफरी और फुटबॉल खेल प्रेमियों ने समर्थन दिया है। प्रदेश की फुटबॉल खेल की दुर्दशा पर बोलते हुए वीरेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड मे 18 साल से फुटबाल के खेल की वही उपेक्षा हो रही है जैसे कि राजधानी गैरसैंण की। वीरेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में जितनी भी सरकार आई हैं, उन्होंने राज्य खेल पर ध्यान नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि ’2018 मे केंद्र सरकार ने स्पोर्ट्स कोड’ को लागू किया है, जिसको विधान सभा उत्तराखंड मे भी सर्व सम्मति से पारित हुआ, लेकिन दुर्भाग्य है कि उसको सरकार और खेल विभाग उद्देश्य अनुरूप रुचि नहीं दिखा रहा है, और मन मर्जी चल रही है। वीरेन्द्र रावत ने कहा कि स्पोर्ट्स कोड लागू होने के बावजूद पूर्व मे उत्तराखंड स्टेट फुटबाल एसोसिएशन के सचिव का इस्तीफा नहीं लिया गया है और ना ही दिखाया जा रहा हैद्य उन्होंने कहा कि स्पोर्ट्स कोड लागू होने के बावजूद राज्य में 03 स्टेट एसोसिएशन बन गयी हैंद्य सभी खिलाड़ी, कोच, रेफरी संशय में हैं कि किधर जाएं और कहाँ से खेलेंद्य यही संशय ट्रायल को लेकर भी हो रहा हैद्य उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि प्रदेश में इस खेल का भविष्य क्या है। इस बीच उन्होंने पूर्व मे सचिव रहे अख्तर अली  पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने 18 साल से खिलाडियों का शोषण हो रहा है और सरकार के लोग भी बाहर से लाए लोगो को ही पद की बंदरबाँट कर रहे हैंद्य उन्होंने हाल ही में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का अध्यक्ष बनना और पदों की बंदर बाँट को अलोकतांत्रिक और गैर कानूनी बताया है उन्होंने पूछा कि चोरी छिपे एसोसिएशन का गठन यदि मंत्री जी भी कर रहे हैं तो कृषि मंत्री और अख्तर में क्या फर्क रह गया है। उन्होंने कहा कि देहरादून के सभी क्लब इस गलत नीति को कारण दो फाड़ हो चुके हैंद्य 20 कल्ब एक हैं तो 20 कल्ब दूसरी तरफ हैंय जो कि सरासर गलत है। उन्होंने आज के अनशन और धरना के माध्यम से मांग उठाई है कि विभिन्न गुटों में बंटे सभी लोग अपनी ढपली, अपना राग अलापना बंद करें, और सरकार और खेल विभाग खेल को सही दिशा में लाने के लिए उचित कारवाई करेद्य उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उत्तराखंड फुटबाल के हित में खेल विभाग व सरकार नहीं चेतती है, तो 30 दिन के उपरांत वह आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। उत्तराखंड के राज्य खेल फुटबॉल की दुर्दशा पर ’अनशन पर बैठने वालों में वीरेन्द्र सिंह रावत, उत्तरकाशी से यहाँ पहुंचे प्रकाश रोनी और चमोली जिला से आए एम.एम. भंडारी’ बैठे। उनको समर्थन देने वालों में धनीराम बिंजोला, डी.एस. बिष्ट, राहुल रावत, सूरज नेगी, जीतेन्द्र पंवार, पुरुषोत्तम भट्ट, ईलाम रमोला, आभा शर्मा आदि थे। गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के अभियानकर्मियों मदन सिंह भंडारी, लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, मनोज ध्यानी, रविन्द्र प्रधान, संजय थपलियाल, नीरज गौड़, कृष्ण काँत कुनियाल, सुमन डोभाल काला, हर्ष मैंदोली, राकेश चंद्र सती, भुवन जोशी, यशवीर आर्य’ आदि भी प्रदेश के फुटबॉलर के समर्थन में बैठे। इस दौरान संघर्ष स्थल पर 25 तारीख से होने वाले ’आर-पार आंदोलन’ की तैयारी की समीक्षा और अग्रिम तैयारी और 87वाँ दिवस का धरना भी पूर्ववत जारी रहा।